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    आईपीएस पूरन कुमार की आत्महत्या से कई IAS-IPS की बढ़ेंगी मुश्किलें, पत्नी की इस जिद्द पर अफसरशाही में मची खलबली

    By ANURAG AGGARWALEdited By: Sushil Kumar
    Updated: Wed, 08 Oct 2025 08:58 PM (IST)

    हरियाणा के एडीजीपी वाई पूरन कुमार ने अपने पीएसओ की रिवाल्वर से आत्महत्या कर ली, जिससे प्रशासनिक और राजनीतिक गलियारों में हड़कंप मच गया है। उनका आठ पेज का सुसाइड नोट, जिसे पुलिस 'फाइनल नोट' कह रही है, अभी तक सार्वजनिक नहीं हुआ है। 

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    आईपीएमस पूरन कुमार की आत्महत्या से उठने लगे कई सवाल। फाइल फोटो

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा के एडीजीपी रैंक के 2001 बैच के आइपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार द्वारा अपने निजी सुरक्षा अधिकारी (पीएसओ) की सर्विस रिवाल्वर से की गई आत्महत्या के बाद प्रशासनिक व राजनीतिक गलियारों में अफरा-तफरी का माहौल है। अपने सेवाकाल में आधा दर्जन उच्चाधिकारियों को निशाने पर रखने वाले वाई पूरन कुमार का सुसाइड नोट अभी तक सामने नहीं आया है।

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    आठ पेज के इस सुसाइड नोट के सार्वजनिक होने से कई आइएएस और आइपीएस अधिकारियों के साथ राजनेता बेनकाब हो सकते हैं। जापान से लौटी वाई पूरन कुमार की आइएएस पत्नी अमनीत पी कुमार ने जिस तरह बुधवार को अपनी बड़ी बेटी के विदेश से लौटने तक शव का पोस्टमार्टम नहीं होने दिया और सुसाइड नोट के आधार पर दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई की मांग की, उससे राज्य की अफसरशाही में खलबली मची हुई है।

    सुसाइड नोट नहीं, फाइनल नोट

    जो सुसाइड नोट चंडीगढ़ पुलिस को मौके पर मिला है, उसे अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया है। चंडीगढ़ पुलिस की ओर से तर्क दिया जा रहा है कि यह सुसाइड नोट नहीं, बल्कि फाइनल नोट है।

    हालांकि फाइनल नोटिस की परिभाषा क्या है, इस बारे में भी चंडीगढ़ पुलिस कुछ स्पष्ट नहीं कर पा रही है। वाई पूरन कुमार ने आत्महत्या से पहले जिस तरह वसीयत लिखी और सारी संपत्ति पत्नी अमनीत पी कुमार के नाम की, उससे लगता है कि वे पहले ही काफी कुछ मन बना चुके थे। समय-समय पर उन्होंने हरियाणा के मुख्य सचिवों, गृह सचिवों, पुलिस महानिदेशकों और मुख्य निर्वाचन अधिकारी तक के विरुद्ध शिकायतें दर्ज कराई थीं।

     उनकी विभिन्न याचिकाओं पर अभी पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में सुनवाई चल रही है। अनुसूचित जाति आयोग ने भी उत्पीड़न की शिकायत के आधार पर सरकार से जवाब मांगा हुआ है। अमनीत पी कुमार यदि अपने पति के सुसाइड नोट के आधार पर दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई की मांग पर अड़ी रहीं तो कई अधिकारियों की परेशानी बढ़ सकती है।