हरियाणा में शहरों से सटी कृषि भूमि पर व्यवसाय के लिए ईडीसी लागू करने की योजना, फ्लैट होंगे महंगे; और क्या पड़ेगा असर?
हरियाणा में शहरी क्षेत्रों से सटी कृषि भूमि पर अब व्यवसायिक कार्यों के लिए ईडीसी लगाने की तैयारी है। शहरी स्थानीय निकाय विभाग ने मुख्यमंत्री को प्रस्ताव भेजा है। मंजूरी मिलने पर कृषि भूमि पर व्यवसायिक गतिविधियों के लिए सीएलयू के साथ ईडीसी भी वसूला जाएगा। ईडीसी में वृद्धि से रियल एस्टेट पर असर पड़ेगा और फ्लैट महंगे हो सकते हैं।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा में अब शहरों के साथ लगती कृषि भूमि पर व्यावसायिक कार्यों के लिए बाह्य विकास शुल्क (ईडीसी) लगाने की तैयारी है। शहरी स्थानीय निकाय विभाग ने प्रस्ताव तैयार कर स्वीकृति के लिए मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के पास भेज दिया है।
अगली कैबिनेट बैठक में इस प्रस्ताव पर चर्चा संभव है। इस पर मुहर लगी तो नगर एवं आयोजना विभाग द्वारा अधिसूचित कृषि क्षेत्र में सभी व्यावसायिक गतिविधियों के लिए ईडीसी वसूला जाएगा। कृषि भूमि के वाणिज्यिक इस्तेमाल के लिए वर्तमान में सिर्फ भूमि उपयोग परिवर्तन (सीएलयू) की स्वीकृति लेनी होती है, जिसके लिए आवेदक को निर्धारित शुल्क चुकाना पड़ता है।
अभी तक सिर्फ नगर निगमों, परिषदों और पालिका के क्षेत्र में आने वाली जमीन पर ही ईडीसी वसूल किया जा रहा था। स्थानीय निकाय विभाग का प्रस्ताव है कि शहरों के साथ लगती कृषि भूमि पर पेट्रोल पंप, स्कूल या अस्पताल सहित अन्य व्यावसायिक कार्यों के लिए सीएलयू के साथ ईडीसी भी लिया जाए।
राज्य में ईडीसी की कोई एक निश्चित दर नहीं है। यह परियोजनाओं के प्रकार और स्थान के आधार पर अलग-अलग होता है। पिछले साल दिसंबर में प्रदेश सरकार ने संभावित रियल एस्टेट क्षेत्रों के लिए ईडीसी में 20 प्रतिशत की वृद्धि को मंजूरी देते हुए हर साल 10 प्रतिशत की वृद्धि तय की थी। ईडीसी में बढ़ोतरी से रियल एस्टेट पर बड़ा असर देखने को मिलेगा क्योंकि बिल्डर और कालोनाइजर इसका बोझ खरीदार पर डालेंगे जिससे फ्लैट महंगे होंगे।
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