बस हादसे में दिव्यांग हुए कंडक्टर को मिला न्याय, 20 साल बाद मिला लाखों का मुआवजा
पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने 2006 में भिवानी में हुए एक बस हादसे में स्थायी दिव्यांगता झेल रहे कंडक्टर राम सिंह को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने मुआवजे की रा ...और पढ़ें
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खच्चर से टकराई बस हादसे में दिव्यांग हुए कंडक्टर को 20 साल बाद मिला इंसाफ।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने सड़क हादसे में स्थायी दिव्यांगता झेल रहे एक बस कंडक्टर को बड़ी राहत देते हुए मुआवजे की राशि लगभग छह गुना बढ़ा दी है। कोर्ट ने कहा कि पहले दिया गया मुआवजा अपर्याप्त था और चोटों की गंभीरता का सही आकलन किए बगैर इसे तय किया गया था।
जस्टिस हरकेश मनुजा ने हरियाणा के भिवानी जिले के चिकनवास गांव के पास वर्ष 2006 में हुए हादसे में घायल हुए राम सिंह को देय मुआवजे का पुनर्मूल्यांकन करते हुए मोटर एक्सीडेंट क्लेम्स ट्रिब्यूनल भिवानी द्वारा दिए गए एक लाख रुपये के मुआवजे को रद कर दिया। हाईकोर्ट ने कुल मुआवजा 5 लाख 91 हजार 500 रुपये तय किया और उस पर नौ प्रतिशत ब्याज देने का भी निर्देश दिया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि तीन महीने के भीतर राशि का भुगतान नहीं किया गया तो आगे यह 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ देय होगी।
हादसा 26–27 नवंबर 2006 की रात करीब 3.30 बजे हुआ था। सिरसा से भिवानी जा रही बस अचानक सड़क पर आए एक खच्चर से टकरा गई। इसके बाद सामने से आ रहे वाहन की तेज हेडलाइट से चालक की आंखें चौंधिया गईं और बस सड़क किनारे पेड़ से टकराकर पलट गई। इस दुर्घटना में बस कंडक्टर राम सिंह को गंभीर चोटें आईं और उनके दाहिने पैर में 40 प्रतिशत स्थायी दिव्यांगता रह गई। राम सिंह को लगभग एक महीने तक अस्पताल में भर्ती रहना पड़ा और बाद में दोबारा इलाज कराना पड़ा।
ट्रिब्यूनल ने चालक को लापरवाह मानते हुए मात्र एक लाख रुपये का मुआवजा 7.5 प्रतिशत ब्याज के साथ दिया था, जिसे हाईकोर्ट ने पूरी तरह असंगत बताया। कोर्ट ने कहा कि राम सिंह की उम्र हादसे के समय 45 वर्ष थी और कोर्ट ने उनकी काल्पनिक मासिक आय 3,000 रुपये तय की। 35 प्रतिशत कार्यात्मक दिव्यांगता और भविष्य की आय संभावनाओं को जोड़ते हुए कोर्ट ने भविष्य की आय हानि के रूप में 2,20,500 रुपये मंजूर किए। इसके अलावा विशेष आहार, आवागमन और परिचर खर्च के लिए 1 लाख रुपये तथा दर्द और पीड़ा के लिए भी एक लाख रुपये दिए गए।
हादसे के शिकार व्यक्ति से यह अपेक्षा नहीं की जा सकती कि वह हर बिल और रसीद संभालकर रखे। यद्यपि रिकॉर्ड पर पेश बिल करीब 45,800 रुपये के थे, लेकिन चोटों की प्रकृति, लंबे इलाज और अस्पताल में भर्ती रहने की अवधि को देखते हुए चिकित्सा खर्च 1.5 लाख रुपये आंका। इस तरह कुल मुआवजा 5,91,500 रुपये तय किया गया।

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