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    हरियाणा के सैंकड़ों युवा रूस-यूक्रेन युद्ध में फंसे, रोते हुए करते हैं घरवालों से बात, पुकार सुने सरकार, आप नेता ढांडा ने उठाए सवाल

    Updated: Mon, 03 Nov 2025 07:29 PM (IST)

    आम आदमी पार्टी के नेता अनुराग ढांडा ने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध में फंसे हरियाणा के युवाओं की हालत बहुत खराब है। उन्होंने सरकार से पूछा कि इन युवाओं को वापस लाने के लिए क्या किया जा रहा है, क्योंकि वे धोखेबाज एजेंटों के जाल में फंसकर युद्ध में लड़ने को मजबूर हैं। कई युवा मारे गए हैं और कई अभी भी फंसे हुए हैं।

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    आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी अनुराग ढांडा।

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी अनुराग ढांडा ने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध में फंसे हरियाणा के युवाओं की करुण पुकार ने पूरे प्रदेश को हिला दिया है। उन्होंने कहा कि हरियाणा के सैकड़ों बेटे अब भी युद्धभूमि में फंसे हैं, जहां हर दिन गोलियां चल रही हैं। उन्हें वापस लाने के लिए हरियाणा सरकार की ओर से कोई इंतजाम नहीं किये गये हैं।

    अनुराग ढांडा ने चंडीगढ़ में जारी एक बयान में कहा कि हिसार जिले के मोदनहेड़ी गांव का युवा अमन अपने वीडियो में रोते हुए कहता है कि उसे सिक्योरिटी गार्ड जैसी नौकरी देने को बोला गया था, लेकिन 10 दिन की ट्रेनिंग के बाद सीधे बाॅर्डर पर भेज दिया गया। हर तरफ बम गिर रहे हैं, लोग मर रहे हैं, कभी भी उसकी जान जा सकती है। ढांडा ने कहा कि केंद्र व राज्य सरकार को यह करुण आवाज सुनाई नहीं देती। हमारे बेरोजगार बेटे विदेशी फौजों में भर्ती होकर मरने को विवश हैं।

    आप नेता ने कहा कि मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने युवाओं को रोजगार देने के वादे किए थे, लेकिन आज वही युवा नौकरी की तलाश में धोखेबाज एजेंटों के जाल में फंसकर रूस की लड़ाई लड़ने को मजबूर हैं। ढांडा ने कहा कि एजेंट हरियाणा के गांव-गांव में घूम रहे हैं। कभी भाषा सिखाने का झांसा देते हैं, कभी सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी का प्रलोभन देते हैं।

    अनुराग ढांडा ने कहा कि 2024 से अब तक हरियाणा के दर्जनों युवा रूस भेजे गए हैं। विदेश मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक अक्टूबर 2025 तक कम से कम 12 भारतीय मारे गए और 85 अब भी रूसी फौज में फंसे हैं। इनमें हिसार, कैथल, रोहतक, जींद और भिवानी के युवा शामिल हैं। कैथल के 24 वर्षीय कर्मचंद का शव रूसी झंडे में लिपटकर लौटा है। हिसार के अमन का कोई सुराग नहीं और रोहतक के पूनिया-जांगड़ा अब भी युद्ध क्षेत्र में फंसे हैं।

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