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    मीसा बंदियों ने आपातकाल को बताया लोकतंत्र का काला अध्याय, मनोहरलाल व धनखड़ ने साझा किया दर्द

    By Sunil Kumar JhaEdited By:
    Updated: Sat, 25 Jun 2022 07:00 PM (IST)

    Emergecy in India देश में आपातकाल के दौरान मीसा में जेल गए नेताओं और लोगों ने अपने अनुभव साझा किए तो उनके दर्द सामने आ गए। उन्‍होंने आपातकाल को लोकतंत्र का काला अध्‍याय बताया। मुख्‍यमंत्री मनोहर लाल और हरियाणा भाजपा अध्‍यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ ने भी अपने अनुभव साझा किए।

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    ह‍रियाणा भाजपा अध्‍यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ और सीएम मनोहर लाल। (फाइल फोटो)

    राज्य ब्यूराे, नई दिल्ली। देश भर में 25-26 जून 1975 की अर्धरात्रि को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगाया था। इसके बाद लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं को तहस-नहस करने वाले शासन के खिलाफ लोकतंत्र सेनानियों ने मोर्चा खोल दिया था। तब इंदिरा गांधी ने आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था अधिनियम (मीसा) के तहत लोकतंत्र सेनानियों को बंदी बना लिया था।

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    सीएम मनोहर लाल, धनखड़ सहित आरएसएस के प्रमुख पदाधिकारियों ने साझा किया आपातकाल का दंश

    आपातकाल के 47 साल बाद तत्कालीन शासन के दंश को याद करते हुए सेनानियों ने लोकतंत्र का काला अध्याय बताया है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने इसे काला अध्याय बताते हुए कहा है कि इसेक भी भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने मीसा में बंदी रहे लोकतंत्र रक्षकों को नमन किया है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ का कहना है कि कांग्रेस ने तब अपनी सत्ता बनाने के लिए देश भर में आपातकाल लगाकर अपनी सत्तालोलुप मानसिकता का परिचय दिया था।

    मीसा के तहत हरियाणा में तब 143 स्थानों पर गिरफ्तारियां हुईं थीं। विभिन्न जेलों में हरियाणा से 1013 लोकतंत्र सेनानी गिरफ्तार किए गए थे। संघ के वरिष्ठ प्रचारक प्रेम गोयल ने तो यहां तक कहा है कि यदि तब संघ लोकतांत्रिक मर्यादाओं को बचाने आगे नहीं आता तो आपातकाल देश से कभी नहीं हटता। हरियाणा में जो गिरफ्तारियां हुईं उनमें 971 संघ के कार्यकर्ता थे।

    छात्रों को परीक्षा देने के अधिकार से भी रखा गया वंचित

    भिवानी के बापोड़ा गांव निवासी लाला मंगतराय वैध उनके दो बेटे रामप्रताप गोयल, रामनिवास गोयल को मीसा के साथ हिसार जेल में बंद कर दिया गया था। इसके बाद 13 जुलाई 1975 को रामप्रताप के बेटे पीएल गोयल को भी गिरफ्तार कर लिया। पीएल गोयल ने वकालत की पढ़ाई के बाद न्यायिक सेवा की परीक्षा पास कर ली थी मगर नियुक्ति नहीं हुई थी।

    पीएल गोयल जेल में 18 माह 15 दिन बंद रहे। जेल में बंद रहते हुए जब अगले वर्ष 1976 की न्यायिक सेवा की परीक्षा के फार्म भरने चाहे तो मुख्य सचिव की ओर से जेल अधीक्षक को निर्देश आ गए कि मीसा के तहत बंदियों को परीक्षा फार्म भरने का ही अधिकार नहीं है।

    बाद में आपातकाल खत्म होने के बाद पीएल गोयल ने 1975 में उत्तीर्ण की परीक्षा के आधार न्यायिक सेवा में नियुक्ति के लिए हाईकोर्ट की शरण ली। हाईकोर्ट के आदेश पर गोयल न्यायिक सेवा में नियुक्त किए गए। गोयल ने न्यायिक सेवा में अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश रहते हुए स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की और अब फिलहाल फरीदाबाद में वकालत करते हैं।

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    '' 25 जून 1975 को भारत इतिहास के एक काले अध्याय का साक्षी बना, जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। आपातकाल में लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं, जनता व मीडिया का गला घोंट कर प्रमुख लोगों को जेल में डाल दिया गया। लोकतंत्र सेनानियों ने जो यातनाएं झेली वो अकल्पनीय हैं। लोकतंत्र रक्षकों को नमन।

                                                                                                  - मनोहर लाल, मुख्यमंत्री, हरियाणा। 

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    '' कांग्रेस द्वारा अपनी सत्ता को बचाने के लिए पूरे देश में 25 जून 1975 को आपातकाल लागू करना लोकतंत्र का सबसे काला अध्याय था। आपातकाल का मुखर विरोध करने वाले सभी नायकों को कोटि-कोटि नमन।

                                                                                - ओमप्रकाश धनखड़, अध्यक्ष, हरियाणा भाजपा । 

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