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पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में 4.33 लाख मामले लंबित, जजों की भारी कमी झेल रही अदालत

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट (Punjab and Haryana High Court) में जजों की कमी के कारण 433253 से अधिक मामले लंबित हैं। 31 जजों की कमी के साथ हाईकोर्ट में वर्तमान में 85 की स्वीकृत पदों के मुकाबले केवल 54 जज कार्यरत हैं। जजों की नियुक्ति की प्रक्रिया लंबी और समय लेने वाली है जिससे केसों के निपटारे पर असर पड़ रहा है।

By Dayanand Sharma Edited By: Nitish Kumar Kushwaha Updated: Wed, 02 Oct 2024 08:47 PM (IST)
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जजों की कमी से जूझ रहा पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट। फाइल फोटो

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में जजों के काफी संख्या में पद खाली होने के चलते विचाराधीन केस की संख्या बढ़ती जा रही है। हाईकोर्ट में इस समय कुल मिलाकर 4,33,253 से अधिक मामले लंबित हैं।

कुल लंबित मामलों में 1,61,362 आपराधिक मामले हैं, जबकि 2,71,891 सिविल मामले है। हाईकोर्ट में इस समय 31 जजों की कमी है। हाईकोर्ट में वर्तमान में 85 की स्वीकृत पदों के मुकाबले 54 जज कार्यरत हैं। 2025 तक छह हाईकोर्ट जज सेवानिवृत्ति हो रहे है।

जानकारी के अनुसार नौ जिला और सत्र न्यायाधीशों को हाईकोर्ट के जज के तौर पर पदोन्नत किया जाना है, लेकिन इन नियुक्तियों में समय लगने की संभावना है। जजों की नियुक्ति की प्रक्रिया लंबी और समय लेने वाली है। हाईकोर्ट कालेजियम की सिफारिश के बाद राज्य और राज्यपालों द्वारा मंजूरी मिलने के बाद, इंटेलिजेंस ब्यूरो की रिपोर्ट के साथ नामों वाली फाइल सुप्रीम कोर्ट कालेजियम के समक्ष रखी जाती है।

पदोन्नति के लिए स्वीकृत नामों को राष्ट्रपति द्वारा नियुक्ति वारंट पर हस्ताक्षर करने से पहले केंद्रीय कानून मंत्रालय को भेजा जाता है। अगर प्राथमिकता के आधार पर काम नहीं किया गया तो पूरी कवायद में कई महीने लग सकते हैं। राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड के अनुसार विचाराधीन मामलों में सभी श्रेणियों में 1,12,754 (26 प्रतिशत) मामले 10 साल से अधिक समय से लंबित हैं। 53,427 या 12 प्रतिशत लंबित मामले एक से तीन साल के बीच में आते हैं।

पिछले तीन से पांच वर्षों के बीच के 49,105 (11 प्रतिशत) मामले विचाराधीन है। 1,17,805 या 27 प्रतिशत मामले पांच से 10 साल से लंबित हैं। पिछले साल नवंबर से कोई नई नियुक्ति न होने के चलते हाई कोर्ट में जजों की कमी एक गंभीर समस्या बन रही है जिस कारण हाई कोर्ट में केसों के निपटारे पर असर दिख रहा है।

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