हरियाणा पुलिस भर्ती में अभ्यर्थी से अन्याय पर हाई कोर्ट सख्त, नियुक्ति देने और 50 हजार हर्जाना भरने के आदेश
हरियाणा पुलिस कांस्टेबल भर्ती में चयनित सुरेंद्र को हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने दो सप्ताह के भीतर नियुक्ति पत्र जारी करने का आदेश दिया है और राज्य सरकार पर जुर्माना भी लगाया है। जस्टिस जगमोहन बंसल ने इसे पावर का दुरुपयोग बताया। सुरेंद्र को 2020 में भर्ती के लिए आवेदन किया था लेकिन एफआईआर के कारण नियुक्ति रोक दी गई थी।

राज्य ब्यूरो, पंचकूला। हरियाणा पुलिस में कॉन्स्टेबल के पद पर चयनित सुरेंद्र को आखिरकार न्याय मिल गया है। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने उन्हें दो सप्ताह में नियुक्ति पत्र जारी करने का आदेश दिया है।
जस्टिस जगमोहन बंसल की एकल पीठ ने राज्य सरकार को 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। जस्टिस जगमोहन बंसल ने अपने फैसले में तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि यह मामला पावर के दुरुपयोग और न्यायिक आदेशों की अनदेखी का उदाहरण है। अधिकारियों ने जानबूझकर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की अनदेखी की और अपनी मनमानी चलाते रहे।
कोर्ट ने कहा कि यदि अधिकारियों ने समय पर विवेकपूर्ण निर्णय लिया होता, तो तीसरी बार मुकदमेबाजी की आवश्यकता ही नहीं पड़ती। सुरेंद्र के वकील रजत मोर ने कोर्ट को बताया कि उसने वर्ष 2020 में हरियाणा पुलिस में कॉन्स्टेबल पद के लिए आवेदन किया था।
चयन प्रक्रिया के दौरान उनके विरुद्ध पंजाब के खन्ना में एक एफआइआर दर्ज हुई थी, जिसमें उन्हें बाद में निर्दोष घोषित कर दिया गया। जांच एजेंसी ने 2022 में ही पूरक चालान में उन्हें निर्दोष बताया और 2024 में ट्रायल कोर्ट ने उन्हें औपचारिक रूप से आरोप मुक्त कर दिया।
इसके बावजूद हरियाणा सरकार ने उनकी नियुक्ति पर रोक लगा दी। उन्होंने हाई कोर्ट में पहले भी दो याचिकाएं दायर की थीं, जिनमें कोर्ट ने नियुक्ति पर पुनर्विचार करने के निर्देश दिए थे।
बावजूद इसके तीसरे दौर में भी सरकार ने नियुक्ति को खारिज कर दिया, यह कहते हुए कि एफआइआर की रिवीजन याचिका लंबित है।
सरकार ने पुलिस महानिदेशक के 2024 के निर्देशों का हवाला दिया, जबकि अदालत ने स्पष्ट किया कि नियुक्ति प्रक्रिया का सत्यापन 2023 में ही पूर्ण हो चुका था और निर्देश बाद में आए थे।
न्यायालय ने कहा कि यह पावर का दुरुपयोग और प्रक्रिया का अपमान है। अधिकारियों ने अदालत के आदेशों को नजरअंदाज करते हुए असिस्टेंट डिस्ट्रिक्ट अटार्नी की राय पर निर्णय लिया, जो कि निर्देशों के विपरीत था।
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि नियम के तहत यदि किसी उम्मीदवार को पुलिस द्वारा निर्दोष बताया गया हो और उसने यह जानकारी सत्यापित फार्म में सही-सही दी हो, तो उसे नियुक्ति से वंचित नहीं किया जा सकता।
कोर्ट ने सुरेंद्र को दो सप्ताह में नियुक्ति पत्र देने और समान तिथि से सभी काल्पनिक सेवा लाभ (वरिष्ठता और वेतन आदि) देने का आदेश दिया, लेकिन पिछला वेतन नहीं मिलेगा। साथ ही 50 हजार रुपये का जुर्माना राज्य सरकार को दो सप्ताह में अदा करना होगा।
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