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    हरियाणा विधानसभा चुनाव से तय होगा गठबंधन की राजनीति का भविष्य, कई अकेले तो कुछ दल मिलकर ठोक रहे ताल

    Updated: Sat, 05 Oct 2024 06:07 AM (IST)

    हरियाणा विधानसभा चुनाव में क्षेत्रीय दल इनेलो-बसपा और जजपा-आसपा ने गठबंधन किया है जबकि भाजपा कांग्रेस और आप अकेले चुनाव लड़ रहे हैं। इनेलो-बसपा 52 और 37 सीटों पर मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं जबकि जजपा 70 और आसपा 20 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। प्रदेश में करीब 25 प्रतिशत जाट और 21 से 22 प्रतिशत वंचित वर्ग के वोट हैं।

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    हरियाणा चुनाव 2024: सभी 90 सीटों पर आज होगा मतदान

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा में विधानसभा चुनाव गठबंधन की राजनीति का भविष्य तय करेंगे। 20 साल से प्रदेश की सत्ता से बाहर चल रहे क्षेत्रीय दल इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) ने राजनीति की मुख्य धारा में आने के लिए तीसरी बार बहुजन समाज पार्टी (बसपा) से समझौता किया है।

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    वहीं, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ साढ़े चार साल तक गठबंधन सरकार में शामिल रही जननायक जनता पार्टी (जजपा) का सांसद चंद्रशेखर आजाद रावण की आजाद समाज पार्टी (आसपा) से गठबंधन है। राष्ट्रीय पार्टियां भाजपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) अकेले दम पर चुनाव मैदान में हैं।

    इनेलो 52 पर तो बसपा 37 सीटों पर चुनाव लड़ेगी

    गठबंधन के तहत इनेलो 52 और बसपा 37 सीटों पर मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि सिरसा विधानसभा सीट पर गठबंधन ने हरियाणा लोकतांत्रिक पार्टी (हलोपा) के गोपाल कांडा को समर्थन दिया हुआ है। सिरसा जिले की सभी सीटों पर इनेलो-बसपा के साथ हलोपा का गठबंधन है।

    गोपाल कांडा ऐलनाबाद समेत बाकी सीटों पर भी अभय चौटाला का समर्थन कर रहे हैं। भाजपा द्वारा गठबंधन तोड़ने के बाद जजपा खुद 70 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, जबकि सहयोगी आसपा को 20 सीटें दी हैं।

    पिछले विधानसभा चुनाव में 10 विधानसभा सीटें जीतने वाली जजपा के लिए पुराना प्रदर्शन दोहराना आसान नहीं, जबकि एकमात्र विधायक वाले इनेलो की सीटें इस बार बढ़ने की पूरी संभावना राजनीतिक गलियारों में जताई जा रही है।

    हरियाणा में क्या हैं जातीय समीकरण

    हरियाणा में करीब 25 प्रतिशत जाट और 21 से 22 प्रतिशत वंचित वर्ग के वोट हैं। इनेलो और जजपा की जाट वोट बैंक पर पकड़ है तो बसपा और आसपा की वंचित वर्ग के वोट बैंक में पैठ है।

    ऐसे में वंचित वर्ग और जाट वोटों का नया समीकरण कोई गुल खिला सकता है। प्रदेश में अनुसूचित जाति के लिए 17 सीटें आरक्षित हैं। 30 सीटें ऐसी हैं, जहां जाट वोट निर्णायक माने जाते हैं।

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    ऐसे में 90 विधानसभा सीटों में 47 सीट ऐसी हैं, जिन पर इनेलो-बसपा और जजपा-आसपा की निगाह है। दलित वोटों पर हर पार्टी अपना-अपना दावा कर रही हैं।

    इनेलो से गठबंधन कर फायदे में रही है बसपा अतीत में भी इनेलो से गठबंधन कर बसपा फायदे में रही है। इनेलो और बसपा सबसे पहले 1996 के लोकसभा चुनाव में साथ आए थे। तब बसपा ने एक और इनेलो ने चार लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज की थी।

    बसपा ने पिछली बार 87 सीटों पर लड़ा था चुनाव

    2019 के विधानसभा चुनाव में बसपा ने बिना किसी गठबंधन के 87 सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन 82 सीटों पर जमानत जब्त हो गई। बसपा को कुल 4.14 प्रतिशत वोट मिले। इसी तरह 2014 के चुनाव में 87 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली बसपा को एक सीट पर जीत मिली और 81 पर जमानत जब्त हो गई।

    तब बसपा को कुल 4.37 प्रतिशत वोट मिले थे। बसपा ने हरियाणा में सबसे अच्छा प्रदर्शन 2009 के लोकसभा चुनाव में किया था, जब सभी 10 सीटों पर चुनाव लड़ते हुए 15.75 प्रतिशत वोट हासिल किए। हालांकि उसे कोई सीट नहीं मिली थी।

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