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    हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: हरियाणा में संविदा चालक की सेवा समाप्ति रद, बकाया वेतन देने के दिए निर्देश 

    Updated: Thu, 18 Dec 2025 04:18 PM (IST)

    पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने संविदा कर्मचारी की सेवा बिना कारण बताए समाप्त करने को अवैध ठहराया है। जस्टिस हरप्रीत सिंह बराड़ ने चालक छबिल्ला की याचि ...और पढ़ें

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    हरियाणा में संविदा चालक की सेवा समाप्ति रद। सांकेतिक फोटो

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने संविदा कर्मचारी की सेवा बिना कारण बताए और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन किए बिना समाप्त किए जाने को अवैध ठहराते हुए बड़ा राहत भरा फैसला सुनाया है।

    जस्टिस हरप्रीत सिंह बराड़ की एकल पीठ ने चालक छबिल्ला की याचिका स्वीकार करते हुए बैंक प्रबंधन द्वारा पारित सेवा समाप्ति से जुड़े सभी आदेश रद्द कर दिए हैं और याची को बकाया वेतन देने के साथ-साथ नए सिरे से कानून के अनुसार निर्णय लेने के निर्देश दिए हैं।

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    याचिका में छबिल्ला ने अदालत को बताया कि उन्हें 9 अक्तूबर 2017 को आउटसोर्सिंग के माध्यम से चालक के पद पर नियुक्त किया गया था और बाद में हरियाणा कौशल रोजगार निगम लिमिटेड के जरिए पुन तैनात किया गया।

    उन्होंने आठ वर्ष से अधिक निरंतर सेवा दी है, जिससे वे हरियाणा संविदा कर्मचारी (सेवा सुरक्षा) अध्यादेश, 2024 के तहत संरक्षण के पात्र हो चुके थे। इसके बावजूद 31 मार्च 2025 को हरियाणा सहकारी बैंक प्रबंधन ने एक एजेंडा और पत्र जारी कर उनकी सेवाएं समाप्त कर दीं। याची का आरोप था कि उन्हें हटाने से पहले न तो कोई कारण बताया गया और न ही सुनवाई का अवसर दिया गया।

    इतना ही नहीं, उनके स्थान पर एक नए चालक की नियुक्ति कर दी गई। याची ने इसे न केवल 2022 की संविदा कर्मियों की तैनाती नीति का उल्लंघन बताया, बल्कि प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के भी खिलाफ बताया।

    वहीं, बैंक प्रबंधन की ओर से दलील दी गई कि वाहन उपलब्ध न होने के कारण प्रशासनिक आवश्यकता के चलते चालक की सेवाएं समाप्त की गई और यह कार्रवाई दंडात्मक नहीं थी, इसलिए किसी नोटिस या सुनवाई की आवश्यकता नहीं थी।

    दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने स्पष्ट किया कि हरियाणा कौशल रोजगार निगम के माध्यम से तैनात संविदा कर्मचारियों की सेवा समाप्ति के लिए 2022 की नीति और 1 अगस्त 2024 को जारी निर्देशों में स्पष्ट प्रक्रिया निर्धारित है।

    इनमें शिकायत दर्ज करना, कारण बताओ नोटिस जारी करना, जवाब लेने के बाद व्यक्तिगत सुनवाई और समिति द्वारा कारण युक्त निर्णय अनिवार्य है। अदालत ने पाया कि इस पूरे मामले में इन प्रक्रियाओं में से किसी का भी पालन नहीं किया गया।

    हाईकोर्ट ने राज्य और संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे दो माह के भीतर याची को सुनवाई का पूरा अवसर देते हुए कानून के अनुसार नया निर्णय लें।

    इसके साथ ही अदालत ने स्पष्ट किया कि 31 मार्च 2025 से सेवा समाप्ति की तारीख तक का पूरा बकाया वेतन याची को तीन माह के भीतर अदा किया जाए। जब तक नया निर्णय नहीं लिया जाता, तब तक पूर्व स्थिति बनाए रखने के भी आदेश दिए गए हैं ।