Updated: Tue, 07 Oct 2025 07:54 PM (IST)
हरियाणा कैडर के आईपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार की आत्महत्या से अफसरशाही में हड़कंप मच गया है। उनके द्वारा उठाए गए कदम ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं खासकर उनके अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ने के बावजूद। राष्ट्रपति से सम्मानित कुमार का उच्च अधिकारियों से विवाद रहा। वे जूनियर अधिकारियों की पदोन्नति और आवास नीति जैसे मुद्दों पर आवाज उठाते रहे थे।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक रैंक के बैच 2001 के आइपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार द्वारा आत्महत्या करने से न केवल अफसरशाही में हड़कंप मच गया, बल्कि उनकी आत्महत्या से कई सवाल खड़े हो गए हैं। अपने अधिकारों की लड़ाई अनुसूचित जाति आयोग तक लड़ने वाले वाई पूरन कुमार आत्महत्या भी कर सकते हैं, यह बहुत बड़ा सोचनीय सवाल है।
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सराहनीय सेवाओं के लिए राष्ट्रपति के हाथों पुलिस पदक से सम्मानित हो चुके वाई पूरन कुमार का हरियाणा की उच्च स्तरीय अफसरशाही से कई बार विवाद हुआ। उनकी पत्नी पी अमनीत कुमार हरियाणा काडर की साल 2001 की ही आइएएस हैं और विदेश सहयोग विभाग में आयुक्त के पद पर कार्यरत हैं। इस समय पी अमनीत कुमार मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के साथ जापान के दौरे पर हैं।
विवाद को लेकर चर्चा में रहे हैं आईपीएस
यह प्रतिनिधिमंडल आठ अक्टूबर को वापस आना है, लेकिन पता चला है कि विदेश में पति के साथ हुए हादसे की सूचना मिलते ही अमनीत कुमार वापस लौट रही हैं। हरियाणा काडर के आइपीएस अधिकारी का विवादों से पुराना नाता रहा है। जूनियर अधिकारियों को पदोन्नति, मनपसंद सरकारी वाहन नहीं मिलने और एक अधिकारी-एक आवास की नीति को लागू कराने का मुद्दा उठाने सहित कई शीर्ष आइएएस-आइपीएस अधिकारियों से विवाद को लेकर वाई पूरन कुमार काफी चर्चाओं में रहे।
पिछले सप्ताह ही वाई पूरन कुमार को पीटीसी (पुलिस प्रशिक्षण केंद्र) सुनारिया का आइजी बनाया गया था। इससे पहले उन्होंने रोहतक मंडल के आइजी रहते भिवानी की मनीषा की संदिग्ध मौत की जांच में अहम कड़ियां जोड़ते हुए जांच को नई दिशा दी थी। इस मामले में अब सीबीआइ सबूत जुटा रही है।
डीजीपी के खिलाफ कई बार खोला मोर्चा
उन्हें आइजी रोहतक के पद पर लंबे समय बाद नियुक्ति मिली थी। इस नियुक्ति से पहले वह गैर महत्व के पदों पर कार्यरत रहे हैं। हरियाणा के मौजूदा पुलिस महानिदेशक शत्रुजीत कपूर से लेकर प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव टीवीएसएन प्रसाद, पूर्व गृह सचिव राजीव अरोड़ा और पूर्व डीजीपी मनोज यादव के खिलाफ उन्होंने कई बार मोर्चा खोला।
इतना ही नहीं, पिछले साल उन्होंने लोकसभा चुनाव के दौरान तत्कालीन मुख्य निर्वाचन अधिकारी अनुराग अग्रवाल के खिलाफ भी चुनाव आयोग को शिकायत कर दी थी। तब वाई पूरन कुमार ने आरोप लगाया था कि राज्य चुनाव आयोग जातिगत मामलों को देखते हुए अफसरों पर कार्रवाई कर रहा है। केवल अनुसूचित जाति के अफसरों को बदला जा रहा है, लेकिन सवर्ण जाति के अफसरों को नहीं बदला जा रहा है।
सरकारी मकानों के अलॉटमेंट के मुद्दे पर लंबी लड़ाई लड़ी
वाई पूरन कुमार ने वर्ष 2022 में तत्कालीन गृह सचिव राजीव अरोड़ा पर भेदभावपूर्ण तरीका अपनाकर पूर्व डीजीपी मनोज यादव के पक्ष में जांच रिपोर्ट देने का आरोप लगाया था। यह मामला पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में भी पहुंचा। नौ आइपीएस अधिकारियों को दो-दो सरकारी मकानों के अलाटमेंट के मुद्दे पर वाई पूरन कुमार ने काफी लंबी लड़ाई लड़ी।
उनके द्वारा इसका विरोध करने के बाद संबंधित अधिकारियों से एक-एक सरकारी मकान खाली कराते हुए जुर्माना राशि वसूली गई थी। हरियाणा की अफसरशाही में सिर्फ एक ही सवाल है कि आखिर इतना बोल्ड अधिकारी आत्महत्या करने के लिए क्यों मजबूर हो सकता है।
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