Updated: Mon, 18 Aug 2025 07:56 PM (IST)
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने मुरथल विश्वविद्यालय को कर्मचारियों का प्रमोशन रोकने पर जुर्माना लगाया। कोर्ट ने विश्वविद्यालय को 27 अगस्त 2021 से सहायक के पद पर पदोन्नति देने और बकाया लाभ ब्याज सहित देने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि कर्मचारियों को प्रमोशन से वंचित करना मनमाना और भेदभावपूर्ण था। विश्वविद्यालय द्वारा राज्य पात्रता परीक्षा का हवाला देना उचित नहीं था।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने दीनबंधु छोटू राम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मुरथल (सोनीपत) को दो कर्मचारियों का प्रमोशन रोकने पर कड़ा रुख अपनाते हुए यूनिवर्सिटी पर एक लाख रुपये का जुर्माना ठोका है।
कोर्ट ने विश्वविद्यालय को निर्देश दिया है कि याचिकाकर्ताओं को 27 अगस्त 2021 से सहायक के पद पर पदोन्नति दी जाए और सभी बकाया लाभ ब्याज सहित अदा किए जाएं। जस्टिस त्रिभुवन दहिया ने आदेश देते हुए कहा कि कर्मचारियों को पदोन्नति से वंचित करना पूरी तरह से मनमाना और भेदभावपूर्ण था।
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अदालत ने साफ किया कि प्रमोशन न देने का कारण बताने के लिए विश्वविद्यालय द्वारा राज्य पात्रता परीक्षा का हवाला देना कोई उचित आधार नहीं है, क्योंकि पांच मार्च 2019 के कार्यकारी परिषद के प्रस्ताव के तहत पहले से कार्यरत कर्मचारियों को छूट दी गई थी।
कोर्ट ने यह भी कहा कि एक सरकारी आडिटर की आपत्तियों के बहाने विश्वविद्यालय अपने ही कार्यकारी परिषद के फैसले की अनदेखी कर रहा था। यह कर्मचारियों के अधिकारों की अनदेखी और नियमों की अवहेलना है।
अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ताओं को पूर्वव्यापी प्रभाव से प्रमोशन का अधिकार है। उन्हें 25 जनवरी 2022 से वास्तविक वित्तीय लाभ दिए जाएंगे और प्रमोशन वेतन का बकाया भुगतान नौ प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित किया जाएगा।
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