Hindi Diwas 2025: जिला अदालतों में आज भी हिंदी बेगानी, सरकारी कार्यालयों में अंग्रेजी में ही अधिकतर काम
आज राष्ट्रीय हिंदी दिवस है पर हरियाणा में अदालतों में हिंदी अब भी बेगानी है। 1969 में हिंदी को राजभाषा का दर्जा मिला पर सरकारी दफ्तरों में काम अंग्रेजी में ही होता है। 1 अप्रैल 2023 से नया कानून लागू हुआ पर असर नहीं दिख रहा। अधिवक्ता हेमंत कुमार के अनुसार वकीलों का एक वर्ग हिंदी के प्रयोग से सहमत नहीं है पर अदालत ने रोक नहीं लगाई है।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। आज रविवार को राष्ट्रीय हिंदी दिवस है। 76 वर्ष पूर्व 14 सितंबर 1949 को देवनागरी लिपि में हिंदी को देश की आधिकारिक भाषा (राजभाषा) के रूप में अपनाया गया था। हरियाणा राजभाषा कानून-1969 द्वारा प्रदेश में भी हिंदी को राजभाषा का दर्जा दे दिया गया।
विडंबना यह कि हिंदी को राजभाषा का दर्जा होने के बावजूद सरकारी कार्यालयों में अधिकतर काम अंग्रेजी में हो रहे हैं। जिला अदालतों में आज भी हिंदी बेगानी है।
कागजों में एक अप्रैल 2023 से हरियाणा राजभाषा (संशोधन) कानून प्रभावी हो चुका, लेकिन वास्तविकता में नए कानून का अभी तक कोई असर नहीं दिखा है।
तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल की सरकार ने जिला एवं अधीनस्थ अदालतों में हिंदी में दैनिक कामकाज सुनिश्चित करने के लिए साढ़े पांच वर्ष पूर्व राज्य विधानसभा में नया कानून बनाते हुए हरियाणा राजभाषा (संशोधन) कानून-2020 पारित कराया था।
सूचना, लोक संपर्क, भाषा और संस्कृति विभाग द्वारा संशोधित कानून को लागू करने की तिथि एक अप्रैल 2023 निर्धारित की गई। राज्य सरकार द्वारा नियत एवं अधिसूचित की गई तिथि से नया कानून लागू तो हो गया है, परंतु वास्तविकता में अदालतों के जजों-अधिकारियों और कर्मचारियों को इंफ्रास्ट्रक्चर और प्रशिक्षण उपलब्ध कराने के बाद ही यह जमीनी तौर पर क्रियान्वित हो पाएगा।
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार के मुताबिक जिला अदालतों एवं अधीनस्थ न्यायालयों में दैनिक कामकाज हिंदी में करने के लिए 11 मई 2020 को हरियाणा राजभाषा (संशोधन) कानून-2020 को अधिसूचित किया गया था।
इससे पहले मार्च 2020 में हरियाणा विधानसभा द्वारा विधेयक के तौर पर पारित किया गया, जिसे 31 मार्च 2020 को तत्कालीन राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य की स्वीकृति प्राप्त हुई थी।
संशोधन के तहत हरियाणा राजभाषा अधिनियम-1969 में एक नई धारा 3ए जोड़कर प्रदेश के सभी सिविल (दीवानी) और क्रिमिनल (दंडनीय) न्यायालयों, सभी राजस्व, किराया एवं राज्य सरकार द्वारा गठित अन्य सभी प्रकार की कोर्टों और ट्रिब्यूनलों के आधिकारिक काम-काज में हिंदी भाषा का प्रयोग करने संबंधी प्रविधान किया गया था।
साथ ही निर्णय लिया गया कि अधिसूचित की गई तिथि के छह माह के भीतर राज्य सरकार द्वारा प्रदेश के सभी न्यायालयों के स्टाफ को इस संबंध में आवश्यक अवसंरचना (संसाधन) और प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा।
अधिकतर लोग अंग्रेजी भाषा में सहज नहीं
एडवोकेट हेमंत ने कहा कि यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि प्रदेश में वकीलों का एक वर्ग ऐसा भी है जो जिला एवं अधीनस्थ अदालतों के दैनिक कामकाज में हिंदी भाषा के प्रयोग संबंधी कानूनी संशोधन से सहज नहीं है एवं इसका पुरजोर विरोध करता रहा है।
संशोधित कानून को सबसे पहले वर्ष 2020 में सुप्रीम कोर्ट में और फिर पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में चुनौती दी गई। हालांकि दोनों अदालतों ने नए कानून को लागू करने पर कोई स्टे नहीं लगाया। जून 2020 को भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश शरद बोबडे ने याचिका पर सुनवाई करते हुए मौखिक तौर पर टिप्पणी की थी कि अदालतों में हिंदी भाषा लागू करने में किसी को एतराज नहीं होना चाहिए।
हमारे देश में अधिकतर लोग अंग्रेजी भाषा में सहज नहीं है। केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2023 में बनाए गए तीनों नए आपराधिक कानूनों भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता(बीएनएसएस) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम(बीएसए) का नाम भी हिंदी में है।
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