राजनीतिक दलों को आयकर में छूट का मामला हाई कोर्ट पहुंचा, मांगा जवाब
राजनीतिक दलों को चंदे पर आयकर में छूट का मामला पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में पहुंच गया है। हाई कोर्ट ने इस पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है।
जेएनएन, चंडीगढ़। राजनीतिक दलों को आयकर में छूट का मामला अब पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में पहुंच गया है। इस संबंध में एक अधिवक्ता ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। अदालत ने इसे बेहद गंभीर मामला बताते हुए केंद्र सरकार से जवाब मांगा है।
इस संबंध में हाई कोर्ट के वकील एचसी अरोड़ा ने आयकर की धारा 13 ए को पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में चुनौती दी है। इस धारा के तहत राजनीतिक पार्टियां किसी से भी 20,000 तक का दान ले सकती हैं। बुधवार को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का हवाला देते हुए याचिकाकर्ता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट अपने आदेशों में पहले ही यह कह चुका है कि इस प्रकार की छूट देना सही नहीं है।
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याचिकाकर्ता ने कहा कि ऐसा करना पैसे के माध्यम से चुनावों को प्रभावित करने की संभावना को बढ़ाता है। जब तक चुनावों के लिए मिलने वाले चंदे को पारदर्शी नहींं बनाया जाता, देश से भ्रष्टचार समाप्त नहीं हो सकता है। याचिकाकर्ता ने कहा कि विमुद्रीकरण के कारण लोग कतारों में खड़े होकर पैसे निकालने के लिए मजबूर हैं और राजनीतिक पार्टियां करोड़ों के काले धन को सफेद करने में जुटी हुई हैं।
समाचार पत्रों में छपी खबर का हवाला देते हुए याचिकाकर्ता ने कहा कि देश में 1500 रजिस्टर्ड राजनीतिक पार्टियां हैं और इनमें से 190 ऐसी हैं जिन्होंने कभी कोई चुनाव नहींं लड़ा है। एक न्यूज चैनल द्वारा किए गए स्टिंग ऑपरेशन का हवाला देते हुए याचिकाकर्ता ने कहा कि यह स्टिंग साबित करता है कि कैसे पार्टियां काले धन को सफेद कर रही हैं।
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इस पर हाईकोर्ट ने इकहा कि यह बेहद गंभीर विषय है और इसपर विस्तृत रूप में विचार की जरूरत है। हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार की ओर से मौजूद वकील को इस याचिका की प्रति उपलब्ध करवाते हुए अगली सुनवाई पर इस बारे में केंद्र सरकार का पक्ष रखने को कहा। संभावना है कि 19 जनवरी को अतिरिक्त महाधिवक्ता चेतन मित्तल इस मामले में केंद्र सरकार का पक्ष रखेंगे।
रिकॉर्ड न रखने की भी छूट
याचिका में कहा गया है कि आयकर की धारा 13 ए के तहत राजनीतिक पार्टियां किसी से भी 20,000 तक का दान ले सकती है। उन्हें इस दान का कोई रिकार्ड भी रखने की जरूरत नहीं है। यह दान देने वालाें की सूची भी राजनीतिक दलों द्वारा दिखाना अनिवार्य नहीं है। याचिका में बताया गया है कि राजनीतिक दलों ने सन 2014 - 2015 में अपने कुल चंदे का 51 फीसद से ज्यादा फंड 20,000 रुपये से कम दान के जरिये जुटाया गया बताया था।