SIT बने 3 दिन बीते, गिरफ्तारी तो दूर किसी आरोपी को समन तक नहीं भेजे; न्याय की राह देख रहा IPS पूरन का परिवार
हरियाणा के आईपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार की आत्महत्या के सात दिन बाद भी पुलिस जांच में कोई प्रगति नहीं हुई है। एसआईटी का गठन किया गया है, लेकिन अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है। परिजनों ने वरिष्ठ अधिकारियों पर मानसिक प्रताड़ना का आरोप लगाया है, लेकिन एफआईआर में किसी का नाम नहीं जोड़ा गया है।
-1760368059017.webp)
7 दिन बाद भी न्याय की राह देख रहा IPS पूरन का परिवार। फोटो जागरण
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। हरियाणा के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार के आत्महत्या को आज सात दिन बीत चुके हैं, लेकिन पुलिस की जांच अब भी शून्य पर खड़ी है। पुलिस ने इस मामले में स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) बनाकर औपचारिकता तो पूरी कर दी, लेकिन अभी तक टीम ने जांच तक शुरू नहीं की है। एसआईटी बने भी तीन दिन बीत चुके हैं, लेकिन अभी तक किसी की गिरफ्तारी तो दूर, समन तक नहीं भेजे गए हैं।
सूत्रों के अनुसार इस संवेदनशील मामले में गठित छह सदस्यीय एसआईटी अब तक घटनास्थल का मुआयना तक नहीं कर पाई है। पुलिस की इस सुस्ती और अनदेखी ने पूरे विभाग की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। पूरन कुमार की आत्महत्या के बाद परिजनों ने कुछ वरिष्ठ अधिकारियों पर मानसिक प्रताड़ना और दबाव डालने के गंभीर आरोप लगाए थे।
परिवार ने मांग की थी कि इन अधिकारियों के नाम एफआईआर में स्पष्ट रूप से दर्ज किए जाएं, लेकिन सात दिन बाद भी एफआईआर में किसी का नाम नहीं जोड़ा गया है। एसआईटी न तो आरोपितों को समन भेज पाई, न ही गिरफ्तारी की दिशा में कोई कदम उठाया गया है। एसआईटी के सदस्य अभी तक मामले से जुड़े जरूरी दस्तावेजों और बयानों का संग्रह भी शुरू नहीं कर पाए हैं। परिवार ने पुलिस पर कई स्तरों पर लापरवाही और असंवेदनशीलता का आरोप लगाया है।
सात दिन बाद भी नहीं हुआ पोस्टमार्टम
इस मामले में बड़ा विवाद उस दिन सामने आया था जब पुलिस ने परिवार की अनुमति के बिना वाई पूरन कुमार के शव को सेक्टर-16 अस्पताल की मार्चरी से पीजीआइ भेज दिया था। उस दिन मृतक के परिजन अंतिम दर्शन करना चाहते थे, लेकिन बिना अनुमति शव को शिफ्ट कर दिया गया।
जब यह बात मृतक की पत्नी अमनीत पी. कुमार को पता चली, तो उन्होंने तुरंत डीजीपी सागर प्रीत हुड्डा को फोन कर इसका विरोध किया। विवाद बढ़ने के बाद डीजीपी स्वयं उनके घर पहुंचे। उनके साथ एसएसएसपी कंवरदीप कौर और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे।
एससी-एसटी एक्ट में अग्रिम जमानत का प्रविधान नहीं
एससी-एसटी एक्ट के विशेषज्ञ एडवोकेट धर्मवीर अनारिया के मुताबिक एससी-एसटी एक्ट की धारा 18 और 18ए के तहत गिरफ्तारी पूर्व या अग्रिम जमानत पर पूर्ण प्रतिबंध है। सितंबर 2025 में सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में स्पष्ट किया था कि जब तक पहली नजर में यह साबित न हो कि एससी-एसटी अधिनियम के तहत कोई अपराध नहीं हुआ है, तब तक अग्रिम जमानत नहीं दी जा सकती।
इस प्रविधान का उद्देश्य गवाहों को डराने-धमकाने या प्रभावित करने से रोका जाना है। इस एक्ट के तहत आरोपितों की तुरंत गिरफ्तारी होनी चाहिए। अगर इन्हें गिरफ्तार न किया गया तो आरोपितों को सबूत मिटाने का माैका मिल सकता है। आरोपित इस समय हरियाणा सरकार में उच्च पदों पर बैठे हैं। इसलिए इस मामले में सबूतों से छेड़छाड़ की बात से इनकार नहीं किया जा सकता है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।