Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    सरस्वती बोर्ड की नई पहल, हरियाणा से गुजरात तक सहायक नदियों का होगा मिलन

    Updated: Sun, 15 Jun 2025 02:22 PM (IST)

    हरियाणा सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड सरस्वती नदी के जल प्रवाह को पुनर्जीवित करने के लिए काम कर रहा है। सहायक नदियों को चिन्हित करके उन्हें सरस्वती से जोड़ने की योजना है। सतलुज और यमुना जैसी नदियाँ कभी सरस्वती का हिस्सा थीं। 400 किलोमीटर तक पानी का प्रवाह सुनिश्चित किया गया है और उत्तराखंड से गुजरात तक जल प्रवाह सिस्टम को जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है।

    Hero Image
    हिमाचल, हरियाणा, राजस्थान व गुजरात तक सरस्वती नदी के जल प्रवाह सिस्टम को जोड़ने की योजना। फाइल फोटो

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड के वाइस चेयरमैन धूमन सिंह किरमिच का कहना है कि सरस्वती की सहायक नदियों के जल प्रवाह मार्ग को चिन्हित करने के बाद उन्हें सरस्वती नदी से जोड़ा जाएगा।

    धूमन सिंह के अनुसार जियोलाजिकल सर्वे आफ इंडिया व अन्य भौगोलिक जनकारियों के आधार पर कहा जा सकता है कि सतलुज नदी 10 हजार वर्ष पूर्व तक व यमुना नदी 16 हजार पूर्व तक सरस्वती नदी का हिस्सा थी और ग्लेशियर से निकली रुपिन, सुपिन, पब्बर व टौंस नदियां सरस्वती नदी के जल प्रवाह सिस्टम का पार्ट रही हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    आज भी ये सभी नदियां सरस्वती नदी के क्षेत्र में ही बह रही हैं। अभी तक हिमाचल के बार्डर आदि बद्री से राजस्थान बार्डर पर स्थापित सिरसा ओटू हेड तक करीब 400 किलोमीटर में विभिन्न नदियों के साथ मिलकर पानी चलाया गया है, जो बरसाती सीजन में ही संभव हो पा रहा है।

    वाइस चेयरमैन के अनुसार टौंस नदी कुछ हजार साल पहले हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के पास शिवालिक पर्वतमाला में एक टेक्टोनिक घटना के बाद यमुना की सहायक नदी बन गई, जो पहले सरस्वती का पार्ट थी। मगर अब टौंस नदी उत्तराखंड में यमुना नदी की एक प्रमुख सहायक नदी है, जबकि सरस्वती नदी वैदिक ग्रंथों में वर्णित एक पौराणिक नदी है।

    पंजाब और हरियाणा में घग्गर-हकरा नदी को अक्सर प्राचीन सरस्वती नदी से जोड़ा जाता है। सरस्वती बोर्ड इसी कार्य पर लगा है कि सरस्वती नदी का यह क्षेत्र पुनः प्रवाहित कर उत्तराखंड ग्लेशियर से लेकर हिमाचल, हरियाणा, राजस्थान व गुजरात के रण आफ कच्छ तक सरस्वती नदी के जल प्रवाह सिस्टम को जोड़कर पानी चलाया जाए।