कथित संत रामपाल की 'मिनी आर्मी' को सिखाता था हथियार चलाना, दामाद संजय फौजी की देशद्रोह केस में जमानत रद्द
पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने रामपाल के दामाद संजय फौजी की जमानत रद्द कर दी है। फौजी पर रामपाल की 'मिनी आर्मी' को हथियार चलाने का प्रशिक्षण देने का आरोप है, जिसके कारण उस पर देशद्रोह का मामला दर्ज है। अदालत ने आरोपों की गंभीरता और समाज के लिए खतरे को देखते हुए यह फैसला सुनाया।

देशद्रोह व तथा गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम मामले में मांगी थी जमानत (फाइल फोटो)
दयानंद शर्मा, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने कथित संत रामपाल के दामाद और पूर्व सैनिक संजय उर्फ फौजी को देशद्रोह तथा गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम मामले में नियमित जमानत देने से इनकार कर दिया है। आरोप है कि संजय ने रामपाल की कथित “मिनी आर्मी” को हथियार चलाने और सैन्य शैली की ट्रेनिंग दी थी तथा पुलिस पर हमले की साजिश को अंजाम दिया था।
हाई कोर्ट के जस्टिस दीपक सिब्बल और जस्टिस लपीता बनर्जी ने अपने आदेश में कहा कि आरोपित संजय मुख्य आरोपित रामपाल का दामाद है और रामपाल के हरियाणा में लाखों अनुयायी हैं।
ऐसे में गवाहों को प्रभावित किए जाने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता, जो मुकदमे की दिशा बदल सकती है। अदालत ने उसे जमानत न देने का एक महत्वपूर्ण आधार माना है।
हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि संजय पर बेहद गंभीर आरोप हैं कि उसने रामपाल की ‘मिनी आर्मी’ को हथियार चलाने की ट्रेनिंग दी और वही व्यक्ति पुलिस पार्टी पर हमले का सूत्रधार था।
यह हमला उस समय हुआ था जब पुलिस कोर्ट के गिरफ्तारी वारंट को लागू कराने के लिए आश्रम में प्रवेश करने की कोशिश कर रही थी। इस हिंसक घटना में 111 पुलिसकर्मी गोली तथा ज्वलनशील पदार्थों से जलने एवं चोटों का शिकार हुए थे।
कोर्ट ने यह भी देखा कि लगभग साढ़े सात वर्षों तक पुलिस के भरसक प्रयासों के बावजूद संजय गिरफ्तारी से बचता रहा। इससे यह स्पष्ट होता है कि वह प्रभावशाली है और लंबे समय तक कानून से बचने में सफल रहा।
संजय की जमानत अर्जी खारिज करते हुए हाई कोर्ट ने राज्य को निर्देश दिया कि उसके ट्रायल की अगली तारीख से चार माह के भीतर सभी महत्वपूर्ण गवाहों को अदालत में पेश किया जाए।
जमानत याचिका में संजय ने कहा था कि इस मामले के 146 आरोपित पहले ही जमानत पर हैं। वह अन्य सभी मामलों में बरी हो चुका है। ट्रायल कोर्ट में अभियोजन ने 425 गवाह सूचीबद्ध किए हैं, जिससे मुकदमा लंबा चल सकता है।
इसके अलावा वह तीन साल तीन महीने की वास्तविक हिरासत काट चुका है और उसके खिलाफ सिर्फ सह-आरोपित के खुलासे पर आधारित आरोप हैं, जिनकी कानूनन कोई वैधता नहीं। उसके पास से कोई बरामदगी भी नहीं हुई।
राज्य ने इसका विरोध करते हुए कहा कि पूर्व सैनिक होने के नाते संजय ने रामपाल के समर्थकों को हथियार चलाने की ट्रेनिंग दी। पुलिस जब आश्रम में दाखिल हुई तो संजय ने ही फायरिंग और पेट्रोल बम से हमला करवाया, जिसमें 111 पुलिसकर्मी घायल हुए।
साथ ही वह 7½ वर्ष तक फरार रहा और घोषित अपराधी वाले मामले में उसकी बरी सिर्फ तकनीकी आधार पर हुई। हाईकोर्ट ने सभी तर्कों पर विचार करते हुए जमानत से इनकार कर दिया और मामले की सुनवाई को तेज करने के लिए स्पष्ट समय सीमा भी तय कर दी।

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