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    नफे सिंह राठी हत्याकांड के गवाह को जान का खतरा, मिल रही धमकियां, कोर्ट ने सुरक्षा सुनिश्चित करने के दिए आदेश

    Updated: Sun, 09 Nov 2025 07:29 PM (IST)

    इनेलो के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष नफे सिंह राठी और जय किशन दलाल हत्याकांड के एक गवाह ने अदालत को बताया कि उसे और उसके परिवार को जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं। अदालत ने इस पर सख्त रुख अपनाते हुए गवाह की सुरक्षा सुनिश्चित करने के निर्देश दिए और मामले को गवाह संरक्षण योजना के तहत भेजने का आदेश दिया। अदालत ने आरोपितों को न्यायिक हिरासत में रखने का आदेश दिया।

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    इनेलो के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष नफे सिंह राठी हत्याकांड में पंचकूला की विशेष सीबीआई अदालत में चल रही सुनवाई।

    जागरण संवाददाता, पंचकूला। इनेलो के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष और पूर्व विधायक नफे सिंह राठी हत्याकांड में पंचकूला की विशेष सीबीआई अदालत में दो गवाहों के बयान दर्ज किए गए। तीसरे गवाह ने आवेदन दिया कि उसे और उसके परिवार को आरोपित लगातार धमकियां दे रहे हैं। उसे और परिवार को जान का खतरा है और यदि सुरक्षा नहीं दी गई तो वह गवाही देने से डरता है। 

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    अदालत ने इस पर गंभीर रुख अपनाते हुए गवाह की सुरक्षा सुनिश्चित करने के आदेश दिए और मामला संबंधित प्राधिकरण को भेजने का आदेश दिया। रिपोर्ट 10 दिसंबर से पहले प्रस्तुत करने को कहा। गवाह को अगली तारीख के लिए पाबंद किया और 10 दिसंबर के लिए समन जारी करने के आदेश दिए। अन्य गवाहों को भी उसी तारीख के लिए तलब किया गया है।

    इस केस में कई आरोपित जेल में हैं, जबकि कुछ फरार चल रहे हैं। सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से लोक अभियोजक अदालत में उपस्थित रहे। आरोपित आशिष उर्फ बाबा, सचिन उर्फ सौरव, धर्मेंद्र और अमित गुलिया को वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश किया गया।

    सीबीआई ने अदालत में उन आरोपितों के संबंध में स्थिति रिपोर्ट दाखिल की, जिनके खिलाफ खुले गिरफ्तारी वारंट जारी हैं। इनमें कपिल संगवान उर्फ नंदू, नकुल संगवान, अतुल गुलिया और खुशप्रीत लाथर के नाम शामिल हैं। अदालत ने यह रिपोर्ट रिकाॅर्ड पर ले ली।  इन चारों को अदालत पहले ही 5 मार्च 2025 को उद्घोषित अपराधी घोषित कर चुकी है।

    पकड़े गए आरोपित रहेंगे न्यायिक हिरासत में

    अदालत ने आदेश दिया कि आरोपित आशिष उर्फ बाबा, सचिन उर्फ सौरव, धर्मेंद्र और अमित गुलिया को 10 दिसंबर तक न्यायिक हिरासत में ही रखा जाएगा और उस दिन उन्हें फिर से वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से अदालत में पेश किया जाएगा। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि गवाहों की सुरक्षा न्यायिक प्रक्रिया का अभिन्न हिस्सा है। किसी भी गवाह को धमकाकर न्याय की प्रक्रिया को प्रभावित करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।