हरियाणा में 11 गंभीर बीमारियों का इलाज अब सरकारी अस्पतालों में, डॉक्टरों ने जताई सुविधाओं के कमी पर चिंता
हरियाणा सरकार ने आयुष्मान भारत योजना के तहत 11 गंभीर बीमारियों का इलाज प्राइवेट अस्पतालों से हटाकर सरकारी अस्पतालों में करने का फैसला किया है। इस फैसले में कूल्हा और घुटना बदलने जैसे इलाज शामिल हैं। सरकार का कहना है कि वह खर्च कम करना चाहती है, जबकि डॉक्टरों का कहना है कि सरकारी अस्पतालों में पर्याप्त सुविधाएँ नहीं हैं और सरकार को बजट बढ़ाना चाहिए।

हरियाणा के स्वास्थ्य विभाग ने 11 गंभीर बीमारियों का इलाज प्राइवेट अस्पतालों से वापस लेकर सरकारी अस्पतालों में स्थानांतरित किया (फाइल फोटो)
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएमजेएवाइ) और चिरायु हरियाणा योजना के अंतर्गत अभी तक प्राइवेट अस्पतालों में 11 गंभीर बीमारियों का इलाज करा रहे गरीब मरीजों को वापस सरकारी अस्पतालों में लौटना पड़ेगा।
हरियाणा के स्वास्थ्य विभाग ने इन बीमारियों के इलाज में अधिक खर्च को देखते हुए आदेश जारी किये हैं कि भविष्य में प्राइवेट अस्पतालों की बजाय सरकारी अस्पतालों में ही इन बीमारियों का इलाज कराना होगा।
प्राइवेट अस्पतालों में जिन बीमारियों का इलाज बंद कर दिया गया है, उनमें कूल्हा बदलना, घुटना बदलना, हरनिया रिपेयर, कान का पर्दा ठीक करना और अपेंडिक्स का आपरेशन शामिल है।
इन बीमारियों के अलावा टोंसिल, गले का लग जाना, बवासीर का इलाज, अंडकोष में पानी का भर जाना और यूरिनल खतना (आपरेशन) भी अब प्राइवेट अस्पतालों की बजाय सरकारी अस्पतालों में कराने होंगे।
हरियाणा के स्वास्थ्य सचिव सुधीर राजपाल की ओर से सोमवार को यह आदेश जारी किए गए हैं। इनके संबंध में सभी मुख्य चिकित्सा अधिकारियों और प्राइवेट अस्पताल संचालकों को अवगत करा दिया गया है।
राज्य में करीब 650 प्राइवेट अस्पताल ऐसे हैं, जो कि आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएमजेएवाइ) और चिरायु हरियाणा योजना के अंतर्गत गरीबों के पांच लाख रुपये तक के इलाज के लिए हरियाणा सरकार से मान्यता प्राप्त हैं।
प्रदेश में करीब सात सौ सरकारी अस्पताल हैं, जिनमें 119 बीमारियों का इलाज हो रहा है। अब 11 नई बीमारियों का इलाज और होने लगेगा, जिससे उनकी संख्या बढ़कर 130 हो जाएगी।
प्राइवेट अस्पतालों में करीब 500 बीमारियों का इलाज प्रदान किया जाता है, लेकिन जिन बीमारियों में सरकार का खर्च बहुत अधिक आ रहा था, उन्हें प्राइवेट अस्पतालों से वापस लेकर सरकारी अस्पतालों में स्थानांतरित कर दिया गया है।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन हरियाणा के अध्यक्ष डा. महावीर जैन, पूर्व अध्यक्ष डा. अजय महाजन और महासचिव डा. धीरेंद्र सोनी का कहना है कि सरकारी अस्पतालों में इन बीमारियों के इलाज की समुचित व्यवस्था नहीं है।
प्रदेश सरकार ने अपना खर्च बचाने की तो सोच ली, लेकिन गरीब लोग इन सरकारी अस्पतालों में बिना मशीन, बिना डाक्टर और बिना सुविधा के अपनी गंभीर बीमारियों का इलाज कैसे करा पाएंगे, इस बारे में चिंता नहीं की गई है।
हरियाणा के स्वास्थ्य विभाग की ओर से इसी साल मई में पांच गंभीर बीमारियों का इलाज प्राइवेट अस्पतालों से वापस लेकर सरकारी अस्पतालों में स्थानांतरित कर दिया गया था।
इन पांच बीमारियों में मोतियाबिंद का आपरेशन, सांस की बीमारी, उल्टी दस्त की समस्या, पित्त की थैली का आपरेशन और बच्चेदानी निकालने की बीमारियां शामिल हैं। आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएमजेएवाइ) और चिरायु हरियाणा योजना के अंतर्गत के अंतर्गत राज्य में 1.60 करोड़ कार्ड बने हुए हैं। हर माह मरीजों के इलाज पर करीब 250 करोड़ रुपये का खर्च आ रहा है।
आइएमए हरियाणा के विरोध और आंदोलन के बाद अब सरकार ने पिछला भुगतान करने में तेजी ला दी है। अब सिर्फ एक माह का भुगतान लंबित चल रहा है, लेकिन पिछला कुछ भुगतान अभी भी बाकी है।
आइएमए हरियाणा के अध्यक्ष डॉ. महावीर जैन व पूर्व अध्यक्ष डॉ. अजय महाजन ने कहा कि हरियाणा सरकार ने गरीबों को उपलब्ध हुए कई सारे ऐसे आपरेशन भी सिर्फ सरकारी अस्पतालों के लिए रिजर्व कर दिए हैं, जिन एडवांस्ड आपरेशनों की सुविधा सरकारी अस्पतालों में नहीं है।
इस प्रकार अपना खर्च बचने के लिए सरकार कार्ड तो बनाती जा रही है लेकिन उन पर सुविधा कम करती जा रही है। ऐसे में सरकार को अपना बजट बढ़ाना चाहिए न कि सुविधाएं कम करनी चाहिए।

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