हरियाणा में बनेगा अलग हाईकोर्ट? IAS अधिकारियों ने शुरू किया अभियान
हरियाणा के लिए अलग राजधानी और उच्च न्यायालय की मांग तेज हो गई है। सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारियों और प्रबुद्ध नागरिकों ने इस अभियान का समर्थन किया है। उनका कहना है कि नई राजधानी हरियाणा के मध्य में होनी चाहिए जिससे रोजगार बढ़ेगा और लोगों को सुविधा होगी। चंडीगढ़ दूर होने के कारण लोगों को परेशानी होती है और भेदभाव का सामना करना पड़ता है।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। अलग राजधानी और हाई कोर्ट के लिए हरियाणा बनाओ अभियान मुखर हो गया है। अभियान चला रहे सेवानिवृत्त आइएएस अधिकारियों के साथ अधिवक्ता और कलाकारों सहित विभिन्न प्रबुद्ध वर्गों के प्रतिनिधि भी खड़े हो गए हैं।
हरियाणा के बीच में किसी जगह नई राजधानी विकसित करने से न केवल रोजगार और विकास के नए अवसर पैदा होंगे, बल्कि 300-350 किलोमीटर दूर चंडीगढ़ में काम कराने के लिए पहुंचने वाले लोगों की परेशानियां भी कम होंगी।
हरियाणा के पूर्व मुख्य सचिव एससी चौधरी, केंद्र सरकार के पूर्व उप सचिव और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के ओएसडी रहे एमएस चोपड़ा, पदमश्री महावीर गुड्डू, पूर्व उपकुलपति राधेश्याम शर्मा, बार काउंसिल पंजाब एवं हरियाणा के पूर्व चेयरमैन रणधीर सिंह बधरान, ईश्वर सिंह दूहन और बिमला चौधरी सहित अन्य वक्ताओं ने बृहस्पतिवार को मीडिया से बातचीत में तर्कों के साथ बताया कि हरियाणा के लिए क्यों अलग हाई कोर्ट और अलग राजधानी जरूरी है।
वकीलों ने उठाई अलग बार की मांग
एससी चौधरी के अनुसार सर्वे में अधिकतर लोगों की राय है कि नई राजधानी सभी जिलों से अधिक 100 से 125 किलोमीटर तक की दूरी पर ही होनी चाहिए। वकील भी हरियाणा और पंजाब की अलग बार की मांग कर रहे हैं।
आज हरियाणा के 14 लाख 25 हजार से अधिक मामले जिला और अधीनस्थ न्यायालयों में लंबित हैं, जबकि साढ़े चार हजार से अधिक मामले उच्च न्यायालय में अटके हुए हैं।
एमएस चोपड़ा और रणधीर सिंह बधरान ने कहा कि दक्षिण हरियाणा के लोगों को अदालती या सचिवालय से जुड़े कामों के लिए चंडीगढ़ पहुंचना आसान नहीं होता। स्थिति यह है कि चंडीगढ़ में हरियाणा के अधिकारियों से लेकर आमजन तक को भेदभाव का शिकार होना पड़ रहा है। इस स्थिति से निपटने के लिए तत्काल अलग राजधानी और हाई कोर्ट बनाने की आवश्यकता है।

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