स्कालरशिप चाहिए तो बच्चों को हरियाणा में देनी होगी 10वीं की बोर्ड परीक्षा, हालात सामान्य होने पर होंगे Exam
कोरोना के कारण इस बार 10वीं की बोर्ड परीक्षा नहीं हो पाई। सभी बच्चों को पास कर दिया गया। लेकिन बच्चों को अगर स्कालरशिप चाहिए तो उन्हें बोर्ड की परीक्षा देनी होगी। हालात सामान्य होने के बाद परीक्षा होगी।
जेएनएन, चंडीगढ़। हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड द्वारा इंटरनल असेसमेंट के आधार पर घोषित दसवीं के परीक्षा परिणाम में सभी बच्चे पास हो गए हैं। मेरिट के भी तमाम रिकार्ड टूट गए, क्योंकि पहली बार 62 हजार विद्यार्थियों ने 100 फीसद अंक प्राप्त किए हैं तो करीब छह हजार बच्चे 95 से 99 फीसद और नौ हजार बच्चे 90 से 95 फीसद अंक पाने में सफल रहे। इसके बावजूद इन विद्यार्थियों को स्कालरशिप (वजीफा) नहीं मिलने वाली।
अगर बच्चों को स्कालरशिप चाहिए तो पहले बोर्ड परीक्षा देनी होगी जिसके बाद शीर्ष स्थान पर रहने वाले बच्चों को ही स्कालरशिप दी जाएगी। हरियाणा के शिक्षा मंत्री कंवरपाल गुर्जर ने कहा कि महामारी का संक्रमण कम होने के बाद परिस्थितियां अनुकूल होने पर बाेर्ड परीक्षाएं आयोजित की जाएंगी, जिसमें इच्छुक छात्र शामिल हो सकते हैं। परीक्षा में शरीक हुए टापर बच्चों को ही सरकार स्कालरशिप देगी। वहीं, पहली से आठवीं तक के बच्चों को इस बार किताबें खरीदने के लिए 200 से 300 रुपये सीधे उनके खाते में डाले जाएंगे। इसके अलावा वह सीनियर छात्रों से भी किताबें ले सकते हैं।
गत दिवस पत्रकारों से बातचीत में शिक्षा मंत्री ने कहा कि हाई पावर परचेज कमेटी की बैठक में आठवीं तक के बच्चों के लिए पुस्तक खरीदने पर विचार किया गया। कोरोना के चलते किताबें नहीं छपवाई जा सकी हैं। अगर हम अब भी टेंडर निकालते हैं ताे किताबें छपने और इन्हें बच्चों तक पहुंचाने में कम से कम तीन महीने लग जाएंगे, इसलिए निर्णय लिया गया है कि सीधे बच्चों के खाते में पैसा डाल दिए जाए ताकि वह खुद ही पुस्तक विक्रेता से किताबें खरीद सकें। अभी यह निर्णय लिया जाना बाकी है कि किस कक्षा के बच्चों के लिए कुल कितनी धनराशि किताबें खरीदने के लिए दी जाए। करीब 16 लाख से अधिक बच्चों को किताबें उपलब्ध कराने के लिए 40 करोड़ रुपये का बजट रखा गया है।
हालात पूरी तरह सामान्य होने पर ही खुलेंगे स्कूल
शिक्षा मंत्री ने कहा कि कोरोना का संक्रमण कम होने से हालात सामान्य हो रहे हैं। हालांकि अब भी अभिभावक और छात्र सहमे हुए हैं, इसलिए तमाम पहलुओं का आकलन के करने के बाद ही स्कूल खोले जाएंगे। बच्चों की पढ़ाई बाधित न हो, इसके लिए जल्द ही आनलाइन कक्षाएं शुरू करने पर विचार किया जा रहा है।
मनमर्जी से फीस नहीं बढ़ा सकेंगे निजी स्कूल
नए शैक्षिक सत्र में प्राइवेट स्कूल मनमाने तरीके से शुल्क वृद्धि नहीं कर सकेंगे। प्रदेश सरकार फार्म-छह को लेकर एक नया फार्मूला लाने जा रही है। इससे एक निश्चित सीमा से अधिक शुल्क प्राइवेट स्कूल नहीं वसूल पाएंगे। अगर कोई स्कूल नियमों की अवहेलना करता मिला तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।