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    पेंशन के लिए भटकती रही विधवा, कोर्ट से 51 साल बाद मिला इंसाफ

    Updated: Thu, 20 Nov 2025 03:17 PM (IST)

    हरियाणा हाई कोर्ट ने 80 वर्षीय विधवा लक्ष्मी देवी को राहत देते हुए पेंशन और सेवानिवृत्ति लाभ जारी करने का आदेश दिया है। लक्ष्मी देवी 1974 से अपने पति की पेंशन के लिए संघर्ष कर रही थीं, जिनका निधन ड्यूटी के दौरान हो गया था। कोर्ट ने इस मामले को प्रशासनिक उदासीनता का उदाहरण बताते हुए बिजली निगम को दो महीने में सभी लाभ जारी करने का आदेश दिया है।

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    पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट फाइल फोटो (जागरण)

    राज्य ब्यूरो, पंचकूला। हरियाणा हाई कोर्ट ने एक आदेश जारी करते हुए 80 वर्षीय विधवा लक्ष्मी देवी को राहत दी है, जो 1974 से अपने दिवंगत पति के परिवार पेंशन और अन्य सेवानिवृत्ति लाभों के लिए विभागों के चक्कर काट रही थीं।

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    महिला के पति महा सिंह, बल्लभगढ़ हरियाणा स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड में सब-स्टेशन अफसर थे और ड्यूटी के दौरान पांच जनवरी 1974 को उनका निधन हो गया था। लक्ष्मी देवी को तब मात्र 6026 रुपये की एक्सग्रेशिया राशि मिली थी, लेकिन परिवार पेंशन, ग्रेच्युटी और बाकी बकाया लाभ कभी जारी नहीं किए गए।

    साल 2005 में एक केस दाखिल करने के बावजूद उन्हें कोई राहत नहीं मिली। जस्टिस हरप्रीत सिंह बराड़ ने याचिका सुनते हुए कहा कि यह मामला “प्रशासनिक उदासीनता और हक पाने की लगातार जद्दोजहद” का उदाहरण है। उन्होंने टिप्पणी की कि लगभग 50 साल से एक अशिक्षित और असहाय विधवा को इधर-उधर भटकना पड़ा, वह भी तब जब उसकी उम्र, सेहत और कानूनी साधन लगातार कमजोर हुए हैं।

    हक दिलाना दया नहीं, संविधान का आदेश है

    कोर्ट ने रिकॉर्ड में मौजूद विभागीय पत्रों का हवाला देते हुए कहा कि महा सिंह के नाम पर जीपीएफ खाता आवंटित किया गया था और उसमें कटौतियां भी हुई थीं। जस्टिस बराड़ ने कहा कि यह समझ से परे है कि यदि कर्मचारी जीपीएफ/पेंशन योजना के दायरे में नहीं था तो उसे जीपीएफ खाता कैसे आवंटित किया गया। उन्होने कहा कि एक 80 वर्षीय असहाय विधवा को उसका हक दिलाना “न्यायालय की दया नहीं, बल्कि संविधान का आदेश” है।

    कोर्ट ने हरियाणा के बिजली निगम के प्रधान सचिव और प्रशासनिक प्रमुख को आदेश दिया कि वे व्यक्तिगत रूप से पूरे मामले की जांच करें और दो महीने के भीतर लक्ष्मी देवी को उसके सभी विधिक लाभ तुरंत जारी करें।र