OPS बहाली के लिए दायर याचिका पर हाईकोर्ट का हरियाणा सरकार से जवाब तलब, शिक्षकों ने कहा- 'पुरानी पेंशन हमारा हक'
हरियाणा के शिक्षकों ने पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) की बहाली के लिए उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि उनकी नियुक्ति 2006 से पहले विज्ञापित पदों पर हुई थी, इसलिए वे ओपीएस के हकदार हैं। उन्होंने वित्त विभाग के ज्ञापन और केंद्र सरकार के स्पष्टीकरण का हवाला दिया है। उच्च न्यायालय ने सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

हरियाणा के शिक्षकों ने पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) की बहाली के लिए उच्च न्यायालय में याचिका दायर की (फाइल फोटो)
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा सरकार के शिक्षकों ने पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) बहाली के लिए पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया है। जहीद हुसैन और अन्य शिक्षकों ने राज्य सरकार के खिलाफ याचिका दायर करते हुए हाई कोर्ट से इस मामले में आदेश जारी करने की मांग की गई है ताकि उन्हें नई अंशदायी पेंशन योजना के बजाय पुरानी पेंशन योजना का लाभ दिया जा सके।
याचिकाकर्ताओं के वकील मज़लिश खान ने दलील दी कि याचिकाकर्ताओं को जेबीटी और पीआरटी पदों पर विज्ञापन संख्या 01/2005 के तहत नियुक्त किया गया था, जो 28 अक्टूबर 2005 से पहले प्रकाशित हुआ था। जबकि हरियाणा सरकार ने 28 अक्टूबर 2005 को अधिसूचना जारी कर यह परविधान किया था कि जो कर्मचारी एक जनवरी 2006 या उसके बाद सेवा में आएंगे, उन्हें नई पेंशन योजना (एनपीएस) के तहत रखा जाएगा।
याचिकाकर्ताओं की दलील है कि चूंकि उनका विज्ञापन उस तारीख से पहले का है, इसलिए वे ओपीएस के पात्र हैं।मज़लिश खान ने अपने तर्कों के समर्थन में वित्त विभाग के 8 मई 2023 के कार्यालय ज्ञापन का हवाला दिया है, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया था कि जिन पदों के लिए विज्ञापन 28 अक्टूबर 2005 या उससे पहले जारी हुए, उन कर्मचारियों को ओपीएस के तहत कवर किया जाएगा। इसके साथ ही कई समान मामलों का उल्लेख किया गया है जिसमें हाई कोर्ट ने ओपीएस का लाभ देने का आदेश दिया था।
याचिका में केंद्र सरकार के 17 फरवरी 2020 के ज्ञापन का भी हवाला दिया गया है, जिसमें यह स्पष्टीकरण दिया गया था कि जो केंद्रीय कर्मचारी ओपीएस लागू से पहले विज्ञापित पदों के लिए चयनित हुए और बाद में जाइन किए वे भी ओपीएस के दायरे में आएंगे। दिल्ली हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने भी इस नीति को सही ठहराया था।
याचिकाकर्ताओं ने समानता के आधार पर भी ओपीएस का लाभ देने की मांग की है। उनका कहना है कि विभाग ने 1 सितंबर 2025 को कुछ समान शिक्षकों को ओपीएस का लाभ देने का आदेश जारी किया था। याचिका में संविधान के अनुच्छेद 14, 16, 19, 21 और 300-ए सहित पंजाब सिविल सेवा नियमों का हवाला देते हुए कहा गया है कि राज्य कर्मचारियों को समान अवसर और पेंशन अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता।
याची के वकील की दलील सुनने के बाद हाई कोर्ट के जस्टिस त्रिभुवन दहिया ने हरियाणा सरकार व शिक्षा विभाग को 31 अक्टूबर के लिए नोटिस जारी कर जवाब दायर करने का आदेश दिया है।
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