हरियाणा: शहरों में अब आसानी से मिलेगा घर, कॉलोनियों में गरीबों के लिए 20% प्लॉट और 15% मकान होंगे रिजर्व
हरियाणा सरकार ने नई आवास नीति के तहत ईडब्ल्यूएस आवासों के हस्तांतरण पर कड़े नियम लागू किए हैं। पांच साल तक बेचने पर 100% जुर्माना लगेगा। एक एकीकृत डेटाबेस बनेगा ताकि एक व्यक्ति को एक से अधिक आवास न मिले। हाउसिंग फॉर ऑल विभाग किराये पर भी मकान देगा। ईडब्ल्यूएस लाभार्थी न मिलने पर सामान्य वर्ग को मकान मिलेंगे। नीति का लक्ष्य सामाजिक समानता सुनिश्चित करना है।
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हरियाणा: शहरों में अब आसानी से मिलेगा घर। फाइल फोटो
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा के शहरों में अब गरीब परिवारों को आसानी से सिर पर छत मिल सकेगी। प्रदेश सरकार ने लाइसेंस प्राप्त कालोनियों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) के लिए प्लाट-फ्लैट आरक्षित करने के लिए पालिसी में बदलाव किया है।
प्रत्येक कालोनी में 20 प्रतिशत प्लाट और 15 प्रतिशत मकान गरीबों के लिए आरक्षित किए जाएंगे। नई नीति पुराने सभी प्रविधानों को रद कर एक पारदर्शी और आधुनिक प्रणाली लागू करती है, जिसका उद्देश्य है आर्थिक रूप से कमजोर हर परिवार को सम्मानजनक आवास उपलब्ध कराना।
नगर एवं आयोजना विभाग द्वारा तैयार इस पालिसी को ‘सभी के लिए आवास’ विभाग के माध्यम से लागू किया जाएगा। नई नीति में प्रत्येक कालोनी और हाउसिंग प्रोजेक्ट में गरीब तबके के लिए अनिवार्य हिस्सा तय किया गया है।
हर लाइसेंस प्राप्त कालोनी में 20 प्रतिशत प्लाट और हर ग्रुप हाउसिंग सोसाइटी में 15 प्रतिशत फ्लैट गरीब वर्ग के लोगों के लिए आरक्षित होंगे। कालोनियों में ईडब्ल्यूएस कोटे के तहत रिजर्व रखे जाने वाले प्लाट 50 से 125 वर्ग मीटर साइज के होंगे। इसी तरह इस वर्ग के लिए फ्लैट का साइज 200 से 400 वर्ग फीट तय किया है।
इतना ही नहीं, प्लाट और मकान की दरें भी तय कर दी हैं। ईडब्ल्यूएस प्लाट की कीमत 600 प्रति वर्ग मीटर और फ्लैट्स की कीमत डेढ़ लाख रुपये (या 750 प्रति वर्ग फीट) की दर पर उपलब्ध होंगे। इस पूरी प्रक्रिया की निगरानी और संचालन हाउसिंग फार आल विभाग करेगा।
डेवलपर्स (लाइसेंस धारक) अपने ईडब्ल्यूएस हिस्से के प्लाट और फ्लैट इस विभाग को सौंपेंगे, जो आगे इन्हें योग्य आवेदकों को आवंटित करेगा। विभाग आवंटन प्रक्रिया को पूरी तरह पारदर्शी बनाने के लिए समाचार पत्रों में विज्ञापन जारी करेगा, आवेदकों की स्क्रीनिंग करेगा और ड्रा आफ लाट्स (लाटरी) के माध्यम से पात्र व्यक्तियों का चयन करेगा।
10 हजार रुपये होगा पंजीकरण शुल्क
आवेदकों को 10 हजार रुपये का पंजीकरण शुल्क जमा कराना होगा। अगर आवेदक चयनित होता है तो यह राशि अंतिम भुगतान में समायोजित होगी। असफल आवेदकों को यह रकम दो माह के भीतर बिना ब्याज लौटाई जाएगी।
यदि लाटरी प्रक्रिया में किसी कारण से छह महीने से अधिक देरी होती है तो आवेदकों को एसबीआइ की सामान्य बचत खाते की ब्याज दर के अनुसार मुआवजा भी दिया जाएगा।
मकान बेचा या हस्तांतरित किया तो लगेगा दोगुना जुर्माना
ईडब्ल्यूएस आवास को पांच साल तक बेचना या ट्रांसफर करना पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगा। अगर कोई व्यक्ति यह नियम तोड़ता है, तो उस पर 100 प्रतिशत जुर्माना लगाया जाएगा। यानी जितनी कीमत पर घर मिला, उतनी ही राशि का दंड देना होगा।
ऐसे मामलों में आवंटन भी रद किया जा सकता है। कई बार यह पाया गया कि कुछ लोगों ने अलग-अलग योजनाओं में कई घर प्राप्त कर लिए। इस गड़बड़ी को रोकने के लिए नई नीति में आधार कार्ड और परिवार पहचान पत्र (पीपीपी) आधारित एकीकृत डेटाबेस की व्यवस्था की गई है।
इससे यह सुनिश्चित होगा कि किसी व्यक्ति या परिवार को एक से अधिक आवंटन न मिले। डेटा को शहरी स्थानीय निकाय विभाग के साथ साझा किया जाएगा ताकि राज्य-स्तर पर पारदर्शिता बनी रहे।
किराये पर भी मिलेंगे मकान हाउसिंग फार आल
विभाग किराये पर भी मकान देगा। इससे शहरी क्षेत्रों में कामकाजी वर्ग, प्रवासी मजदूर और निम्न आय वाले परिवार कम किराये में सम्मानजनक आवास प्राप्त कर सकेंगे। किराये की इस योजना के लिए अलग से नीति और नियम तय किए जाएंगे।
डेवलपर्स को इस व्यवस्था के तहत समय पर भुगतान मिलेगा, और यदि भुगतान में देरी होती है तो उन्हें नौ प्रतिशत वार्षिक ब्याज भी दिया जाएगा। डेवलपर्स को ईडब्ल्यूएस फ्लैट या प्लाट के बदले भुगतान तीन महीने के भीतर किया जाएगा।
यदि भुगतान में देरी होती है तो सरकार डेवलपर को नौ प्रतिशत ब्याज के साथ राशि लौटाएगी। इसके अलावा आवश्यक दस्तावेज जैसे – डीड आफ अपार्टमेंट और डीड आफ डिक्लेरेशन भी हाउसिंग फार आल विभाग के नाम पर दर्ज किए जाएंगे, ताकि स्वामित्व का कानूनी अधिकार स्पष्ट रहे।
गरीबों ने मकान नहीं खरीदे तो सामान्य वर्ग के लोगों को बेचे जांएगे
यदि किसी कालोनी में दो बार के प्रयासों के बाद भी ईडब्ल्यूएस लाभार्थी नहीं मिले तो तीसरी बार यह मकान हरियाणा के सामान्य वर्ग के निवासियों को खुले ई-आक्शन के माध्यम से बेचे जाएंगे। यह न सिर्फ संसाधनों का उपयोग सुनिश्चित करेगा, बल्कि हाउसिंग सेक्टर में राजस्व और पारदर्शिता भी लाएगा।
नीति की घोषणा करते हुए टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव एके सिंह ने कहा कि नई पालिसी का लक्ष्य केवल मकान देना नहीं, बल्कि सामाजिक समानता सुनिश्चित करना है। हम चाहते हैं कि हर नागरिक को रहने का अधिकार मिले, चाहे उसकी आमदनी कुछ भी हो।
यह नीति हरियाणा के शहरी इलाकों में आवासीय असमानता को घटाने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हो सकती है।

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