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    Haryana News: खुशखबरी! गरीबों को अब आसानी से मिलेगा राशन, खुलेंगे नए डिपो; खत्म होगा एकाधिकार

    Updated: Thu, 27 Jun 2024 03:44 PM (IST)

    Haryana News हरियाणा में अब गरीबों को आसानी से राशन उपलब्‍ध कराया जाएगा। इसके लिए नए राशन डिपो खोले जाएंगे। वहीं एकाधिकार भी खत्‍म हो जाएगा। प्रदेश में दो लाख 92 हजार अंत्योदय अन्न योजना के राशन कार्ड तथा 43 लाख 33 हजार बीपीएल कार्ड हैं। खाद्यान्नों की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्यों पर ई-खरीद पोर्टल से की जा रही है।

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    गरीबों को अब आसानी से राशन उपलब्‍ध कराने के लिए खुलेंगे नए राशन डिपो

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत गरीबों को आसानी से राशन उपलब्ध कराने के लिए नए राशन डिपो खोले जाएंगे। खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले मंत्री मूलचंद शर्मा ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि डिपो आवंटन में किसी भी डिपो होल्डर का एकाधिकार न हो। साथ ही गरीबों को समय पर राशन मिलना सुनिश्चित किया जाए।

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    प्रदेश में इतने हैं अन्न योजन राशन कार्ड

    गुरुवार को समीक्षा बैठक में खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले मंत्री ने कहा कि पीओएस मशीनों की खरीद की निविदा प्रक्रिया जल्द पूरी करें। प्रदेश में दो लाख 92 हजार अंत्योदय अन्न योजना के राशन कार्ड तथा 43 लाख 33 हजार बीपीएल कार्ड हैं।

    राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत प्रदेश में हर महीने 98 लाख टन अनाज दिया जाता है, जिसमें केंद्र सरकार 66 हजार 250 टन गेहूं देती है, जबकि शेष 31 हजार टन गेहूं प्रदेश सरकार अपने खर्चे पर वहन करती है। अंत्योदय अन्न योजना परिवारों को 35 किलोग्राम गेहूं तथा बीपीएल परिवारों को प्रति सदस्य पांच किलोग्राम गेहूं दिया जाता है।

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    प्रदेश सरकार हर महीने इतने रुपये करती है खर्च

    बैठक में अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. सुमिता मिश्रा और निदेशक मुकुल कुमार ने बताया कि परिवार पहचान पत्र के तहत सत्यापित एक लाख 80 हजार रुपये की वार्षिक आय वाले परिवारों को अंत्योदय आहार योजना के तहत दो लीटर सरसों का तेल भी दिया जाता है।

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    प्रदेश सरकार गेंहू पर 89 करोड़ रुपये, सरसों तेल पर 95 करोड़ रुपये तथा चीनी पर 11 करोड़ रुपये हर महीने खर्च करती है। पिछले खरीफ सीजन में हरियाणा ने केंद्रीय भंडारण में 59 लाख टन धान तथा रबी सीजन में 69 लाख टन गेंहू का योगदान दिया। खाद्यान्नों की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्यों पर ई-खरीद पोर्टल से की जा रही है और पैसा सीधा किसानों के खातों में भेजा जाता है।