Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    हरियाणा क्या कई राज्य भी नहीं कर पाए प्राइवेट नौकरियों में आरक्षण, ये है असल वजह; पढ़ें क्या कहते हैं संविधान के कानूनी-दांव पेच

    By Sudhir TanwarEdited By: Preeti Gupta
    Updated: Sat, 18 Nov 2023 11:09 AM (IST)

    हरियाणा में निजी क्षेत्र में की नौकरियाें में स्थानीय युवाओं को 75 प्रतिशत आरक्षण (Reservation In Private Sector Jobs) का कानून पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में नहीं टिक पाया। इससे पहले आंध्र प्रदेश कनार्टक महाराष्ट्र मध्य प्रदेश और झारखंड की सरकारों ने भी उद्योगों में स्थानीय युवाओं को 75 प्रतिशत आरक्षण का कानून बनाया था लेकिन कानूनी दांव-पेंचों के चलते कोई भी राज्य इसे पूरी तरह लागू नहीं कर पाया।

    Hero Image
    हरियाणा क्या कई राज्य भी नहीं कर पाए प्राइवेट नौकरियों में आरक्षण

    सुधीर तंवर, चंडीगढ़। Reservation In Private Sector Jobs in Haryana: हरियाणा में निजी क्षेत्र में 30 हजार रुपये तक की नौकरियाें में स्थानीय युवाओं को 75 प्रतिशत आरक्षण का कानून पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में नहीं टिक पाने के पीछे समानता का अधिकार रहा है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    इससे पहले आंध्र प्रदेश, कनार्टक, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और झारखंड की सरकारों ने भी उद्योगों में स्थानीय युवाओं को 75 प्रतिशत आरक्षण का कानून बनाया था, लेकिन कानूनी दांव-पेंचों के चलते कोई भी राज्य इसे पूरी तरह लागू नहीं कर पाया।

    सुप्रीम कोर्ट में भी फंस जाता है निजी क्षेत्र में आरक्षण का पेंच

    निजी क्षेत्र में आरक्षण को लेकर संबंधित राज्यों के हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक में पेंच फंसता रहा है। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश आरएम लोढा ने अपने एक फैसले में स्पष्ट कर दिया था कि प्राइवेट कंपनियां संविधान के अनुच्छेद 12 के तहत राज्य की परिभाषा में नहीं आतीं।

    उन पर मौलिक अधिकार लागू करने का दबाव नहीं डाला जा सकता। संविधान के मौलिक सिद्धांतों में रोजगार उपलब्ध कराना सरकार की जिम्मेदारी है, लेकिन इसमें यह भी सुनिश्चित करना होगा कि अनुच्छेद 14 में मिला बराबरी का अधिकार तो इससे प्रभावित नहीं होता।

    राज्य की परीधि से बाहर हैं निजी कंपनियां

    कानूनी विशेषज्ञों के मुताबिक संविधान में प्रत्येक नागरिक को कानून के समक्ष समानता, कहीं भी बसने और रोजगार की आजादी का मौलिक अधिकार है। संविधान के अनुसार निजी कंपनियां राज्य की परिधि से भी बाहर हैं। आरक्षण कानून को हाई कोर्ट में इन कसौटियों से गुजरना पड़ा।

    निवास के आधार पर नौकरी में आरक्षण असंवैधानिक : सुप्रीम कोर्ट

    वर्ष 1984 में सुप्रीम कोर्ट ने प्रदीप जैन मामले में निवास स्थान के आधार पर आरक्षण पर सुनवाई करते हुए टिप्पणी की थी कि निवास के आधार पर नौकरी में आरक्षण की नीतियां असंवैधानिक हैं।

    इसके बाद 1995 में सुनंदा रेड्डी केस में सुप्रीम कोर्ट ने प्रदीप जैन मामले में की गई टिप्पणी पर मुहर लगाते हुए आंध्र प्रदेश सरकार की तेलुगु माध्यम से पढ़ने वालों को पांच प्रतिशत अतिरिक्त लाभ देने के नियम को रद कर दिया था।

    निवास स्थान का मामला 2002 में भी आया था, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान की सरकारी शिक्षक भर्ती रद की थी। 2019 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भर्ती अधिसूचना रद की थी जिसमें उत्तर प्रदेश की मूल निवासी महिलाओं को प्राथमिकता की बात कही गई थी।

    उद्योगपतियों की आपत्तियों पर कानून में किए कई बदलाव

    उद्योगपतियों के सुझावों पर कानून में कुछ बदलाव भी किए गए। हरियाणा विधानसभा में पहले 50 हजार रुपये तक की नौकरियों में 75 फीसद आरक्षण की व्यवस्था की गई थी। उद्योग जगत की आपत्तियों के बाद अधिकतम वेतन की सीमा को 20 हजार रुपये घटा दिया गया।

    प्रदेश में पांच साल से रह रहे युवाओं को आरक्षण में किया शामिल

    आरक्षण में उन युवाओं को भी शामिल किया गया जो प्रदेश में पांच वर्ष से रह रहे हैं। इसके बावजूद उद्योगपतियों को नया नियम रास नहीं आया।

    उनका तर्क था कि नया कानून हरियाणा को गैर-प्रतिस्पर्धी और व्यापार के लिए अनाकर्षक बना देगा। इससे स्थानीय लोगों को नौकरी मिलने की बजाय छिनने लगेंगी। प्राइवेट कंपनियों का तर्क है कि उन्हें उद्योग की जरूरत के मुताबिक कुशल श्रमिक चाहिए, चाहे वह कहीं से हो।

    ह भी पढ़ें- Haryana: प्राइवेट सेक्टर की नौकरियों में 75 फीसदी आरक्षण देने का कानून रद्द, हाईकोर्ट में उद्योगपतियों ने दी थी चुनौती

    सरकार का यह तर्क

    मुख्यमंत्री मनोहर लाल कहते हैं कि आरक्षण नियमों से नए उद्योग प्रभावित नहीं होंगे। 30 हजार रुपये से अधिक के वेतन वाली नौकरियों के मामले में कंपनियों पर किसी तरह का दबाव नहीं बनाया जाएगा।

    औद्योगिक संघों, उद्यमियों और अन्य हितधारकों के साथ कई दौर की बैठकों के बाद उनके सुझावों के आधार पर यह कानून लागू किया गया है। इसलिए औद्योगिक क्षेत्र के हित प्रभावित होने का सवाल ही नहीं उठता।

    जजपा के दबाव में बनाया गया कानून

    हरियाणा की गठबंधन सरकार में साझीदार जननायक जनता पार्टी के दबाव में यह कानून बनाया गया था। जजपा ने अपने चुनाव घोषणापत्र में यह वादा किया था। बाकायदा कानून का उल्लंघन करने पर नियोक्ता पर 25 हजार रुपये से पांच लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रविधान भी कर दिया गया। राजस्थान में भी जजपा हरियाणा की तर्ज पर वहां के प्राइवेट सेक्टर की नौकरियों में 75 प्रतिशत आरक्षण देने का वादा कर रही है।

    यह भी पढ़ें- Haryana Weather Today: हरियाणा में ठंड ने दी दस्तक, रात-दिन के तापमान में बढ़ा अंतर; एक सप्ताह परिवर्तनशील रहेगा मौसम