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    पूर्व क्रिकेटर जोगिंदर शर्मा की याचिका पर HC ने सरकार को जारी किया नोटिस, कहा- 'IPS पदोन्नति याचिका के अंतिम फैसले पर होगी निर्भर'

    By Dayanand Sharma Edited By: Deepak Saxena
    Updated: Tue, 09 Jan 2024 03:06 PM (IST)

    आईपीएस पदोन्नति की सूची में नाम न रखने के फैसले को पूर्व अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर रहे डीएसपी जोगिंदर शर्मा (DSP Joginder Sharma) ने सरकार के फैसले को चुनौती दी है। इस मामले में सुनवाई करने के बाद पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार को जवाब तलब करने का नोटिस जारी किया है। साथ ही हाईकोर्ट ने कहा कि आईपीएस पदोन्नति याचिका के अंतिम फैसले पर निर्भर होगी।

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    पूर्व क्रिकेटर जोगिंदर शर्मा की याचिका पर HC ने सरकार को जारी किया नोटिस (फाइल फोटो)।

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पूर्व अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर रहे डीएसपी जोगिंदर शर्मा (DSP Joginder Sharma) ने आईपीएस पदोन्नति की सूची में नाम न रखने के मामले में हाईकोर्ट में मामला दर्ज करवाया है। याचिका पर सुनवाई करते हुए पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।

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    DSP ने आईपीएस पदोन्नति मामले को लेकर दायर की थी याचिका

    डीएसपी जोगिंदर शर्मा जो खेल कोटा के तहत हरियाणा पुलिस में डीएसपी के रूप में कार्यरत हैं, उन्होंने आईपीएस अधिकारियों के रूप में पदोन्नति के लिए विचार किए गए लोगों की सूची में अपना नाम शामिल नहीं करने के खिलाफ हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। हाई कोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी कर स्पष्ट कर दिया कि 2021 की चयन सूची के लिए आईपीएस पद पर पदोन्नति इस याचिका के अंतिम फैसले पर निर्भर होगी।

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    जोगिंदर शर्मा के अनुसार, राज्य सरकार 2021 की चयन सूची के लिए आईपीएस पद पर पदोन्नति के लिए राज्य पुलिस सेवा के 12 अधिकारियों के नामों पर विचार कर रही है और सूची में शामिल अधिकांश डीएसपी 2009 में राज्य पुलिस में शामिल हुए थे। इस तथ्य के बावजूद सूची में उन्हें शामिल नहीं किया गया कि जबकि वह 5 अक्टूबर 2007 सेवा में शामिल हुए थे और नियमों के अनुसार सभी 11 डीएसपी से पहले प्रोबेशन पूरी की थी।

    नियम 10 का याचिका में दिया हवाला

    याचिका में तर्क दिया गया कि राज्य प्राधिकारियों ने पत्र में अवैध रूप से उल्लेख किया है कि प्रशिक्षण पूरा होने पर याची की सेवा कंफर्म की जाती है। यह शर्त नियुक्ति पत्र एवं नियमों के खिलाफ होने व पूर्णत अवैध है। नियुक्ति पत्र या प्रासंगिक नियमों में ऐसा कोई उल्लेख नहीं है कि प्रोबेशन कंफर्म के लिए प्रशिक्षण पूरा करना आवश्यक है। याचिका के अनुसार, नियम 10 को पढ़ने से यह स्पष्ट हो जाता है कि सेवा में प्रवेश करने वाला कोई प्रशिक्षु नहीं है और उसे एक पूर्ण कर्मचारी के रूप में सेवा में शामिल किया गया है। प्रशिक्षण पूरा होने से पहले की याचिकाकर्ता की सेवा अवधि को सेवा से बाहर नहीं किया जा सकता है।

    शर्मा की याचिका में आगे कहा गया कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलों में उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन के आधार पर उन्हें तत्कालीन राज्य सरकार द्वारा पांच अक्टूबर, 2007 को हरियाणा पुलिस में डीएसपी के पद पर शामिल किया गया था। 4 सितंबर 2007 के नियुक्ति पत्र में यह स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया था कि वह दो साल की अवधि के लिए प्रोबेशन पर रहेंगे जिसमें प्रशिक्षण की अवधि आदि शामिल होगी। पत्र में यह भी उल्लेख किया गया था कि प्रोबेशन की अवधि एक साल तक बढ़ाई जा सकती है।

    याचिकाकर्ता ने याचिका में दी कई तर्क

    याचिकाकर्ता के अनुसार, हरियाणा पुलिस सेवा नियम 2002 के नियम 10 में भी यह प्राविधान है कि सेवा के सदस्य दो साल की अवधि के लिए प्रोबेशन पर रहेंगे जिसमें प्रशिक्षण की अवधि आदि शामिल होगी। याचिकाकर्ता प्रासंगिक नियमों के अनुसार, 5 अक्टूबर 2009 को डीएसपी के पद पर कंफर्म होने का हकदार था, या अधिकतम इसे 5 अक्टूबर, 2010 तक बढ़ाया जा सकता था। उसकी प्रोबेशन अवधि कभी नहीं बढ़ाई गई थी।

    हालांकि, 23 और 29 नवंबर के आदेश के अनुसार, उसे 9 जनवरी 2014 से कंफर्म कर दिया गया है, जो सेवा में शामिल होने के छह साल और तीन महीने की अवधि के बाद है। शर्मा ने 23 और 29 नवंबर के आदेश को संशोधित करने और पांच अक्टूबर 2009 से डीएसपी के रूप में उनकी सेवा कंफर्म करने और उन्हें वरिष्ठता और पदोन्नति आदि सहित सभी परिणामी लाभ प्रदान करने के निर्देश देने की मांग की है।

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