राज्यसभा चुनाव: आसान नहीं होगा कांग्रेस उम्मीदवार के लिए 30 का जादुई आंकड़ा छूना
हरियाणा में राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने का आज आख्रिी दिन है। कांग्रेस ने दीपेंद्र हुड्डा को टिकट दिया है लेकिन पार्टी में फूट के कारण उनके लिए राह आसान नहीं है।
नई दिल्ली, [बिजेंद्र बंसल]। हरियाणा में राज्यसभा की तीन सीटों में से एक सीट पर चुनाव काफी रोचक होगा। असल में कांग्रेस के लिए मौजूदा गुटबाजी के कारण अपनी एक सीट बचाने के लिए जरूरी 30 विधायकों का जादुई आंकड़ा छूना आसान नहीं होगा। यह एक सीट कांग्रेस की प्रदेशाध्यक्ष कुमारी सैलजा का कार्यकाल खत्म होने के कारण खाली हो रही है। इस सीट पर सत्तारूढ़ दल भाजपा की पूरी नजर है। कांग्रेस ने काफी खींचतान के बाद पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के पुत्र दीपेंद्र सिंह हुड्डा को उम्मीदवार बनाने का फैसला किया है, लेकिन मतदान होेने की स्थिति में पार्टी में दिख रही फूट के कारण जादुई 30 का आंकड़ा छूना उनके लिए आसान नहीं होगा। हुड्डा खेमा 36 विधायकों के समर्थन का दावा कर रहा है, लेकिन सैलजा की नाराजगी दीपेंद्र को भारी पड़ सकती है। कयास लगाए जा रहे हैं कि सैलजा दीपेंद्र के नामांकन दाखिल करने के मौके पर नहीं आएंगी।
कांग्रेस में हुड्डा व सैलजा की गुटबाजी को पहले ही भांप गए थे भाजपा के रणनीतिकार
यूं तो इस सीट को जीतने के लिए कांग्रेस के विधानसभा में पर्याप्त संख्या में 31 विधायक हैं, मगर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कुमारी सैलजा की आपसी गुटबाजी के कारण भाजपा ने इस सीट पर भी अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है। हुड्डा इस सीट पर सैलजा का टिकट कटवा कर बेटे दीपेंद्र हुड्डा की दिलाने में कामयाब रहे हैं। कांग्रेस हाईकमान के नजदीकी रणदीप सुरजेवाला भी टिकट की दावेदारी पेश कर रहे थे। भाजपा इस सीट पर अनुसूचित जाति के प्रत्याशी दुष्यंत गौतम को चुनाव लड़ाएगी।
हुड्डा गुट में 31 में से 24 विधायक हैं, जिनको लेकर उन्होंने आलाकमान के समक्ष शक्ति प्रदर्शन किया था। सैलजा के पास तीन विधायक हैं और एक विधायक बीमार हैं। इसके अलावा एक विधायक असमंजस में हैं। हुड्डा गुट को अपने 24 के अलावा सिरसा के विधायक गोपाल कांडा सहित तीन निर्दलीय विधायकों और एक जजपा के बागी विधायक से काफी उम्मीद हैं।
इसके अलावा उन्हें उम्मीद है कि कांग्रेस का टिकट मिलने के बाद मुलाना से विधायक वरुण चौधरी व कालका से विधायक प्रदीप चौधरी उनके साथ ही खड़े नजर आएंगे। उधर, भाजपा को अपना प्रत्याशी जिताने लिए सिर्फ तीन से चार विधायक ही चाहिए। इसके लिए भाजपा के रणनीतिकारों को पहले से ही पांच विधायकों की ऑफर मिली हुई है। इनमें दो विधायक कांग्रेस के भी हैं।
बीरेंद्र सिंह ने बुना था सैलजा की सीट पर भाजपा प्रत्याशी उतारने का ताना-बाना
कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष कुमारी सैलजा का राज्यसभा का कार्यकाल पूरा होने के बाद इस सीट को भाजपा की झोली में डालने का ताना-बाना पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह ने बुना था। बीरेंद्र सिंह ने भाजपा के रणनीतिकारों को यह गणित समझाया था कि सैलजा के पास अपने महज तीन ही विधायक हैं, ऐसे में भूपेंद्र सिंह हुड्डा अपने बेटे दीपेंद्र हुड्डा की दावेदारी करेंगे। ऐसे में कांग्रेस में कोई भी उम्मीदवार बने क्रास वोटिंग हो सकती है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री और राजनीति के दिग्गज बीरेंद्र सिंह के इस गणित को मुख्यमंत्री मनोहर लाल से लेकर प्रदेश प्रभारी डॉ. अनिल जैन तक कोई नहीं काट पाया। सूत्र बताते हैं कि इस तीसरी सीट जीतने का गणित हाईकमान को बताकर एक भाजपा नेता ने तो अपने नंबर भी बढ़ाने का काम किया है।
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