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दिल्ली एनसीआर से पैदल ही परिवार के साथ पलायन कर रहे मजदूर, राहत को उठे कदम

कोराेना के कारण लागू लॉक डाउन के कारण श्रमिकाे का पलायन हो रहा है। खासकर हरियाणा के एनसीआर क्षेत्र से मजदूर भारी संख्‍या में परिवार के साथ पलायन कर रहे हैं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sat, 28 Mar 2020 09:24 AM (IST)Updated: Sat, 28 Mar 2020 09:24 AM (IST)
दिल्ली एनसीआर से पैदल ही परिवार के साथ पलायन कर रहे मजदूर, राहत को उठे कदम
दिल्ली एनसीआर से पैदल ही परिवार के साथ पलायन कर रहे मजदूर, राहत को उठे कदम

नई दिल्ली, [बिजेंद्र बंसल]। कोरोना वायरस फैलने से रोकने के लिए किए गए देशव्यापी लाॅक डाउन के दौरान कुछ लोगों की संवेदनहीनता मजदूर वर्ग पर भारी पड़ रही है। दिल्ली एनसीआर से मजदूर भारी संख्‍या में परिवार के साथ अपने गांवों की ओर पलायन कर रहे है। इनमें ज्यादातर मजदूर निर्माण क्षेत्र से जुड़े हैं। रेल, बस  सार्वजनिक और निजी परिवहन सेवा बंद होने से ये मजदूर पैदल ही परिवार के साथ अपने पैतृक गांवों की ओर निकल पड़े हैं। दूसरी ओर, हरियाणा सरकार ने उनको राहत देने के लिए भी कदम उठाए हैं।

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ठेकेदार और मकान मालिकों की बेरुखी से मजदूर लौट रहे हैं पैतृक गांव

असल में यह सब इन मजदूरों के ठेकेदार और मकान मालिक की लताड़ और काम की अनिश्चितता के कारण हो रहा है। ठेकेदारों और मकान मालिकों की यह बेरुखी बिहार व उत्तर प्रदेश से आए सभी मजदूरों के साथ है। बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश का मजदूर सिर्फ शासन-प्रशासन से मदद की गुहार लगा रहा है जबकि आगरा और झांसी मंडल में रहने वाले मजदूरों ने अपने गांव की ओर रुख कर लिया है। दिल्ली-आगरा राष्ट्रीय राजमार्ग पर पिछले दो दिन से मजदूरों के जत्थे जरूरी सामान के साथ पैदल जाते हुए दिखाई दे रहे हैं।

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रोते-बिलखते बच्चों के साथ जा रहे मजदूरों की मदद को आगे आईं सामाजिक संस्थाएं

मजदूर दंपति रोते-बिलखते बच्चों के साथ जब दिल्ली, नोएडा,गुरुग्राम से दिल्ली-आगरा राष्ट्रीय राजमार्ग नंबर-19 पर पैदल निकले तो फरीदाबाद में इन मजदूरों को भोजन-पानी के लिए सामाजिक संस्थाएं भी सामने आईं। भारत विकास परिषद के उत्तर क्षेत्र के संयोजक राजकुमार अग्रवाल ने बताया कि इन मजदूरों की हालत परिवार के साथ 15 से 20 किलोमीटर पैदल चलने के बाद खराब हो रही है।

सामाजिक संस्थाएं इस दौरान सिर्फ उन्हें खाद्य सामग्री ही उपलब्ध करा पा रही हैं जबकि इन्हें सरकारी परिवहन व्यवस्था से गतंव्य भेजना चाहिए। फरीदाबाद की अंजुमन इस्लामिया संस्था के सदर हाजी अरशद ने अपनी पूरी टीम के साथ इन मजदूर परिवारों के लिए बृहस्पतिवार सायं से ही भोजन उपलब्ध कराया हुआ है। फरीदाबाद से आगे भी राजमार्ग से लगते गांवों के लोग इन मजदूरों के खानपान का इंतजाम कर रहे हैं।

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'' सरकार की तरफ से बृहस्पतिवार और शुक्रवार सुबह तो कुछ बसों से इन मजदूरों को उत्तर प्रदेश बॉर्डर पर पहुंचाया गया मगर अब इन्हें यहीं रोका जा रहा है। दिल्ली और नोएडा से आ रहे मजदूरों को फरीदाबाद के सराय ख्वाजा, तिलपत व सेहतपुर के सरकारी स्कूलों को रोका जा रहा है। इसमें पुलिस सहयोग भी लिया जा रहा है। इन मजदूरों को लॉक डाउन के दौरान खाने और रहने सहित दवा का इंतजाम किया गया है। इनके पलायन करने से लॉक डाउन के बाद स्थिति और ज्यादा खराब होगी इसलिए इन्हें रोका जा रहा है।

                                                               - अजय गौड, हरियाणा के मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकार।

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राहत शिविरों में होगा मजदूरों का ठहराव : मनोहर लाल

दूसरी ओर, मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने लॉक डाउन में निर्माण क्षेत्र व अन्य फैक्टरियों के बंद होने के कारण अपने पैतृक गांव की ओर जा रहे मजदूरों से अपील कि है कि जो जहां है, वहीं रहे। उन्होंने कहाकि सरकार की तरफ से सभी प्रशासनिक अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि मजदूरों को स्कूल, धर्मशाला के भवनों में राहत शिविर बनाकर ठहराया जाए। इस दौरान मजदूरों के ठहरने से लेकर खानपान और दवाईयों का पूरा इंतजाम रहेगा।

मुख्यमंत्री ने माना कि मजदूर अपने स्वास्थ्य से ज्यादा अपने भविष्य की चिंता में लग गया है मगर सरकार ऐसे सभी लोगों को विश्वास दिला रही है कि कोरोना वायरस के प्रकोप से स्थिति सामान्य होने पर पहले जैसी ही स्थिति हो जाएगी। फिलहाल मजदूर अपने पैतृक गांव तब तक नहीं जाएं जब तक कि उन्हें कोई बड़ी एमरजेंसी न हो। मुख्यमंत्री ने इसके बाद सभी जिलों खासतौर पर गुरुग्राम, सोनीपत,पानीपत, फरीदाबाद, पलवल जिला के उपायुक्तों से इस बाबत स्थिति का जायजा लिया। सभी उपायुक्तों को उन्होंने तत्काल प्रभाव से राहत शिविर लगवाने का आदेश दिए।

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मजदूरों के लिए जनता किचन स्थापित करे सरकार : सैलजा

पलायन कर रहे मजदूरों की सहायता के लिए हरियाणा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कुमारी सैलजा ने भी आवाज उठाई है। सैलज ने राज्य सरकार से मांग की है कि श्रमिकों के लिए तुरंत गांव व शहर में जनता किचन स्थापित की जाए। इसके अलावा सैलजा ने कुछ और मुद्दों को लेकर मुख्यमंत्री मनोहर लाल को पत्र लिखा है। सैलजा में अपने पत्र में ये प्रमुख मांग की हैं-

- मजदूरों को अगले तीन माह तक 4500 की बजाए दस हजार रुपये प्रति माह के हिसाब से वित्तीय सहायता दी जाए।

-सरकार निर्माण क्षेत्र और फैक्ट्रियों में काम करने वाले अस्थायी मजदूरों को तीन माह तक निश्शुल्क राशन दे।

-सरकार सुनश्चित करे कि लॉक डाउन के दौरान कोई छंटनी न हो।

-छंटनी और वेतन से संबंधित शिकायतों के लिए सरकार एक हेल्पलाइन नंबर जारी करे।

-जो मजदूर पलायन कर रहे हैं, उन्हें राहत शिविरों में रोका जाए और उनके रहने व खानपान की व्यवस्था की जाए।

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