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    विदेश से MBBS की पढ़ाई करने वाले छात्रों मेडिकल काउंसिल से बड़ा झटका, भारत में करनी होगी दो से तीन साल की इंटर्नशिप

    Updated: Tue, 18 Jun 2024 02:57 PM (IST)

    विदेश से मेडिकल की पढ़ाई करने वाले हरियाणा के छात्रों को बड़ा झटका लगा है। यह झटका उन्हें हरियाणा मेडिकल काउंसिल की तरफ से लगा है। अब MBBS छात्रों को भारत लौटने पर दो से तीन साल की इंटर्नशिप करनी होगी। अब से ऑफलाइन प्रैक्टिकल्स या क्लीनिकल ट्रेनिंग की जगह ऑनलाइन क्लासेज करके हासिल किए गए सर्टिफिकेट को स्वीकार नहीं किया जाएगा।

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    विदेश से MBBS करके आने छात्रों को भारत में करनी होगी इंटर्नशिप

    राज्य ब्यूरो,चंडीगढ़। कम फीस के चक्कर में विदेश से एमबीबीएस की पढ़ाई कर लौटे हरियाणवी छात्रों को अब एक नहीं बल्कि दो से तीन साल की इंटर्नशिप करनी होगी। इसके बाद ही उन्हें डाक्टर का दर्जा मिल सकेगा। नेशनल मेडिकल कमीशन के इन आदेशों को हरियाणा सरकार ने लागू कर दिया है।

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    हरियाणा मेडिकल काउंसिल की ओर से जारी आदेश के मुताबिक बिना दो से तीन साल की इंटर्नशिप के बिना विदेश से एमबीबीएस की पढ़ाई कर लौटे छात्रों को डॉक्टर नहीं माना जा सकेगा।

    हरियाणा में महंगी है मेडिकल की पढ़ाई

    हरियाणा में चूंकि मेडिकल की पढ़ाई महंगी है। इसलिए छात्र एमबीबीएस के लिए रूस, चीन, यूक्रेन, किर्गिस्तान, फिलीपींस, जार्जिया, इजरायल और पोलैंड जाते हैं। इन देशों में पौने तीन लाख से 18 लाख रुपये तक में एमबीबीएस की पढ़ाई हो जाती है, जबकि हरियाणा में औसत 15 से 20 लाख रुपये वार्षिक का खर्च आता है।

    भारत में पढ़ने वाले इंडियन मेडिकल ग्रेजुएट्स (आइएमजी) को फौरन मेडिकल ग्रेजुएट एग्जामिनेशन (एफएमजीइ) की परीक्षा नहीं देनी होती। उनकी इंटर्नशिप का पीरियड सिर्फ एक साल का होता है। इंटर्नशिप पूरी करने के बाद रजिस्ट्रेशन के लिए भारत में पढ़े छात्रों और विदेश में पढ़े छात्रों की फीस का अंतर भी एक मुद्दा है।

    ऑनलाइन सर्टिफिकेट नहीं किए जाएंगे स्वीकार

    भारत के बाहर से एमबीबीएस कर लौटे छात्रों को फोरन मेडिकल ग्रेजुएट्स यानी एफएमजी कहा जाता है। उन्हें लेकर नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) ने पब्लिक नोटिस जारी किया है। इस नोटिस में कहा गया है कि कई एफएमजी गलत तरीके से आनलाइन कक्षाओं के लिए अपने मूल विश्वविद्यालयों से कंपेनसेटरी सर्टिफिकेट ले रहे हैं।

    यह पेशा बहुमूल्य मानव जीवन से जुड़ा है, इसलिए उनके जीवन को कम दक्ष लोगों के हाथों में दांव पर नहीं लगाया जा सकता इसलिए अंडर ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन बोर्ड (यूजीएमइबी) ने निर्णय लिया है कि अब से ऑफलाइन प्रैक्टिकल्स या क्लीनिकल ट्रेनिंग की जगह ऑनलाइन क्लासेज करके हासिल किए गए सर्टिफिकेट को स्वीकार नहीं किया जाएगा।

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    स्क्रीनिंग के बाद दिया जाता है प्रोविजनल मेडिकल रजिस्ट्रेशन

    हरियाणा मेडिकल काउंसिल ने आदेश में कहा है कि जिन फोरन मेडिकल ग्रेजुएट्स ने अपने पाठ्यक्रम पूरा करने के दौरान किसी भी अवधि के लिए अपनी कक्षाओं में आनलाइन भाग लिया है, उन्हें एफएमजी परीक्षा पास करने और उसके बाद दो से तीन साल की अवधि के लिए अनिवार्य रोटेटिंग मेडिकल इंटर्नशिप यानी सीआरएमआइ से गुजरना जरूरी है।

    विदेश से एमबीबीएस की पढ़ाई कर आने वाले छात्रों को भारत में मेडिकल प्रैक्टिस करने के लिए नेशनल बोर्ड आफ एग्जामिनेशन इन मेडिकल सर्विसेज द्वारा आयोजित फोरन मेडिकल ग्रेजुएट एग्जामिनेशन यानी (एफएमजीइ) को पास करना पड़ता है। यह स्क्रीनिंग परीक्षा पास करने के बाद ही उन्हें प्रोविजनल मेडिकल रजिस्ट्रेशन दिया जाता है।

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