HSGPC Election: हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी की मतदाता सूची की प्रक्रिया को हाईकोर्ट में चुनौती
याचिका में आरोप है कि नए मतदाताओं के लिए सिख की परिभाषा को उचित रूप से परिभाषित नहीं किया गया है। इसमें एचएसजीएमसी अधिनियम 2014 की धारा 2 में सिख की परिभाषा का स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि सिख कौन है अमृतधारी सिख कौन है और सहजधारी सिख कौन है लेकिन नए मतदाताओं के लिए जारी आवेदन फार्म में सिख की परिभाषा क्या बनती है।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़: पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के समक्ष एक याचिका दायर की गई है, जिसमें गुरुद्वारा चुनाव आयुक्त द्वारा तैयार की जा रही मतदाता सूची की प्रक्रिया को हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधन अधिनियम 2014 के प्रविधानों के खिलाफ बताया गया है, क्योंकि इसमें नए मतदाताओं के लिए सिख की परिभाषा को उचित रूप से परिभाषित नहीं किया गया है।
याचिका में आरोप है कि नए मतदाताओं के लिए सिख की परिभाषा को उचित रूप से परिभाषित नहीं किया गया है। याचिका के अनुसार, एचएसजीएमसी अधिनियम 2014 की धारा 2 में सिख की परिभाषा का स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि सिख कौन है, अमृतधारी सिख कौन है और सहजधारी सिख कौन है, लेकिन नए मतदाताओं के लिए जारी आवेदन फार्म में सिख की परिभाषा क्या बनती है।
याचिका में कही है ये बात
याचिका के अनुसार, गुरुद्वारा चुनाव आयुक्त द्वारा निर्धारित प्रपत्र में अस्पष्टता, गुरुद्वारा चुनाव में एक बड़ी समस्या पैदा करेगी, क्योंकि इसके कारण राधा स्वामी, निरंकारी के साथ-साथ डेरा सच्चा सौदा और अन्य केशधारी व्यक्तियों सहित विभिन्न संप्रदायों के लोग भी मतदाता के लिए पात्र होंगे।
याचिकाकर्ता का कहना है ऐसा कृत्य सिख भावनाओं और सिख अधिकारों के खिलाफ है, क्योंकि उपरोक्त संप्रदाय के अनुयायियों ने गुरुग्रंथ साहिब जी को जीवित गुरु के रूप में स्वीकार नहीं किया है। हरियाणा के करनाल जिले के अंग्रेज सिंह द्वारा यह याचिका दायर की गई है, जिसमें एचएसजीएमसी की मतदाता सूची में नाम शामिल करने के लिए आवेदन पत्र को रद करने की मांग की गई है। 41 वर्षीय याचिकाकर्ता सिख धर्म में विश्वास करता है और केवल 10 सिख गुरुओं और गुरुग्रंथ साहिब का अनुयायी है।
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राज्य में सिख गुरुद्वारों और गुरुद्वारा संपत्तियों के बेहतर स्वायत्त प्रबंधन और प्रभावी पर्यवेक्षण प्रदान करने के लिए एचएसजीएमसी अधिनियम 2014 अधिनियमित और अधिसूचित किया गया था। गुरुद्वारा चुनाव आयुक्त हरियाणा ने 18 अगस्त को एचएसजीएमसी की मतदाता सूची के लिए मतदाताओं के पंजीकरण के संबंध में हरियाणा के सभी उपायुक्तों (डीसी) को एक पत्र लिखा था।
मतदाता सूची में नामों का पंजीकरण 30 सितंबर के बीच किया जाना था
हरियाणा सरकार ने उक्त उद्देश्य के लिए पूरे हरियाणा को 40 वार्डों में विभाजित किया था और अब 2014 अधिनियम की धारा सात के अनुसार प्रत्येक वार्ड के लिए मतदाताओं/मतों की तस्वीरों वाली मतदाता सूची तैयार की जानी है। एचएसजीएमसी के लिए मतदाता सूची में नामों का पंजीकरण 30 सितंबर के बीच किया जाना था।
याचिकाकर्ता एक सिख होने के नाते पटवारी के कार्यालय में गया और एचएसजीएमसी के चुनाव के लिए खुद को मतदाता के रूप में नामांकित करने के लिए आवेदन पत्र एकत्र किया। आवेदन पत्र देखने के बाद याचिकाकर्ता हैरान रह गया, क्योंकि आवेदन पत्र एचएसजीएमसी अधिनियम 2014 की धारा दो (जे) और धारा आठ के प्रविधानों के अनुरूप नहीं था।सधारा में कहा गया है सिख का अर्थ वह व्यक्ति है जो सिख होने का दावा करता है।
याचिका हाई कोर्ट में दायर कर दी गई है
याचिका के अनुसार नियमों में यह भी प्रवधान है कि किसी भी ऐसे व्यक्ति को मतदाता के रूप में पंजीकृत नहीं किया जाएगा, जो पतित है या केश, अपनी दाढ़ी काटता या कटवाता है या तंबाकू, कुठा (हलाल मांस) का उपयोग करता है या मादक पेय लेता है। याचिकाकर्ता के अनुसार, आवेदन पत्र में यह परिभाषित नहीं किया गया है कि एचएसजीएमसी अधिनियम के प्रयोजन के लिए सिख कौन है। यह याचिका हाई कोर्ट में दायर कर दी गई है और इस पर जल्दी ही सुनवाई हो सकती है।
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