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    Haryana News: संयुक्त संसदीय समिति से कराएं Adani और Sebi मुखिया के रिश्तों की जांच, कुमारी सैलजा ने लगाए गंभीर आरोप

    Updated: Tue, 13 Aug 2024 10:34 PM (IST)

    सिरसा सांसद कुमारी सैलजा ने अदानी से सेबी मुखिया के रिश्तों की जांच संयुक्त संसदीय समिति से कराए जाने की मांग की है। बीते साल जनवरी में हिंडनबर्ग ने उन्हें बेनकाब कर दिया था। छोटे और मध्यम निवेशक अपनी मेहनत की कमाई शेयर बाजार में सेबी के विश्वास पर लगाते हैं। जब सेबी ही सवालों के घेरे में हो तो उनका भरोसा कैसे बना रहेगा।

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    कुमारी सैलजा ने अदानी और सेबी चीफ पर लगाए गंभीर आरोप (फाइल फोटो)।

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। कांग्रेस महासचिव और सिरसा की कांग्रेस सांसद कुमारी सैलजा ने कहा कि अदानी से सेबी मुखिया के रिश्तों की जांच संयुक्त संसदीय समिति से कराई जाए। पिछले साल जनवरी में हिंडनबर्ग ने उन्हें बेनकाब कर दिया था, लेकिन सेबी ने सुप्रीम कोर्ट के सामने अदानी को क्लीन चिट दे दी थी। अब उसी सेबी के मुखिया के अदानी के साथ वित्तीय रिश्ते भी उजागर हो गए हैं।

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    सैलजा ने कहा कि छोटे और मध्यम निवेशक अपनी मेहनत की कमाई शेयर बाजार में सेबी के विश्वास पर लगाते हैं। जब सेबी ही सवालों के घेरे में हो तो उनका भरोसा कैसे बना रहेगा। इसलिए कांग्रेस मांग करती हैं कि इस महाघोटाले का पूरी तरह पर्दाफाश करने के लिए जेपीसी से जांच कराई जानी चाहिए।

    46 पन्नों की रिपोर्ट की जारी

    सैलजा ने कहा कि 10 अगस्त को हिंडनबर्ग ने सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच और अदानी ग्रुप के संबंध में 46 पन्नों की एक रिपोर्ट जारी की थी। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सेबी की चेयरपर्सन बुच और उनके पति धबल बुच ने बरमूडा और मारीशस में अस्पष्ट विदेशी कोषों में अघोषित निवेश किया था।

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    अदानी ने ऐसे उठाया लाभ

    यह वही कोष हैं जिनका कथित तौर पर विनोद अदानी ने पैसों की हेराफेरी करने और समूह की कंपनियों के शेयरों की कीमतें बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया था। रिपोर्ट का दावा है कि बुच दंपती ने मॉरीशस की उसी आफशोर कंपनी में निवेश किया है, जिसके जरिए भारत में अदानी ग्रुप की कंपनियों में निवेश करवाकर अदानी ने लाभ उठाया था। इसे व्यापार का गलत तरीका माना जाता है।

    मामले की हो गहनता से जांच- कुमारी शैलजा

    कांग्रेस महासचिव ने कहा कि सेबी को संबंधित फंडों की जांच करने का जिम्मा सौंपा गया था, जिसमें बुच द्वारा भी निवेश किया गया था। साफ है कि सेबी प्रमुख और अदानी ग्रुप के हित एक-दूसरे से जुड़े हुए थे। यह हितों का एक बड़ा टकराव है। पूरे मामले की गहनता से जांच होनी चाहिए।

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