Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    हाईकोर्ट में लोक अदालत आयोजित, 143 मामलों का निपटारा कर 6 करोड़ 25 लाख का दिया मुआवजा

    Updated: Sat, 13 Sep 2025 07:07 PM (IST)

    पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में राष्ट्रीय लोक अदालत में 443 में से 143 मामलों का निपटारा हुआ जिसमें 62561176 रुपए का मुआवजा दिया गया। चीफ जस्टिस शील नागू की देखरेख में दस पीठों ने मामलों का निपटारा किया। मोटर दुर्घटना दावा मामलों का निपटारा किया गया। स्वाति सहगल ने सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया और भविष्य में और अधिक मामलों के निपटारे की आशा जताई।

    Hero Image
    हाईकोर्ट में लोक अदालत आयोजित, कई मामलों का हुआ निपटारा। फोटो जागरण

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में आज राष्ट्रीय लोक अदालत में सूचीबद्ध 443 मामलों में से 143 का निपटारा किया गया और 6,25,61,176 रुपए का मुआवजा दिलाया गया, जिनमें से अधिकतर मोटर दुर्घटना दावा मामले थे।

    यह अभ्यास हाईकोर्ट विधिक सेवा समिति के मुख्य संरक्षक चीफ जस्टिस शील नागू और समिति के अध्यक्ष जस्टिस अनूपिंदर सिंह ग्रेवाल की देखरेख में आयोजित किया गया। निपटान योग्य मामलों की सुनवाई और पक्षों के बीच सौहार्दपूर्ण समाधान को बढ़ावा देने के लिए दस लोक अदालत पीठों का गठन किया गया था।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    पीठों की अध्यक्षता जस्टिस संदीप मौदगिल, जस्टिस आलोक जैन, जस्टिस सुदीप्ति शर्मा, जस्टिस दीपिंदर सिंह नलवा, जस्टिस मनदीप पन्नू, जस्टिस अमरिंदर सिंह ग्रेवाल, जस्टिस प्रमोद गोयल, जस्टिस रूपिंदरजीत चहल, जस्टिस आराधना साहनी और जस्टिस रमेश कुमारी ने की। कुल 443 मामलों में से 143 का निपटारा समझौते के माध्यम से सफलतापूर्वक किया गया। इनमें से अधिकांश मामले मोटर दुर्घटना दावों से संबंधित थे।

    लोक अदालत, लंबित मामलों को कम करने और वैकल्पिक विवाद समाधान को प्रोत्साहित करने के लिए राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) की राष्ट्रव्यापी पहल का एक हिस्सा है। यह वादियों को लंबी मुकदमेबाजी से बचने के लिए एक लागत-प्रभावी और त्वरित मंच प्रदान करती है।

    न्यायाधीशों, वकीलों, पक्षकारों और न्यायालय कर्मचारियों के सहयोग के लिए आभार व्यक्त करते हुए हाईकोर्ट विधिक सेवा समिति की सचिव स्वाति सहगल ने कहा कि भविष्य में और अधिक मामलों की पहचान की जाएगी ताकि लोक अदालतों के माध्यम से अधिक संख्या में मामलों का निपटारा किया जा सके।