फाइटर तो हम पहले से ही थे..., क्या किसी ने कोरोना को देखा है..., पढ़ें और भी रोचक खबरें
राजनीति में कई किस्से ऐसे होते हैं जो खबरों में नहीं आ पाते। आइए नजर डालते हैं हरियाणा की राजनीति से जुड़े कुछ ऐसे ही किस्सों पर।
जेएनएन, चंडीगढ़। हरियाणा के राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि स्वास्थ्य मंत्री डॉ अनिल विज को कुछ विश्वविद्यालय डाक्ट्रेट की मानद उपाधि देना चाहते हैं। मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नेतृत्व में कोरोना महामारी से जितने भी विभाग निपटने में जुटे हैं, उन सबके मंत्री अनिल विज ही हैं। गृह, स्वास्थ्य, आयुष, चिकित्सा शिक्षा और शहरी निकाय विभाग संभालने वाले मंत्री विज के सामने जब यह सूचना पहुंची तो उन्होंने कहा कि इसके वास्तविक हकदार मुख्यमंत्री मनोहर लाल हैं, क्योंकि उन्हीं के नेतृत्व में सब कुछ आगे बढ़ रहा है। विज ने बड़प्पन दिखाते हुए इतना तो कहा ही, साथ ही अपने चिर परिचित अंदाज का अहसास भी करा दिया। विज बोले कि हम फाइटर (लड़ाकू) तो शुरू से ही रहे हैं। फिर कोरोना हो या विपक्ष। यदि कोई सम्मान देना चाहे तो यह उसकी अपनी सोच है। हम और मुख्यमंत्री तो मिलकर जनता की भलाई के लिए काम कर रहे हैं।
कैसा होता है यह कोरोना
कुछ अधिकारियों, पत्रकारों और स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज के बीच गपशप चल रही थी। बात कोरोना की चल पड़ी। कोरोना के अलावा आजकल कुछ है भी नहीं चर्चा करने के लिए। सवाल आया कि क्या किसी नेता, मंत्री, विधायक या सांसद अथवा अफसर को कोरोना तो नहीं है? इसका जवाब मंत्री जी ने बड़े ही विनम्र अंदाज में दिया। बोले, नेता को कोरोना इसलिए नहीं हो सकता, क्योंकि वे घरों से बाहर निकले ही नहीं... भगवान करे, किसी को कोरोना न हो।
दूसरा सवाल आया कि मंत्री जी, आपके डॉक्टर दिन रात कोरोना संक्रमित मरीजों का इलाज कर रहे हैं। क्या किसी डॉक्टर ने इस कोरोना की शक्ल देखी है? कैसा होता है यह कोरोना? मंत्री जी ठहाका मारकर हंसे। बोले, यह बात मैंने भी किसी से पूछी थी कि आखिर कोरोना होता किस तरह का है? जवाब मिला कि इसकी शक्ल किसी ने नहीं देखी। मुझे यह जरूर बताया गया कि इसका शक्ल क्राउन (मुकुट) से मिलती-जुलती है, इसलिए इसका नाम कोरोना पड़ा है।
संकट के इस दौर में न रहे रक्त की कमी
हरियाणा की पिछली मनोहर सरकार में राज्य मंत्री रह चुके कृष्ण कुमार बेदी ने इस बार लॉकडाउन के दौरान अनूठी पहल शुरू की है। प्रदेश में डॉक्टरों के प्राइवेट क्लीनिक बंद हैं और सरकारी अस्पतालों में भी बड़ी सर्जरी नहीं की जा रही है। हर किसी का ध्यान सिर्फ और सिर्फ कोरोना से निपटने को लड़ी जा रही जंग जीतने पर है। ऐसे में प्रदेश के तमाम ब्लड बैंक में रक्त की कमी बन गई है।
मुख्यमंत्री के राजनीतिक सचिव का ओहदा निभा रहे बेदी ने अपने जिले कुरुक्षेत्र में ब्लड डोनेशन कैंप की शुरुआत कर दूसरे जिलों और राजनेताओं के सामने बड़ा उदाहरण पेश किया है। शारीरिक दूरी के नियमों का अनुपालन करते हुए हर रोज कम से कम दस लोग रक्तदान कर रहे हैं। यह सिलसिला लगातार कई दिनों तक चल रहा है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने अपनी टीम के इस सिपाही के प्रयासों की सराहना की है। थैलीसीमिया के मरीजों के लिए रक्त आज सबसे बड़ी जरूरत है।
भाईचारे की ऐसी मिसाल कहां
हरियाणा में विपक्ष पूरी मुस्तैदी के साथ कोरोना कोे हराने में जुटा हुआ है। मान लिया कि इसकी बड़ी जिम्मेदारी सत्ता पक्ष के लोगों की है, लेकिन जब विपक्ष भी कोरोना को हराने की मुहिम में सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलता नजर आए तो मतलब साफ है कि संकट की इस घड़ी में सब एक हैं। सबसे पहले बात करते हैं राज्यसभा सदस्य दीपेंद्र सिंह हुड्डा की। उन्होंने अपने इलाके में सेनीटाइजर और मास्क के साथ सूखा खाना बंटवाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। विपक्ष के पूर्व नेता अभय सिंह चौटाला ने अपने मेडिकल कालेज के करीब 100 छात्रों को गरीब व जरूरतमंद लोगों के इलाज की सेवा में लगा रखा है। खुद कोरोना रिलीफ फंड बनाकर जरूरतमंद लोगों की मदद का बीड़ा उठाया है।
कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ट्रैक्टर चलाकर सेनीटाइजेशन कर रहे हैं। कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष कु. सैलजा के निर्देश पर उनकी टीम हर जिले में जरूरतमंदों को खाना दे रही है। पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा किसी भी ऐसी बयानबाजी से परहेज कर रहे हैं, जो सरकार के लिए किसी मुसीबत का काम करे। इसे कहते हैं असली भाईचारा, जो जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान टूटता नजर आ गया था, लेकिन आज पूरा हरियाणा एक दिखाई दे रहा है। (प्रस्तुतिः अनुराग अग्रवाल )
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