डेरा प्रकरणः हाई कोर्ट सख्त, कहा- हरियाणा ने आंखें बंद रखी, इसलिए हुई भीड़ इकट्ठी
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने डेरा प्रेमियों से निपटने के लिए तैनात फोर्स को नाकाफी बताया। कहा कि हरियाणा के डीजीपी कानून व्यवस्था को बनाए रखने में फेल साबित हो रहे हैं।
जेएनएन, चंडीगढ़। साध्वी यौन शोषण मामले में डेरा सच्चा सौदा प्रमुख पर आने वाले फैसले को लेकर पंचकूला व आसपास के क्षेत्र में भारी तादाद में डेरा प्रेमियों के आने और कानून व्यवस्था बिगड़ने के खिलाफ एक याचिका पर सुनवाई के दौरान वीरवार को हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को जमकर फटकार लगाई।
जनहित याचिका पर वीरवार को तीन चरण में सुनवाई हुई। पहले व दूसरे चरण में हाईकोर्ट की डिविजन बैंच ने मामले पर सुनवाई की। लेकिन मामले की गंभीरता को देखते हुए तुंरत जस्टिस एसएस सारों, जस्टिस सूर्यकांत व जस्टिस अवनीश झीगन की फुल बैंच का गठन किया गया। तीन बजे के बाद फुल बैंच ने मामले पर सुनवाई की।
कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई आरंभ करते हुए कहा कि वह तीन दिन से देख रहे हैं कि पंचकूला और दोनों राज्यों में हालात लगातार बिगड़ रहे हैं और सरकार गंभीरता नहीं दिखा रही। कोर्ट ने केंद्रीय गृह सचिव को इस मामले में तुरंत उचित संख्या में सुरक्षा बल की तैनात करने का आदेश दिया।
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डेरे की अपील भी हरियाणा सरकार के आदेशों की तरह फेल
डेरा प्रमुख के वकील ने कोर्ट को बताया कि डेरे की तरफ से सभी समर्थकों को निर्देश दिया गया है कि वो पंचकूला न आएं। बाबा ने सभी से शांति बनाए रखने की अपील की है। कोर्ट ने कहा कि वो इस दलील को नहीं मानते हैं। मीडिया लगातार इस मामले की कवरेज कर रहा है और इस अपील के अलावा हर कुछ पढऩे को मिल रहा है। डेरे ने समर्थकों को वापस बुलाने के लिए क्या एक प्रेस विज्ञप्ति तक जारी की है।
इसपर कोर्ट को बताया गया कि राम रहीम ने ट्विट कर लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है। इस पर हाईकोर्ट ने सवाल पूछा कि जो भीड़ पंचकूला में एकत्र हुई है उनमें कितने लोग ट्विटर का उपयोग करते हैं। केवल ट्विटर पर लिखने से कुछ नहीं होता। बेहतर होगा कि डेरा अब इन सभी समर्थकों से वापस आने की अपील करे। फुल बैंच ने सख्त रुख अपनाते हुए डेरे को आदेश दिया कि वो समर्थकों से वापस आने की अपील करे और शुक्रवार को इसकी कॉपी कोर्ट में पेश करे। कोर्ट ने पुलिस को समर्थकों को पंचकूला से बाहर भेजने के आदेश दिए हैं।
पुलिस कमिश्नर से पूछा : क्या आपके पास कोई योजना नहीं थी
हाईकोर्ट पंचकूला पुलिस कमिश्नर पर भी सख्ती बरतता नजर आया। कोर्ट ने पूछा कि क्या आपने भीड़ को आने से रोकने के लिए कोई प्लान नहीं बनाया। क्या आपके पास कोई योजना नहीं है। धारा-144 का मजाक उड़ाया गया। हाईकोर्ट के कार्यवाहक चीफ जस्टिस ने केंद्र को आदेश दिया कि वह इस मामले में सख्त कदम तत्काल उठाएं क्योंकि हरियाणा सरकार इस मामले में विफल नजर आ रही है। केंद्र और फोर्स तैनात करे, हम नहीं चाहते कि जाट आंदोलन जैसा हाल हरियाणा में हो। पुलिस की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि उनके पास इस बात के सबूत है कि डेरे की तरफ से लोगो के पंचकूला आने के लिए कहा गया था। इस पर कोर्ट ने शुक्रवार को कोर्ट में इस बाबत रिकॉर्ड देने का आदेश दिया।
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हालात सरकार के बस के बाहर : न्यायालय
हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को कहा कि उनकी कमजोरी, इच्छाशक्ति की कमी और स्थिति के प्रति आंखें मूंदने का ही नतीजा है कि चंडीगढ़ में हालात उसके बस के बाहर हो गए। हाईकोर्ट ने कहा कि अब राज्य सरकार का स्थिति पर नियंत्रण नहीं है और ऐसे में यह जरूरी हो गया है कि आर्मी को इसकी जिम्मेदारी सौंपी जाए। हरियाणा सरकार ने इसपर कहा कि उन्होंने अपनी तरफ से कोई कमी नहीं छोड़ी लेकिन मैनपावर की कमी उनके मार्ग में बाधा बनी।
डीजीपी पूरी तरह फेल, हालात नहीं बदले तो हो सकते हैं डिसमिस
इसपर हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को पंचकूला में और अधिक फोर्स तैनात करने को कहा। साथ ही यह भी कहा कि हरियाणा के डीजीपी मामले से निपटने में पूरी तरह फेल साबित हो रहे हैं। यदि यही हालात रहे और उन्होंने नेतृत्व नहीं संभाला तो हाईकोर्ट उन्हें डिसमिस करने का आदेश जारी कर सकता है। इसके बाद सुनवाई को लंच तक के लिए टाल दिया गया।
इस मामले से निपटने में केवल 75 कंपनियां
लंच के बाद हाईकोर्ट ने सवाल उठाया कि पंजाब चुनाव में 500 कंपनियां तैनात की गई थी जबकि इस मामले से निपटने के लिए केवल 75 कंपनियां ही तैनात की गई हैं। इसपर केंद्र सरकार ने बताया कि चुनाव के दौरान हर बूथ पर तैनातगी होती है और इसका शेड्यूल पहले से निर्धारित होता है। इस मामले में अचानक यह स्थिति आई और जिस आधार पर निवेदन किया गया था। उपलब्धता के आधार पर कंपनियां मुहैया करवाई गई।
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वकील गुप्ता ने कहा, डेरा रामपाल की तरह कोर्ट को चुनौती दे रहा
हाईकोर्ट के वकील अनुपम गुप्ता ने कोर्ट को बताया कि डेरा सच्चा सौदा रामपाल की तरह कोर्ट को चुनौती दे रहा है। गुप्ता ने कहा कि लाखों लोगों की भीड़ पर गोली नहीं चलाई जा सकती है। बाबरी मस्जिद मामले में तत्कालीन सीएम कल्याण सिंह ने भी कहा था कि भीड़ पर गोली नहीं चलाई जा सकती। इसका नतीजा यह हुआ कि भीड़ का उत्साह बढ़ा और वह कई गुना ज्यादा बढ़ गई।
डेरा वकील ने कहा : याचिका राजनीतिक
डेरे के वकील ने जनहित याचिका पर ही सवाल उठा दिए। डेरे की ओर से कहा गया कि यह जनहित याचिका राजनीतिक है। याचिकाकर्ता इनेलो का कार्यकर्ता है। याचिका डेरे को बदनाम करने की साजिश है। डेरे की तरफ से कोर्ट को कहा गया गया कि उनकी तरफ से अपील की गई थी कि कोई पंचकूला न जाए लेकिन फिर भी लोग आ गए तो डेरे का क्या कसूर हे। डेरे की तरफ से कहा गया कि उनकी तरफ से शांति रहेगी। हाईकोर्ट ने कहा कि हमें राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है। हमें केवल लोगों की सुरक्षा से मतलब है और लोगोंं के जमा होने से नागरिकों की सुरक्षा को खतरा पैदा हो गया है जो होने नहीं दिया जाएगा।
हरियाणा और पंचकूला क्या भारत का हिस्सा नहीं?
सुरक्षा के लिए आर्मी की कमी होने और सुरक्षा बलों के पर्याप्त न होने पर हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाई। हाईकोर्ट ने कहा कि यदि पंचकूला और हरियाणा को भारत का हिस्सा नहीं मानते तो मना कर दो कि इसके लिए कोई और व्यवस्था कर लो। इसपर केंद्र सरकार ने कहा कि पर्याप्त संख्या में बल मुहैया करवाया गया है। हाईकोर्ट ने कहा कि कैसे पता की यह संख्या पर्याप्त है। इसपर केंद्र सरकार ने कहा कि उपलब्धता के आधार पर मुहैया करवाया गया है।
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कुछ हुआ तो सरकार होगी जिम्मेदार
कोर्ट ने कहा कि पंचकूला में इस प्रकार लोगों का जमावड़ा लगने से गरीब लोगों के लिए तो रोटी के लाले पड़ गए हैं। गरीब लोगों को भी जीने का अधिकार है और इसकी रक्षा राज्य की जिम्मेदारी है। क्यों नहीं समय पर पंचकूला में एंट्री बंद की गई। यदि ऐसा किया गया होता तो हालात इस कदर तक बदतर नहंी होते। लोगों को कोर्ट की शरण नहीं लेनी पड़ती। इस पूरी स्थिति को हलके में लिया गया इसका नतीजा है कि अब स्थिति काबू के बाहर है।
सुरक्षा का मामला राज्य का, सेना स्टैंडबाय पर काम चल रहा
मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र के वकील सतपाल जैन ने कोर्ट को बताया कि राज्य की सुरक्षा का मामला राज्य का है। केंद्र सरकार राज्य की मांग के अनुसार सुरक्षा बल उपलब्ध करवाता है। सेना स्टैंडबाय की मांग पर कोर्ट को बताया गया है कि गृह मंत्रालय ने इस बाबत रक्षा मंत्रालय को सूचित कर दिया है और सेना की तैनाती के लिए एक सिस्टम है, उसकी पालना करनी पड़ती है और उसके अनुसार काम किया जा रहा है।
जो भी कानून तोड़े सख्ती से निपटो, एक्शन में न हो देरी
हाईकोर्ट ने कहा कि जिस प्रकार लोग एकत्रित हो रहे हैं किसी अनहोनी की आशंका बनी हुई है। सरकार की ओर से कोई कमी रही तो हालात बिगड़ सकते हैं। ऐसे में किसी भी कानून की उल्लंघना करने वाले को बख्शा न जाए। हरियाणा में फिर से आंदोलन के दौरान बने हालातों को दोहराने नहीं दिया जाएगा। केवल पंचकूला में ही नहींं बल्कि पूरे हरियाणा और विशेष तौर पर सिरसा में इस बात का खास ख्याल रखा जाए।
आज ही भेजी जाए रिजर्व रखी गई फोर्स, आर्मी रहे स्टैंड बाय
हाईकोर्ट ने कहा कि हालात संभालने के लिए और सुरक्षा की जरूरत है। इसलिए आज ही रिजर्व फोर्स भेजी जाए। आर्मी को स्टैंड बाय रखा जाए और जरूरत पड़ते ही इसको व्यवस्था के लिए उतार दिया जाए। हाईकोर्ट ने स्पष्टï किया कि हरियाणा ही नहीं पंजाब और चंडीगढ़ को भी यदि आर्मी की जरूरत पड़े तो तुरंत उन्हें मुहैया करवाई जाए।
धारा 144 के आदेश रद्दी का टुकड़ा, लोगों को बुलावा दे रहे थे आदेश
सुबह मामले की सुनवाई आरंभ हुई तो हरियाणा सरकार ने बताया कि लोगों को पंचकूला आने से रोकने के लिए धारा 144 लगाई गई थी। इसके बाद हाईकोर्ट ने इसकी कॉपी मांगी। आदेशों के अनुसार पहले पांच लोगों के हथियार के साथ एकत्रित होने पर पाबंदी थी लेकिन अब इसके तहत पांच लोगों के इक_ा होने पर भी रोक लगा दी गई है। हाईकोर्ट ने कहा कि जिस प्रकार से यह आदेश जारी किए गए हैं उसे देखकर लगता है इसे लोगों को एकत्रित होने का आमंत्रण दे रहे हों। यह आदेश लोगों को रोकने में किसी भी प्रकार से कामयाब हो ही नहीं सकते हैं।
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