हाईकोर्ट ने विदेश भेजने के नाम पर धोखाधड़ी को लेकर जताई नाराजगी, कहा- देश की साख को नुकसान पहुंचा रहे बोगस ट्रैवल एजेंट
पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने विदेश भेजने के नाम पर हो रही धोखाधड़ी पर चिंता जताई है। अदालत ने कहा कि धोखेबाज एजेंटों के कारण पीड़ितों को नुकसान होता है और देश की छवि भी खराब होती है। ऐसे मामलों में संगठित गिरोह शामिल होते हैं जिनका पर्दाफाश करना ज़रूरी है। कोर्ट ने ऐसे आरोपियों की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी क्योंकि यह समाज के लिए भी एक गंभीर चुनौती है।

दयानंद शर्मा, चंडीगढ़। पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने विदेश भेजने के नाम पर भारतीय नागरिकों से धोखाधड़ी करने वाले बोगस ट्रैवल एजेंटों के विरुद्ध बढ़ते मामलों पर गहरी चिंता जताई है। अदालत ने कहा कि ऐसे एजेंट जो खुद को वैध ट्रैवल एजेंट बताकर लोगों को अवैध रास्तों से विदेश भेजते हैं, वह न सिर्फ पीड़ित व्यक्तियों को अपूर्णीय नुकसान पहुंचा रहे हैं, बल्कि देश की साख को भी भारी नुकसान हो रहा है।
जस्टिस मंजरी नेहरू कौल ने कहा कि ट्रैवल एजेंट के रूप में सामने आने वाले कुछ बेईमान एजेंट हाल के वर्षों में एक गंभीर समस्या बन चुके हैं। कई मामलों में भारतीय नागरिकों को अवैध चैनलों के माध्यम से विदेश भेजा गया, जिससे उन्हें वहां डिपोर्ट किया गया या हिरासत में लिया गया। इससे न केवल व्यक्तियों को नुकसान हुआ है, बल्कि देश की प्रतिष्ठा को भी गहरी चोट पहुंची है।
यह टिप्पणी कई याचिकाओं की सुनवाई के दौरान की गई, जिसमें कोर्ट के समक्ष ऐसे मामलों की सुनवाई हो रही थी, जिसमें आरोपित और एक सह-आरोपित पर युवकों को विदेश में अवैध रूप से भेजने का आरोप है। एक मामले में पीड़ित युवक को पोलैंड में गिरफ्तार कर लिया गया और उसे सात महीने तक हिरासत में रहना पड़ा। इस दौरान आरोपितों ने पीड़ित के परिजनों से पैसे की मांग की और बेटे की जान को खतरा बताकर धमकियां दीं।
हाईकोर्ट ने कहा कि इस प्रकार के मामलों में सिर्फ एक व्यक्ति नहीं, बल्कि पूरा संगठित गिरोह काम करता है, जिसे उजागर करना आवश्यक है। यह मामला भी उसी दुखद प्रवृत्ति का एक और प्रतिबिंब है। यदि आरोप सिद्ध होते हैं तो यह मानव शोषण और गंभीर धोखाधड़ी का मामला बनता है, जो इमिग्रेशन के नाम पर किया गया है। ऐसे में आरोपितों की हिरासत में पूछताछ न सिर्फ उचित है, बल्कि आवश्यक है, ताकि इस आपराधिक नेटवर्क की गहराई तक पहुंचा जा सके।
हाई कोर्ट के समक्ष जांच एजेंसियों ने कहा कि आरोपितों के खिलाफ दर्ज एफआइआर में उसके विरुद्ध गहन आपराधिक सामग्री है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि यह एक योजनाबद्ध साजिश थी, जो विदेश जाने की लालसा रखने वाले असहाय लोगों को ठगने के इरादे से रची गई थी।
सभी तथ्यों को देखने के बाद इन मामलों में अग्रिम जमानत याचिका को हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि इस प्रकार के आरोपों की प्रकृति को देखते हुए अदालत यह मानती है कि ऐसे लोगों को अग्रिम जमानत का असाधारण लाभ देना उपयुक्त नहीं होगा।
कोर्ट ने इस बात पर भी बल दिया कि ऐसे मामलों के सामाजिक प्रभाव को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, क्योंकि यह न केवल व्यक्ति के लिए खतरनाक है, बल्कि समाज और देश के लिए भी एक बड़ी चुनौती बन चुका है।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।