चचेरी बहन की शादी में जाना है...नंदू गैंग के बदमाश ने मांगी अंतरिम जमानत, कोर्ट का जवाब-रस्मों से ज्यादा कानून अहम
नंदू गैंग के सदस्य मनिश ने अपनी चचेरी बहन की शादी में शामिल होने के लिए अंतरिम जमानत याचिका दायर की, जिसे अदालत ने खारिज कर दिया। अदालत ने कहा कि आरोपी की उपस्थिति विवाह में अनिवार्य नहीं है और उसकी रिहाई से समाज को खतरा हो सकता है। मनिश पर अवैध हथियार रखने और आपराधिक गतिविधियों में शामिल होने का आरोप है। पुलिस ने उसके फरार होने और गवाहों को धमकाने की आशंका जताई थी। अदालत ने समाज की सुरक्षा को प्राथमिकता दी।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश की अदालत ने सुनाया फैसला।
जागरण संवाददाता, पंचकूला। हरियाणा और दिल्ली-एनसीआर में सक्रिय नंदू गैंग के बदमाश मनिश को चचेरी बहन की शादी में जाने के लिए अंतरिम जमानत याचिका लगाई। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश की अदालत ने कहते हुए यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि आरोपित की उपस्थिति विवाह में अनिवार्य नहीं है, जबकि उसकी रिहाई से समाज और मामले की जांच को गंभीर खतरा हो सकता है। ऐसे में रस्मों से ज्यादा कानून अहम है।
23 दिसंबर 2024 को मनिश के खिलाफ अवैध हथियार रखने, इस्तेमाल करने, आपराधिक गिरोह की गतिविधियों में शामिल होने और धमकाने जैसी वारदातों से जुड़े होने की पिंजौर थाने में दर्ज एफआईआर दर्ज हुई थी। जांच अधिकारी के अनुसार मनिश नंदू गैंग का सक्रिय सदस्य है।
28 नवंबर से 1 दिसंबर तक अंतरिम जमानत मांगी
मनिश के वकील ने अदालत में कहा कि 30 नवंबर को उसकी चचेरी बहन की शादी है और वह परिवार का महत्त्वपूर्ण सदस्य होने के कारण शादी की मुख्य रस्में उसी के द्वारा पूरी की जानी हैं। वकील ने 28 नवंबर से 1 दिसंबर तक चार दिन की अंतरिम जमानत मांगी।
पुलिस ने कहा-फरार होने, दोबारा अपराध करने की आशंका बहुत अधिक
सरकारी पक्ष की ओर से पुलिस रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि जिस युवती की शादी है और वह आरोपित की वास्तविक बहन नहीं है। ऐसे में शादी में आरोपित की मौजूदगी अत्यंत आवश्यक नहीं मानी जा सकती। पुलिस ने भी अदालत को चेताया कि यदि उसे अंतरिम जमानत मिलती है तो उसके फरार होने, दोबारा अपराध करने और गवाहों को धमकाने की आशंका बहुत अधिक है।
कोर्ट ने माना कोई मजबूरी सिद्ध नहीं हुई
अदालत ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कहा कि शादी जैसे व्यक्तिगत कारणों के लिए अंतरिम जमानत तभी दी जा सकती है जब उसकी आवश्यकता स्पष्ट और अनिवार्य हो। अदालत ने माना कि इस मामले में ऐसी कोई मजबूरी सिद्ध नहीं हुई। ऊपर से आरोपित का गिरोह से जुड़ाव, अपराधों का इतिहास और गवाहों को प्रभावित करने की संभावनाएं जमानत को और भी संदिग्ध बनाती हैं।
इसलिए अदालत ने स्पष्ट टिप्पणी की कि समाज की सुरक्षा और न्यायिक प्रक्रिया की पवित्रता किसी विवाह समारोह से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है। इसके साथ ही मनिश की अंतरिम जमानत अर्जी को खारिज कर दिया गया।

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