हरियाणा: बहू की घर से बेदखली का आदेश रद, हाईकोर्ट ने जिला मजिस्ट्रेट को लगाई फटकार
पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने गुरुग्राम के जिला मजिस्ट्रेट के बहू को घर से बेदखल करने के आदेश को रद्द कर दिया। कोर्ट ने कहा कि मामला पहले एसडीएम-सह-मेंटेनेंस ट्रिब्यूनल के पास जाना चाहिए था। कोर्ट ने जिला मजिस्ट्रेट को निर्देश दिया कि वह आवेदन एसडीएम-ट्रिब्यूनल को स्थानांतरित करें, जो कानूनों के तहत दोबारा निर्णय लेगा।

हरियाणा: बहू की घर से बेदखली का आदेश रद। सांकेतिक फोटो
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने गुरुग्राम के जिला मजिस्ट्रेट द्वारा बहू को घर से बेदखल करने के आदेश को रद करते हुए कहा कि मामला पहले उपमंडल मजिस्ट्रेट (एसडीएम)-सह-मेंटेनेंस ट्रिब्यूनल के समक्ष जाना चाहिए था। कोर्ट ने जिला मजिस्ट्रेट को निर्देश दिया है कि वह मूल आवेदन एसडीएम-कम-मेंटेनेंस ट्रिब्यूनल को स्थानांतरित करें, जो संबंधित कानूनों के तहत दोबारा निर्णय लेगा।
यह आदेश जस्टिस कुलदीप तिवारी ने उस याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया, जिसमें याचिकाकर्ता बहू ने 30 मार्च 2022 के आदेश को चुनौती दी थी। उस आदेश में जिला मजिस्ट्रेट ने याचिकाकर्ता और उसके पति को घर खाली करने का निर्देश दिया था। याचिकाकर्ता की ओर से दलील दी गई कि जिला मजिस्ट्रेट ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर यह आदेश दिया है।
माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम 2007 और हरियाणा भरण-पोषण माता-पिता और वरिष्ठ नागरिक नियम 2009 के तहत यह मामला एसडीएम-कम-मेंटेनेंस ट्रिब्यूनल के पास जाना चाहिए था, जबकि जिला मजिस्ट्रेट अपीलीय प्राधिकारी के रूप में कार्य करता है।
राज्य सरकार के वकील ने भी इस बात पर सहमति जताई कि आवेदन एसडीएम-कम-मेंटेनेंस ट्रिब्यूनल के समक्ष दाखिल किया जाना चाहिए था। कोर्ट ने कहा कि इस चरण पर वह मामले के गुण-दोष पर नहीं जा रही है, क्योंकि याचिकाकर्ता की मुख्य दलील में दम है। इसलिए, जिला मजिस्ट्रेट का आदेश रद किया जाता है और उसे निर्देश दिया जाता है कि वह आदेश की प्रमाणित प्रति प्राप्त होने पर आवेदन तुरंत एसडीएम-कम-मेंटेनेंस ट्रिब्यूनल को भेजें।
ट्रिब्यूनल को निर्देश दिया गया है कि वह सभी पक्षों को सुनने और नियमों का पालन करने के बाद मामले पर नया निर्णय दे। कोर्ट ने सभी पक्षों को 26 नवंबर को मेंटेनेंस ट्रिब्यूनल के समक्ष पेश होने के लिए कहा है।

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