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    'अब कोई ऑप्शन नहीं, मैं पिछले पांच साल से...', IPS पूरन कुमार का सुसाइड नोट में छलका दर्द

    Updated: Thu, 09 Oct 2025 03:27 PM (IST)

    हरियाणा के एडीजीपी वाई पूरन कुमार ने सुसाइड नोट में 16 आईपीएस और आईएएस अधिकारियों पर उत्पीड़न का आरोप लगाया। उन्होंने जाति आधारित भेदभाव, मानसिक प्रताड़ना और नियमों का पालन न करने की बात कही। कुमार ने लिखा कि वे पिछले पांच साल से प्रताड़ित थे और परिवार की सुरक्षा को लेकर चिंतित थे। उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों पर प्रताड़ना का आरोप लगाया और विस्तृत जांच की उम्मीद जताई।

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    IPS पूरन कुमार ने सुसाइड नोट में परिवार ने और क्या लिखा? (File Photo)

    राज्य ब्यूरो, पंचकूला। 'मैं अपने परिवार की सुरक्षा को लेकर बेहद चिंतित हूं। ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि मेरे प्रति अब यह शत्रुता समाप्त होनी चाहिये।' हरियाणा के एडीजीपी रैंक के आइपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार ने अंग्रेजी में लिखे अपने आठ पेज के सुसाइड नोट में आखिर में यही दो महत्वपूर्ण लाइनें लिखी हैं।

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    उनके सुसाइड नोट में हरियाणा के 16 सीनियर आइपीएस और आइएएस अधिकारियों के नाम हैं, जिनमें से कुछ ऐसे हैं, जिन्होंने वाई पूरन कुमार की मदद करनी चाही, लेकिन अधिकतर पर उन्होंने अपने उत्पीड़न और मानसिक रूप से परेशान करने का आरोप लगाया। वाई पूरन कुमार पिछले पांच साल से स्वयं को उत्पीड़ित और प्रताड़ित महसूस कर रहे थे।

    सुसाइड नोट को लिखा फाइनल नोट

    वाई पूरन कुमार ने अपने सुसाइड नोट को फाइनल नोट का नाम देते हुए उसमें अगस्त 2020 से अब तक चले आ रहे उत्पीड़न का सिलसिलेवार जिक्र किया और सरकारी स्तर पर अधिकारियों के साथ किये गये पत्र व्यवहार का पूरा ब्योरा दर्ज किया।

    उन्होंने सुसाइड नोट में लिखा कि अगस्त 2020 से हरियाणा के संबंधित वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा जारी जाति आधारित भेदभाव, लक्षित मानसिक उत्पीड़न, सार्वजनिक अपमान और अत्याचार का सिलसिला चला आ रहा है, जो अब असहनीय हो गया है।

    वाई पूरन कुमार के सुसाइड नोट का मूल यही था कि उन्हें विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर बैठके आइएएस और आइपीएस अधिकारियों ने बार-बार प्रताड़ित किया और सरकार के हस्तक्षेप के बाद भी यह उत्पीड़न बंद नहीं हो पाया।

    डीजीपी पर लगे आरोप

    पूरन कुमार ने अपने सुसाइड नोट में सभी आइपीएस अधिकारियों के लिए पूजा स्थलों के मामले में पीपीआर नियमों का समान रूप से लागू होने, अर्जित अवकाश की समय पर स्वीकृति, पात्रता के अनुसार सरकारी वाहन का आवंटन।

    डीजीपी कार्यालय के स्थायी आदेश के अनुसार सरकारी आवास, आइपीएस अधिकारियों की पदोन्नति और कैडर प्रबंधन के लिए गृह मंत्रालय के दिशानिर्देशों और नियमों का नियमानुसार लागू होना जरूरी है, जिसकी लड़ाई वे लड़ रहे थे।

    उन्होंने इस बात का भी जिक्र किया है कि झूठे नामों से शिकायतें कराई गई तथा उनकी वेतन बचतों को नकद प्रविष्टियों के रूप में प्रचारित किया गया। एडीजीपी ने सुसाइड नोट में प्रत्येक अधिकारी के नाम का अलग पैरा बनाया और उसमें विस्तार से पूरे प्रकरण का जिक्र करते हुए उन सभी पत्रों का हवाला दिया, जिनका उनके कार्यालय में पत्र व्यवहार हुआ है।

    वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट में विपरीत टिप्पणियों से भी एडीजीपी नाराज थे। उन्होंने लिखा कि सभी मामलों की वास्तविक स्थिति से संबंधित अधिकारियों को अवगत कराने के बाद भी पर्याप्त समय तक प्रतीक्षा करने और कोई प्रतिक्रिया नहीं मिलने के कारण अब उनके पास यह कठोर कदम उठाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है। मेरी पिछली शिकायतों और अभ्यावेदनों पर की गई निष्क्रियता के विपरीत जो कि एक रिकार्ड है, मुझे विस्तृत जांच की उम्मीद है।