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    हरियाणा: रिश्तेदार को जमानत देना मजिस्ट्रेट को पड़ा भारी, मामला पहुंचा हाईकोर्ट; मांगा स्पष्टीकरण

    Updated: Sat, 08 Nov 2025 05:02 PM (IST)

    पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने फरीदाबाद की मजिस्ट्रेट वंदना से स्पष्टीकरण मांगा है, जिन पर अपने रिश्तेदार आरोपी ऋषभ वालिया को जमानत देने का आरोप है। याचिकाकर्ता आकाश वालिया ने मजिस्ट्रेट पर रिश्तेदारी के बावजूद जमानत देने का आरोप लगाया है। अदालत ने मजिस्ट्रेट से सीलबंद लिफाफे में टिप्पणी मांगी है और अगली सुनवाई 26 नवंबर को तय की है।

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    हरियाणा: रिश्तेदार को जमानत देना मजिस्ट्रेट को पड़ा भारी। सांकेतिक फोटो

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने एक अहम मामले में याचिका पर सुनवाई करते हुए फरीदाबाद की न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी वंदना से स्पष्टीकरण मांगा है। आरोप है कि उन्होंने अपने ही रिश्तेदार आरोपित को जमानत दे दी।

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    यह मामला आरोपी ऋषभ वालिया से जुड़ा है, जिसे न्यायिक मजिस्ट्रेट वंदना ने उस केस में जमानत दी थी, जो भारतीय दंड संहिता की धारा 195 ए (झूठा सबूत देने के लिए धमकाने) और धारा 506 (आपराधिक धमकी) के तहत दर्ज किया गया था।

    याचिकाकर्ता आकाश वालिया ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर आरोप लगाया कि मजिस्ट्रेट वंदना, आरोपित ऋषभ वालिया की कजिन सिस्टर हैं, इसलिए उन्हें इस मामले की सुनवाई नहीं करनी चाहिए थी।

    उन्होंने कहा कि रिश्तेदारी के बावजूद जमानत देना न्यायिक मर्यादाओं के विरुद्ध है और इससे निष्पक्षता पर प्रश्न उठता है। मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस सुमित गोयल ने कहा, इस मामले में आगे बढ़ने से पहले कोर्ट उचित समझता है कि संबंधित न्यायिक अधिकारी से टिप्पणियां प्राप्त की जाएं।

    रजिस्ट्रार जनरल को निर्देश दिया जाता है कि मजिस्ट्रेट वंदना से उनकी टिप्पणी सीलबंद लिफाफे में मंगाई जाए और अगली सुनवाई पर अदालत के समक्ष पेश की जाए। सरकार की ओर से दाखिल जवाब में कहा गया कि वंदना वालिया, आरोपित ऋषभ वालिया की दूर की रिश्तेदार हैं।

    उधर, जब मजिस्ट्रेट वंदना ने आरोपित को जमानत दी थी, तब उन्होंने आदेश में यह सवाल उठाया था कि आखिर धारा 195 ए आईपीसी इस मामले में कैसे लागू होती है।

    उन्होंने कहा था कि यह धारा तभी लागू होती है जब किसी गवाह या व्यक्ति को अदालत में झूठा बयान देने के लिए धमकाया गया है, जबकि एफआईआर और पुलिस रिकार्ड में ऐसा कोई संकेत नहीं है।

    हाईकोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 26 नवंबर के लिए तय की है। अदालत ने स्पष्ट किया है कि न्यायिक अधिकारी की टिप्पणी प्राप्त होने के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी ।