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    गजब है हरियाणा सरकार! हाईकोर्ट ने दिया सैलरी बढ़ाने का आदेश तो बढ़ाया सिर्फ एक रुपया, अब अदालत ने फटकारा

    Updated: Fri, 24 Jan 2025 06:23 PM (IST)

    पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को कार्यकारी अभियंता के वेतन में वृद्धि के आदेश का पालन न करने पर कड़ी फटकार लगाई है। सरकार ने आदेश के तहत सिर्फ एक रुपये की बढ़ोतरी की थी। हाईकोर्ट ने इसे गैर-कार्यात्मक और अवैध करार दिया है। कोर्ट ने कहा कि ऐसे अधिकारियों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए जो अदालत के आदेशों का मजाक उड़ाते हैं।

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    हरियाणा सरकार के फैसले पर हाईकोर्ट ने लगाई कड़ी फटकार।

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश में हरियाणा सरकार को कार्यकारी अभियंता का वेतन बढ़ाने का आदेश दिया था, जिसके अनुपालन में संबंधित कार्यकारी अभियंता के वेतन में मात्र एक रुपये की बढ़ोतरी की गई है।

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    सरकारी अधिकारियों के इस रवैये पर हाईकोर्ट नाराज है। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की कार्यवाही पर सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि कार्यकारी अभियंता के वेतनमान में सिर्फ एक रुपये की बढ़ोतरी गैर कार्यात्मक और स्पष्ट रूप से अवैध है।

    'अधिकारियों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए'

    जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा और जस्टिस मीनाक्षी आई मेहता की पीठ ने कहा कि हम लगता है कि राज्य सरकार के अधिकारियों की यह कार्यवाही अदालत के आदेशों का मजाक उड़ाने के समान है। ऐसे आदेश पारित करने वाले अधिकारियों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए। हम इस प्रकार की प्रथा की कड़ी निंदा करते हैं।

    यह टिप्पणी हरियाणा सरकार द्वारा एकल जज के उस आदेश के खिलाफ दायर अपील पर सुनवाई के दौरान की गई, जिसमें कार्यकारी अभियंता के पद के लिए वेतनमान को संशोधित करने का निर्देश दिया गया था। साल 2012 में हरियाणा फेडरेशन ऑफ इंजीनियर्स हिसार ने हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी।

    याचिका में मांग की गई थी कि लोक निर्माण व जन स्वास्थ्य विभाग के सहायक अभियंता के वेतनमान की तुलना में कार्यकारी अभियंता का वेतनमान एक स्तर ऊपर और अधीक्षण अभियंता का वेतनमान कार्यकारी अभियंता से एक स्तर ऊपर किया जाए तथा यह संशोधन 1989 से प्रभावी हो।

    नहीं किया गया जज के आदेश का पालन

    एकल न्यायाधीश ने अपने फैसले में कहा था कि कार्यकारी अभियंता और अधीक्षण अभियंता को क्रमश: सहायक अभियंता के बाद और कार्यकारी अभियंता के बाद अगला उच्चतर वेतनमान मिलना चाहिए। यह आदेश एक मई 1989 से 31 दिसंबर 1995 तक के लिए लागू था।

    इसके अलावा अदालत ने सभी संबद्ध लाभों, जिसमें बकाया वेतन और संशोधित वेतनमान शामिल है, उसे संबंधित अधिकारियों को छह सप्ताह के भीतर जारी करने का निर्देश दिया था। हाईकोर्ट ने पाया कि एकल जज के आदेश का सही तरीके से पालन नहीं किया गया और कार्यकारी अभियंता के संशोधित वेतनमान में सिर्फ एक रुपये की वृद्धि की गई, जो कि गैर-कार्यात्मक थी।

    इसके अलावा सरकार ने एकल बेंच के आदेश के खिलाफ अपील दायर की, वह भी 229 दिनों की देरी के बाद। इसी के साथ कोर्ट ने सरकार की अपील खारिज करते हुए दोषी अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई का आदेश दिया।

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