मानेसर जमीन घोटाला मामले में हाईकोर्ट ने बढ़ाई पूर्व CM भूपिंदर हुड्डा की मुश्किलें, सीबीआई को नोटिस जारी
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने मानेसर जमीन घोटाला मामले में भूपिंदर सिंह हुड्डा की याचिका पर सीबीआई को नोटिस जारी किया है। हुड्डा ने पंचकूला स्थित सीबीआई अदालत के आदेश को चुनौती दी है, जिसमें उनके खिलाफ आरोप तय करने की कार्यवाही को आगे बढ़ाने का फैसला किया गया था। अदालत ने सीबीआई को 16 अक्टूबर तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। इस मामले में हुड्डा समेत कई पूर्व अधिकारी आरोपित हैं।
-1760004553257.webp)
हाई कोर्ट ने मानेसर जमीन घोटाला मामले में भूपिंदर सिंह हुड्डा की याचिका पर सीबीआई को नोटिस जारी किया (फाइल फोटो)
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने गुरुवार को मानेसर जमीन घोटाला मामले में पूर्व हरियाणा मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा की याचिका पर सुनवाई करते हुए सीबीआई को नोटिस जारी किया है। हुड्डा ने पंचकूला स्थित विशेष सीबीआई अदालत के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें अदालत ने उनके खिलाफ आरोप तय करने की कार्यवाही आगे बढ़ाने का फैसला किया था।पूर्व मुख्यमंत्री की ओर से दाखिल याचिका में 19 सितंबर को विशेष सीबीआई जज, पंचकूला द्वारा पारित आदेश को रद्द करने की मांग की गई है।
उस आदेश में अदालत ने हुड्डा की वह अर्जी खारिज कर दी थी जिसमें उन्होंने कार्यवाही स्थगित करने की मांग की थी। साथ ही अदालत ने अगले दिन आरोप तय करने की प्रक्रिया आगे बढ़ाने का निर्देश दिया था। अब यह मामला 30 अक्टूबर को विशेष सीबीआई अदालत में सुनवाई के लिए तय है। हुड्डा की ओर से दलील दी गई है कि ट्रायल कोर्ट का आरोप तय करने का निर्णय कानूनन गलत है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट द्वारा कुछ सह-आरोपितों के खिलाफ कार्यवाही पर रोक लगाई गई है।
ऐसे में अन्य आरोपितों के खिलाफ आरोप तय करना मुकदमे को “अलग-अलग हिस्सों में बांटने” जैसा होगा, जो कानूनन मान्य नहीं है। याचिका में कहा गया है कि आरोप पत्र में सभी अभियुक्तों के खिलाफ साजिश के समान आरोप लगाए गए हैं, जो आपस में इतने जुड़े हुए हैं कि उन्हें अलग-अलग नहीं किया जा सकता।हुड्डा के वकील ने दलील दी कि विशेष अदालत ने केवल इस आधार पर हुड्डा की अर्जी खारिज कर दी कि सुप्रीम कोर्ट ने कार्यवाही पर रोक केवल उन्हीं आरोपितों के लिए लगाई है जिन्होंने विशेष अनुमति याचिका दायर की थी।
जबकि अदालत की यह दलील गलत है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट द्वारा राहत केवल याचिकाकर्ताओं को दी जाती है, न कि उन लोगों को जिनकी याचिका अदालत में नहीं है। इसलिए इसे अन्य आरोपियों के लिए राहत का “इंकार” नहीं माना जा सकता।सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद जस्टिस त्रिभुवन दहिया की एकल पीठ ने सीबीआई को 16 अक्टूबर तक जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।
मानेसर भूमि घोटाला में आरोप है कि गुरुग्राम जिले के मानेसर और आसपास के गांवों के किसानों से सरकारी उद्देश्य के नाम पर सैकड़ों एकड़ जमीन सस्ते दामों पर अधिग्रहित की गई, लेकिन बाद में उन्हीं जमीनों को रियल एस्टेट कंपनियों, बिल्डरों और कालोनाइजरों को अत्यधिक रियायतों के साथ लाइसेंस जारी कर दिए गए।इस पूरे प्रकरण में पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा समेत कई पूर्व अधिकारी और अन्य व्यक्ति आरोपित बनाए गए हैं। मामला फिलहाल विशेष सीबीआई अदालत पंचकूला में विचाराधीन है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।