हरियाणा और पंजाब के पास नहीं 'चंडीगढ़' के राजधानी होने का सुबूत
हरियाणा और पंजाब भले ही लंबे समय से चंडीगढ़ पर अपना अधिकार जता रहे हैं लेेेेेकिन दोनों राज्यों के पास इस बात कोई लिखित सुुबूत नहीं है कि चंडीगढ़ उनकी राजधानी है।
चंडीगढ़ [दयानंद शर्मा]। हरियाणा और पंजाब भले ही लंबे समय से चंडीगढ़ पर अपना अधिकार जता रहे हैं, लेेेेेकिन दोनों राज्यों के पास इस बात कोई लिखित सुुबूत नहीं है कि चंडीगढ़ उनकी राजधानी है। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने दोनों राज्यों के एडवोकेट जनरल से ऐसी कोई नोटिफिकेशन दिखाने को कहा था, जिसमें यह साबित हो सके कि चंडीगढ़, पंजाब अथवा हरियाणा की राजधानी नहीं है। दोनों राज्य हाईकोर्ट में ऐसी कोई अधिसूचना पेश नहीं कर सके, जिस कारण यह मामला अब पेचीदा हो सकती है।
विवाद हाईकोर्ट में दायर एक याचिका से हुआ था, जिसमें कहा गया कि चंडीगढ़ के लोगों को कई मामलों में पंजाब और हरियाणा अपने प्रदेश का हिस्सा नहीं मानते। पंजाब और हरियाणा दोनों की राजधानी होने के बावजूद चंडीगढ़ के लोगों को इन राज्यों का यह रुख काफी अखरने वाला लगा, जिसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई।
हाईकोर्ट में जब दोनों राज्य सरकारों के अधिवक्ताओं के साथ बहस चली तो मामला बेहद गंभीर बन गया।
हाईकोर्ट ने दोनों राज्यों के एडवोकेट जनरल से पिछली तारीख पर कहा था कि वे चंडीगढ़ के राजधानी होने संबंधी दस्तावेज लेकर आएं। पंजाब सरकार की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि 1947 में देश आजाद होने के बाद पंजाब की राजधानी को लाहौर से बदलकर शिमला किया गया था।
पंजाब सरकार ने बताया कि वर्ष 1950 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने चंडीगढ़ को राजधानी बनाने की सोची। कैपिटल आफ पंजाब (डेवलपमेंट एंड रेगुलेशन) एक्ट-1952 में चंडीगढ़ को पंजाब की राजधानी माना गया। वर्ष 1966 में पंजाब रि-आर्गेनाइजेशन एक्ट में चंडीगढ़ को चाहे केंद्रशासित प्रदेश बनाया गया, लेकिन पंजाब की राजधानी होने का इसका दर्जा कायम रहा है।
पंजाब सरकार ने 20 जुलाई 1947 में वॉयसराय की बैठक के हवाले से कहा कि चंडीगढ़ पंजाब की राजधानी है जिसे शुरू से ही स्वीकार किया जाता रहा है। हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार के इस जवाब को सही जवाब न मानते हुए केंद्र सरकार को इस मामले में जवाब देने को कहा है, जबकि हरियाणा अभी तक कोई जवाब नहीं दे पाया है।
हरियाणा, हिमाचल और चंडीगढ़ अलग राज्य बन गए तो राजधानी का विवाद कैसा
राजधानी के विवाद से जुड़े मामले में याची के वकील राजीव आत्मा राम ने हैरानी जताई है। आत्मा राम ने कहा की 1952 के एक्ट में चंडीगढ़ पंजाब की राजधानी थी, मगर एक नवंबर 1966 में जब हरियाणा, हिमाचल और चंडीगढ़ केंद्रशासित प्रदेश बना तो चंडीगढ़ फिर हरियाणा और पंजाब का हिस्सा नहीं रह गया। ऐसे में दोनों राज्य कैसे चंडीगढ़ को अपना हिस्सा या राजधानी मान सकते हैं।
अब केंद्र सरकार और चंडीगढ़ प्रशासन के पाले में गेंद
हरियाणा और पंजाब सरकारों द्वारा राजधानी की बाबत कोई दस्तावेज पेश नहीं किए जाने के बाद अब गेंद केंद्र सरकार तथा चंडीगढ़ प्रशासन के पाले में चली गई है। अब कोर्ट में केंद्र सरकार और चंडीगढ़ प्रशासन बताएंगे कि चंडीगढ़ पंजाब और हरियाणा की राजधानी कैसे बना है।
फूल सिंह के जिला जज के लिए आवेदन से सामने आया मसला
चंडीगढ़ निवासी फूल सिंह अनुसूचित जाति से हैं, जिन्होंने जिला जज के लिए आवेदन किया है और दोनों राज्यों में ही वह मेरिट में आते थे। मगर दोनों ही राज्य हरियाणा और पंजाब कहते हैं कि उसे ही शेड्यूल कास्ट माना जाएगा, जो हमारे राज्य का हिस्सा है। याची की ओर से सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला दिया गया, जिसमें बताया गया कि एमबीए के छात्र जिन्होंने चंडीगढ़ से बारहवीं पास की, उन्हें पंजाब में योग्य नहीं माना जाता था।
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि चंडीगढ़ पंजाब की राजधानी है और पंजाब का हिस्सा है, इसलिए पंजाब, मेडिकल कॉलेज एडमिशन के लिए योग्य माना जाएगा। ऐसे में फूल सिंह ने कहा कि फिर उन्हें क्यों नहीं पंजाब या हरियाणा का हिस्सा माना जाता है। इस बात पर ही हाईकोर्ट ने दोनों राज्यों से राजधानी की बाबत अधिसूचना दिखाने को कहा है।
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