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    किरायानामा नहीं तो हक़ नहीं, 30 साल रहने के बाद अब बना अनधिकृत कब्जाधारी

    Updated: Mon, 18 Aug 2025 01:25 PM (IST)

    पंचकूला में 30 साल से किराये पर रह रहे संत बहादुर को अदालत ने अनधिकृत कब्जाधारी घोषित कर दिया। किरायानामा या रसीद न होने के कारण अदालत ने मकान मालिक की बेटी के हक में फैसला सुनाया। संत बहादुर ने किरायेदार होने का दावा किया था लेकिन अदालत ने इसे खारिज कर दिया और उन्हें हर्जाना भरने का आदेश दिया।

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    अदालत ने मकान मालिक की बेटी के हक में फैसला सुनाया।

    जागरण संवाददाता, पंचकूला। अगर आप वर्षों से एक ही घर में किराये पर रह रहे हों और आपके पास किरायानामा या किराये की रसीद न तो कोई दावा नहीं ठोंक सकते। ऐसा ही हुआ संत बहादुर के साथ। उसने अपनी जिंदगी के पूरे 30 साल एक ही छत के नीचे गुजारे, सोचा यही उसका घर है।

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    लेकिन  जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने साफ कह दिया कि संत बहादुर किरायेदार नहीं, बल्कि अब अनधिकृत कब्जाधारी हैं। उसकी अपील खारिज करते हुए अदालत ने मकान मालिक की बेटी अर्चना वर्मा के हक में फैसला सुनाया।

    मामला वर्ष 1991 का है। जब संत बहादुर दूध बेचने का काम करता था और पड़ोसी डी के गुप्ता की सिफारिश पर रमेश चंद टंडन ने उसे अपने सेक्टर-9 स्थित मकान के पिछले हिस्से में जगह दे दी। संत बहादुर का दावा था कि यह किरायेदारी थी, 500 रुपये मासिक किराया तय हुआ था और उनकी पत्नी अनारा देवी घर में खाना पकाने का काम करती थी।

    1000 रुपये वेतन से किराया काट लिया जाता था। इसी भरोसे पर संत बहादुर ने परिवार सहित उसी मकान को अपना घर बना लिया। लेकिन 2017 में रमेश चंद टंडन की मृत्यु के बाद हालात बदल गए। बेटी अर्चना वर्मा ने घर खाली करने को कहा, जबकि संत बहादुर ने किरायेदार होने का दावा ठोक दिया। अर्चना ने उन्हें नौकर और चौकीदार कहा।

    मामला अदालत पहुंचा पहुंच गया। संत बहादुर ने पहले 2017 में स्थायी निषेधाज्ञा का केस दायर किया था, जिसे 2019 में खारिज कर दिया गया। अब अपील में भी उसे राहत नहीं मिली। अदालत ने पाया कि न तो कोई किरायानामा था, न किराये की रसीद। पत्नी अनारा देवी भी गवाही के लिए आगे नहीं आईं।

    इतना ही नहीं, पुलिस शिकायत में खुद संत बहादुर ने खुद को नौकर/देखभाल करने वाला लिखा था, जिससे उनका दावा कमजोर पड़ गया। नतीजा अदालत ने फैसले में उसे अनधिकृत कब्जाधारी करार देते हुए मकान खाली करने का आदेश दिया है। साथ ही, उसे अर्चना वर्मा को 10,000 रुपये प्रतिमाह रमेश चंद टंडन की मृत्यु के बाद से मुनाफा हर्जाना देने का भी हुक्म सुनाया।