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    CET: आवेदन में त्रुटि के चलते 21 हजार से अधिक अभ्यर्थी नहीं दे सकेंगे परीक्षा, हाईकोर्ट ने सरकार से पूछे तीन सवाल

    Updated: Fri, 25 Jul 2025 10:10 PM (IST)

    पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने सीईटी परीक्षा में 170 याचिकाकर्ताओं को अंतरिम राहत दी है। उन्हें प्रोविजनल रूप से परीक्षा में शामिल होने की अनुमति दी गई है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जिन अभ्यर्थियों ने याचिका नहीं दी उन्हें परीक्षा से वंचित रहना होगा। आयोग ने कहा कि आवेदन की हस्ताक्षरित प्रति अपलोड करना अनिवार्य था जिसे कई अभ्यर्थियों ने पूरा नहीं किया।

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    21 हजार से अधिक अभ्यर्थी नहीं दे सकेंगे परीक्षा। फाइल फोटो

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा में तृतीय श्रेणी की सामान्य पात्रता परीक्षा (सीईटी) को लेकर एक महत्वपूर्ण निर्णय में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने लगभग 170 याचिकाकर्ताओं को ही प्रोविजनल रूप से परीक्षा में शामिल होने की अनुमति दी है।

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    21 हजार से अधिक अभ्यर्थी, जिन्होंने याचिका दाखिल नहीं की, उन्हें परीक्षा से वंचित रहना पड़ेगा।  दो दिन तक चली लगातार सुनवाई में हाईकोर्ट ने हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग और राज्य सरकार से तीखे सवाल पूछे। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि एडमिट कार्ड से जुड़े मुद्दों पर ही सुनवाई सीमित रखी जाएगी, अन्य विषयों पर निर्णय अगली सुनवाई में होगी।

    हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग की तरफ से एडिशनल एडवोकेट जनरल संजीव कौशिक द्वारा दायर हलफनामे में कहा गया है कि जिन याचिकाकर्ताओं को एडमिट कार्ड नहीं मिले, उन्होंने आवेदन प्रक्रिया को पूर्ण रूप से पूरा नहीं किया।

    आयोग ने कोर्ट को बताया कि आवेदन की अंतिम तिथि 14 जून 2025 व शुल्क जमा करने की अंतिम तिथि 16 जून 2025 थी।

    उम्मीदवारों को आवेदन की हस्ताक्षरित प्रति (पावती) पोर्टल पर अपलोड करनी थी, जो कई ने नहीं की। कोर्ट को बताया गया कि कुल 15,23,787 अभ्यर्थियों ने पंजीकरण किया जिसमें 13,70,551 ने शुल्क जमा किया व 13,48,697 ने सभी औपचारिकताएं पूरी की। इन्हें एडमिट कार्ड जारी हो गया, लेकिन 21,854 अभ्यर्थियों ने सिर्फ शुल्क जमा किया, हस्ताक्षरित प्रति अपलोड नहीं की।

    अभ्यर्थियों द्वारा पोर्टल में तकनीकी खराबी का हवाला देने को आयोग ने बिल्कुल अस्वीकार किया। आयोग ने यह दिखाया कि उसी पोर्टल पर लाखों उम्मीदवारों ने आवेदन प्रक्रिया सफलतापूर्वक पूरी की।

    आयोग ने कोर्ट में यह भी कहा कि यदि अपूर्ण आवेदन करने वाले उम्मीदवारों को एडमिट कार्ड दिया गया तो यह ईमानदारी से प्रक्रिया पूरी करने वाले लाखों अभ्यर्थियों के साथ अन्याय होगा और इससे चयन प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर भी प्रश्नचिह्न लगेगा।

    सभी पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि राहत सिर्फ उन याचिकाकर्ताओं को दी गई है जिन्होंने न्यायालय की शरण ली। शेष 21 000 से अधिक अभ्यर्थियों को कोई राहत नहीं दी जा सकती क्योंकि उन्होंने आवेदन की अनिवार्य शर्तें पूरी नहीं कीं।

    आयोग के अनुसार, आवेदन की हस्ताक्षरित प्रति अपलोड करना एक अनिवार्य और अपरिहार्य शर्त है, जिसमें कोई छूट नहीं दी जा सकती।