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    हरियाणा में खुल सकेंगी नई गोशालाएं, बिक्री और खरीद पर स्टांप शुल्क खत्म; कैबिनेट बैठक में हुआ फैसला

    हरियाणा सरकार ने गोशालाओं को बढ़ावा देने के लिए बड़ा फैसला लिया है। नई गोशालाओं के लिए जमीन खरीदने पर अब स्टाम्प ड्यूटी नहीं लगेगी। नायब सिंह सैनी मंत्रिमंडल ने गोशालाओं के लिए भूमि अधिग्रहण नियमों में भी बदलाव किया है। साथ ही नई नगरपालिका लेखा संहिता 2025 को अधिसूचित किया है। इसका उद्देश्य हरियाणा में नगर निकायों की लेखा प्रणाली में पारदर्शिता लाना है।

    By Jagran News Edited By: Rajiv Mishra Updated: Mon, 05 May 2025 11:29 PM (IST)
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    मंत्रिमंडल बैठक में गोशाला की जमीन की बिक्री और खरीद पर स्टांप शुल्क खत्म (फाइल फोटो)

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा सरकार ने राज्य में नई गोशालाओं के संचालन को प्रोत्साहित करने के लिए नई गोशालाओं के लिए भूमि की खरीद या बिक्री के लिए डीड दस्तावेजों पर लगने वाले स्टांप शुल्क को खत्म कर दिया है।

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    मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की अध्यक्षता में सोमवार को हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में निर्णय लिया गया कि पंजीकृत गोशाला की भूमि का गोशाला, सोसायटी अथवा ट्रस्ट के किसी भी सदस्य द्वारा व्यक्तिगत कार्यों और व्यावसायिक उद्देश्य के लिए उपयोग नहीं किया जा सकेगा।

    वर्ष 2019 में पंजीकृत गोशाला, ट्रस्ट सोसायटी के पक्ष में निष्पादित भूमि की खरीद या दान की गई जमीन पर स्टांप डयूटी को 5 प्रतिशत से घटाकर 1 प्रतिशत कर दिया गया था।

    गोशाला की जमीन के लिए स्टांप ड्यूटी माफ

    गोसेवा आयोग पंचकूला के अनुरोध पर मुख्यमंत्री ने सात अगस्त 2024 को पंजीकृत गोशाला की जमीन के लिए स्टांप ड्यूटी को माफ करने की घोषणा की थी, जिसे मंत्रिमंडल की बैठक में मंजूरी दी गई।

    नई व्यवस्था के अनुसार पंजीकृत गोशाला, सोसायटी, ट्रस्ट अपना काम ऐसे नियमों और शर्तों के अनुसार करेंगे, जो हरियाणा गोसेवा आयोग या पशुपालन विभाग हरियाणा द्वारा लगाए जा सकते हैं।

    शहरी निकायों में अंग्रेजों के समय से चली आ रही लेखा प्रणाली खत्म मंत्रिमंडल ने नगर निकायों में लेखा प्रणाली प्रबंधन में ब्रिटिश काल से चली आ रही 1930 संहिता को निरस्त करने की स्वीकृति प्रदान की है।

    नई नगरपालिका लेखा संहिता भी अधिसूचित

    साथ ही नई नगरपालिका लेखा संहिता 2025 को अधिसूचित किया है। इसका उद्देश्य हरियाणा में नगर निकायों की लेखा प्रणाली में पारदर्शिता लाना है। सदियों पुरानी नगरपालिका लेखा संहिता, 1930, रूपांतरणीय परिवर्तनों से उत्पन्न चुनौतियों का सामना करने में असमर्थ थी।

    इसके अतिरिक्त, तकनीकी प्रगति के कारण भी नगरपालिका खाता कोड के प्रविधान अप्रचलित और अनावश्यक हो गए थे। नई संहिता न केवल हरियाणा में सभी शहरी स्थानीय निकायों के लिए एक समान और आधुनिक लेखा प्रणाली स्थापित करेगी, बल्कि लेखांकन, बजट और वित्तीय रिपोर्टिंग सहित नगरपालिका वित्त के प्रबंधन के लिए एक व्यापक ढांचा भी प्रदान करेगी।

    केंद्र की नीति के समान मिलेगा जमीन अधिग्रहण का बढ़ा मुआवजा

    मंत्रिमंडल की बैठक में राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के उस प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की गई, जिसके तहत राज्य के सभी विभागों, बोर्डों एवं निगमों, पंचायती राज संस्थाओं तथा शहरी स्थानीय निकायों के लिए भूमि की बाजार दर निर्धारित करने की नीति में संशोधन किया गया।

    इसके तहत इन संस्थाओं को जमीन मिलने में आसानी होगी और बेचने वालों को ज्यादा दाम मिल सकेंगे। नीति में संशोधन के वे सभी प्रविधान जोड़े गए हैं, जो कि केंद्र सरकार की भूमि अधिग्रहण, पुनर्वासन और पुनर्स्थापन नीति में शामिल हैं। इस नीति के एक खंड में 'दोगुना' शब्द को 'चार गुना' शब्द से बदल दिया गया है।

    इससे भुगतान उस राशि के बराबर हो जाएगा जो केंद्रीय अधिनियम के तहत भूमि अधिग्रहण पर सरकारी संस्थाएं भूस्वामियों को देती हैं।