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    हरियाणा शीतकालीन सत्र: स्पीकर ने कांग्रेस के अविश्वास प्रस्ताव को किया मंजूर, कल होगी चर्चा; क्या बोले CM सैनी?

    Updated: Thu, 18 Dec 2025 06:47 PM (IST)

    हरियाणा विधानसभा का शीतकालीन सत्र 18 दिसंबर से शुरू हुआ है। सत्र के पहले दिन कांग्रेस ने सदन में अविश्वास प्रस्ताव पेश किया, जिसे विधानसभा स्पीकर हरवि ...और पढ़ें

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    हरियाणा विधानसभा स्पीकर ने कांग्रेस के अविश्वास प्रस्ताव को किया मंजूर । फाइल फोटो

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा विधानसभा में विधायकों की कम संख्या के बावजूद प्रमुख विपक्ष दल कांग्रेस सत्तारूढ़ भाजपा के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लेकर आ गई। विपक्ष के नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में कांग्रेस के 37 में से 35 विधायकों ने अपने हस्ताक्षर करते हुए विधानसभा स्पीकर हरविन्द्र कल्याण को मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की सरकार के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव पेश किया।

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    दो विधायक मोहम्मद इलियार और विनेश फोगाट उस समय सदन में मौजूद नहीं थे। विधानसभा स्पीकर ने कांग्रेस के इस अविश्वास प्रस्ताव को चर्चा के लिए स्वीकार कर लिया है। विधानसभा में शुक्रवार को दूसरी सीटिंग के दौरान कांग्रेस के इस अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा होगी।

    हरियाणा विधानसभा में कांग्रेस का यह अविश्वास प्रस्ताव गिरना तय है। राज्य में भाजपा की सरकार 48 विधायकों के साथ पूर्ण बहुमत में है। 90 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत के लिए 46 विधायक चाहिए। तीन निर्दलीय विधायक भी भाजपा के साथ हैं।

    पिछले साल भी लाया गया था अविश्वास प्रस्ताव

    ऐसे में सदन में भाजपा का संख्या बल 51 हुआ, जबकि विपक्षी दल कांग्रेस के साथ दोनों इनेलो विधायक नहीं हैं। हालांकि, वे भाजपा के साथ भी नहीं हैं और तटस्थ भूमिका में हैं। ऐसे में सरकार को किसी तरह का खतरा नहीं है। पिछले साल भाजपा सरकार के विरुद्ध लाया गया कांग्रेस का अविश्वास प्रस्ताव वाकआउट के कारण गिर गया था।

    विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा और उनके विधायकों ने स्पीकर को सरकार के विरुद्ध दिए अविश्वास प्रस्ताव में आरोप लगाया कि भाजपा सरकार जनता का विश्वास खो चुकी है। वह हर मोर्चे पर विफल है। भले ही कांग्रेस के पास विधायकों का संख्या बल कम है, लेकिन जनता में विश्वास खो चुकी भाजपा के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाना हमारी जिम्मेदारी है।

    कल होगी दो सीटिंग

    हरियाणा विधानसभा के प्रक्रिया तथा कार्य संचालन संबंधी नियमों के नियम 65 के तहत कांग्रेस ने नायब सरकार के विरुद्ध स्पीकर को यह अविश्वास प्रस्ताव सौंपा है। विधानसभा की कार्यवाही 22 दिसंबर तक चलेगी। शुक्रवार को सदन में दो सीटिंग होनी है।

    दूसरी सीटिंग में इस अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच जबरदस्त टकराव होने की संभावना है। अभी तक राज्य में तीसरी बार सत्तारूढ़ भाजपा सरकार के विरुद्ध कोई अविश्वास प्रस्ताव पास नहीं हो पाया है। अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान कांग्रेस के आधे यानी 18 विधायकों का सदन में खड़े होकर अपनी सहमति जताना जरूरी है।

     

    एक दर्जन मुद्दों को लेक सरकार के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव

    विधानसभा में विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा और वरिष्ठ विधायक चौधरी आफताब अहमद ने अविश्वास प्रस्ताव को लेकर कहा कि भाजपा सरकार ने लोकतंत्र को तंत्रलोक में बदल दिया है। मशीन और मशीनरी का दुरुपयोग कर बनी इस संवेदनहीन और संवादहीन सरकार पर लोगों का भरोसा नहीं रहा है।

    सरकार की संकीर्ण सुरंगीय सोच के कारण प्रदेश अपराध, नशा, बेरोजगारी, अशिक्षा, असमानता, दूषित पर्यावरण, किसानों की खराब स्थिति का पर्याय बन चुका है। प्रदेश में भय और भ्रष्टाचार बढ़ रहे हैं। पुलिस असहाय बनी हुई है। संगठित अपराधी गिरोग निडर होकर लोगों को लूटने का काम कर रहे हैं।

    खेल सुविधाओं की कमी और खराब वित्तीय प्रबंधन का आरोप

    सरकार के विरुद्ध कांग्रेस के अविश्वास प्रस्ताव में पेपर लीक और खिलाड़ियों के लिए ढांचागत सुविधाओं के अभाव के मुद्दे भी उठाए गए हैं। विधायक बीबी बत्रा और गीता भुक्कल ने कहा कि कोर्ट केस के बहाने भर्तियों को लटकाया जा रहा है।

    खेल स्टेडियमों का रखरखाव सही नहीं है। युवा खिलाड़ियों को अपनी जान खोनी पड़ रही है। चुनाव के दौरान फर्जी राशनकार्ड बनाकर उनका लाभ लिया गया और अब चुनाव के बाद उन्हें निरस्त किया जा रहा है। यह लोगों के साथ धोखा और वोट चोरी है।

    राज्य के स्कूलों की हालत बहुत खराब है। सीनियर विधायक अशोक अरोड़ा और डॉ. रघुबीर कादिया ने कहा कि खराब वित्तीय प्रबंधन व गलत प्राथमिकताओं के कारण प्रदेश कर्ज में डूबता जा रहा है। राज्य में घोटाले पर घोटाले हो रहे हैं। हरियाणा के लोग मौजूदा सरकार से छुटकारा पाना चाहते हैं।

    विधानसभा में राजनीतिक दलों का संख्या बल

    • विधानसभा - 90 विधायक
    • बहुमत के लिए - 46 विधायक
    • भाजपा विधायक
    • निर्दलीय विधायक - तीन
    • कांग्रेस विधायक - 37
    • इनेलो विधायक - दो
    • अविश्वास प्रस्ताव सदन में आने के समय कांग्रेस के 18 विधायकों का मौके पर होना जरूरी