पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट के सख्त आदेश, दिव्यांग कर्मचारियों को भी दिए जाएं ट्रांसफर के समान ऑप्शन
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने हरियाणा विद्युत प्रसारण निगम लिमिटेड (एचवीपीएनएल) को दिव्यांग कर्मचारियों के प्रति असंवेदनशील रवैये पर नाराजगी जताई। अदालत ने निगम को निर्देश दिया कि दिव्यांग कर्मचारियों को भी सक्षम कर्मचारियों के समान तबादला विकल्प दिए जाएं। कोर्ट ने कार्यालयों को दिव्यांगजनों के लिए सुलभ बनाने गृह जिले में तैनाती का अवसर देने और निवास व कार्यस्थल के बीच दूरी का ध्यान रखने के आदेश दिए।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने हरियाणा विद्युत प्रसारण निगम लिमिटेड (एचवीपीएनएल) को दिव्यांग कर्मचारियों के साथ असंवेदनशील और उदासीन रवैया अपनाने पर नाराजगी जताई है।
अदालत ने निगम को निर्देश दिया है कि दिव्यांग कर्मचारियों को भी उतने ही तबादला विकल्प उपलब्ध कराए जाएं, जितने सक्षम कर्मचारियों को दिए जाते हैं। जस्टिस हरप्रीत सिंह ब्राड ने आदेश देते हुए कहा कि कार्यालय स्थानों को दिव्यांगजनों के लिए सुलभ बनाया जाए, उन्हें गृह जिले या सुविधानुसार स्थान पर तैनाती का अवसर दिया जाए और निवास व कार्यस्थल के बीच की दूरी को भी ध्यान में रखा जाए।
कोर्ट ने यह सारी प्रक्रिया दो महीने के भीतर पूरा करने और अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने के आदेश दिए। मामला दो अभियंताओं की याचिका पर सुनवाई के दौरान सामने आया। एचवीपीएनएल ने राज्य सरकार की 23 मई को जारी माडल आनलाइन ट्रांसफर पालिसी को पूरी तरह अपनाने के बावजूद दिव्यांग कर्मचारियों को सक्षम कर्मचारियों की तुलना में बेहद कम विकल्प दिए।
याचिका में बताया गया कि सक्षम कर्मचारियों को तबादले के लिए 392 विकल्प दिए गए, जबकि पहले याची को केवल 15 और दूसरे को छह विकल्प ही दिए गए। हाईकोर्ट ने कहा कि यह न केवल दिव्यांग अधिकार अधिनियम, 2016 और नीति का उल्लंघन है, बल्कि संवैधानिक मूल्यों व समानता के सिद्धांतों के भी खिलाफ है। जस्टिस ब्राड ने टिप्पणी की “अनुच्छेद 21 के तहत जीवन का अधिकार केवल पशु-स्तर के अस्तित्व तक सीमित नहीं है, बल्कि सार्थक जीवन के अधिकार को भी समाहित करता है।
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