कोर्ट रूम में एआई का इस्तेमाल कर वकील दे रहे थे जवाब, फिर हाईकोर्ट ने जो किया...
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने अदालत में बहस के दौरान वकीलों द्वारा मोबाइल फोन के इस्तेमाल पर नाराजगी जताई है। इसे अनुशासनहीन और गैर-पेशेवर रवैया करार दिया है। कोर्ट ने कहा कि बहस के दौरान मोबाइल फोन का उपयोग अदालत के प्रति असम्मान दर्शाता है। वकीलों को पहले से तैयारी करनी चाहिए।

दयानंद शर्मा, चंडीगढ़। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने अदालत में बहस के दौरान वकीलों द्वारा मोबाइल फोन से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) टूल्स और गूगल का इस्तेमाल कर जवाब देने की प्रवृत्ति पर सख्त नाराजगी जताई है। अदालत ने इसे अनुशासनहीन और गैर-पेशेवर रवैया करार देते हुए एक वकील का मोबाइल फोन अस्थायी रूप से जब्त भी कर लिया।
जस्टिस संजय वशिष्ठ ने स्पष्ट किया कि अदालत में इस तरह का व्यवहार बिल्कुल अस्वीकार्य है। उन्होंने कहा कि पहली बात तो यह कि बहस के दौरान मोबाइल फोन का उपयोग अदालत के प्रति असम्मान और गैर-पेशेवर रवैये को दर्शाता है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। दूसरी बात, मोबाइल फोन को पेशेवर उपकरण नहीं माना जा सकता।
लैपटॉप या आइपैड जैसे उपकरण तो ऑफिस सेटअप और केस फाइलों से जुड़े होते हैं, पर मोबाइल फोन व्यक्तिगत उपकरण है, जिसका उपयोग अदालत की कार्यवाही में उचित नहीं है। जस्टिस वशिष्ठ ने यह भी कहा कि अगर किसी वकील को अदालत में किसी सवाल का जवाब देना है तो उसे पहले से तैयारी करनी चाहिए, न कि सुनवाई के दौरान मोबाइल से जानकारी निकालनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में बार-बार यह देखा गया है कि कई वकील अदालत में खड़े होकर मोबाइल पर जानकारी ढूंढते हैं, जिससे कार्यवाही में व्यवधान पड़ता है और अदालत को उनके इंतजार में सुनवाई रोकनी पड़ती है। अदालत ने कहा कि ऐसी घटनाएं लगातार हो रही हैं और कुछ मामलों में मोबाइल फोन तक जब्त करने पड़े हैं।
जस्टिस वशिष्ठ ने निर्देश दिया कि इस आदेश की प्रति बार एसोसिएशन के अध्यक्ष और सचिव को भेजी जाए ताकि वे अपने सदस्यों को चेतावनी दे सकें कि भविष्य में अदालत को कोई कठोर कदम उठाने के लिए मजबूर न होना पड़े। यह सख्त टिप्पणी दो मामलों की सुनवाई के दौरान की गई।
दोनों ही मामलों में वकीलों ने अदालत के प्रश्नों के उत्तर मोबाइल फोन से खोजने की कोशिश की थी। अदालत ने स्पष्ट किया कि अदालत कक्ष में तकनीक का उपयोग केवल पेशेवर उपकरणों तक सीमित होना चाहिए और वकीलों को अपनी तैयारी अदालत में आने से पहले पूरी करनी चाहिए, ताकि न्यायिक गरिमा और कार्यवाही की गंभीरता बनी रहे।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।