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    भारतीय सेना की ताकत और ऑपरेशन सिंदूर के बारे में जानेंगे हरियाणा के स्कूली बच्चे, एक दिन का रहेगा डिजिटल उपवास

    Updated: Wed, 28 May 2025 08:04 PM (IST)

    हरियाणा के सरकारी स्कूलों में पांचवीं कक्षा तक के बच्चों की गर्मियों की छुट्टियां विशेष होंगी। छात्रों को देशभक्ति सेना माता-पिता और सामाजिक सरोकारों से जोड़ने के लिए एक विशेष योजना बनाई गई है। छात्रों को डिजिटल उपवास रखने सैन्य जानकारी एकत्र करने और रचनात्मक गतिविधियों में भाग लेने के लिए प्रेरित किया गया है। अभिभावकों को बच्चों के कार्यों का मूल्यांकन करना होगा।

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    भारतीय सेना की ताकत और आपरेशन सिंदूर के बारे में जानेंगे स्कूली बच्चे (फाइल फोटो)

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा के सरकारी स्कूलों में पांचवीं क्लास तक पढ़ने वाले बच्चों की इस बार की गर्मियों की छुट्टियां बेहद खास रहने वाली हैं। इन छुट्टियों में बच्चों को देश प्रेम, सेना, माता-पिता और सामाजिक सरोकारों से जोड़ने के लिए विशेष कार्ययोजना तैयार की है।

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    यह बच्चे अपने घर रहकर कई ऐसी जानकारियां एकत्र करेंगे, जो उनके भविष्य में काफी काम आ सकती हैं। इन सामाजिक व पारिवारिक सरोकारों से जुड़ने की प्रक्रिया के बीच इन बच्चों को एक दिन डिजिटल उपवास (व्रत) भी रखना होगा।

    डिजिटल उपवास के अंतर्गत उन्हें सप्ताह में एक दिन पूरे समय न तो मोबाइल फोन चलाना है, न ही टीवी देखना है और न ही किसी दूसरे डिजिटल गजट को संचालित करना है।

    डिजिटल उपवास के दौरान उन्हें अपने माता-पिता व भाई-बहिनों के साथ समय गुजारना है। परिवार के सदस्यों के साथ कैरमबोर्ड, लूडो, सांप-सीढ़ी या तोता उड़-चिड़िया उड़ जैसे पुराने परंपरागत खेल खेलने हैं।

    स्कूली बच्चों से कहा गया है कि वे गर्मी की छुट्टियों में सेना के तीनों अंगों के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करें, उनके सेनाध्यक्षों के नाम और मेडल के बारे में कापी पर नोट करें, भारत की सैन्य शक्ति की जानकारी प्राप्त करने के साथ ही पड़ोसी देशों की सैन्य शक्ति व हरियाणा के राजनीतिक नेतृत्व के बारे में जानकारी प्राप्त करने को भी इन बच्चों को कहा गया है।

    खासतौर से स्कूली बच्चों को प्रेरित किया गया है कि वे हाल ही में पाकिस्तान के विरुद्ध चलाए गए आपरेशन सिंदूर की बारीकी में जाकर पड़ताल करें, इस बात का अध्ययन करें कि यह कब, क्यों चलाया गया और इसके नतीजे क्या रहे। साथ ही देश भर में निकाली गई तिरंगा यात्रा और देश की सुरक्षा में सेनाओं के योगदान की पड़ताल करने को भी बच्चों को कहा गया है।

    हरियाणा के स्कूल शिक्षा विभाग ने निपुण हरियाणा सेल के माध्यम से कक्षा पांच तक पढ़ने वाले 10 साल की उम्र तक के बच्चों के लिए गर्मियों की छुट्टियों का एक ऐसा पाठ्यक्रम तैयार किया है, जो उन्हें खेल-खेल में रचनात्मकता, समाज और परिवार के साथ देश से जोड़ने का काम करेगा।

    एक जुलाई को जब स्कूल खुलेंगे तो पहली अभिभावक-शिक्षक मीटिंग (पीटीएम) में इन सभी कार्यों की समीक्षा की जाएगी। इस प्रोजेक्ट के माध्यम से अभिभावकों को भी अपने बच्चों के साथ रचनात्मक समय बिताने का मौका मिलेगा और वह जान सकेंगे कि उनके बच्चे की क्रियात्मकता व रचनात्मकता का स्तर कहां तक ले जाया जा सकता है।

    निपुण हरियाणा सेल में प्रोग्राम अधिकारी डॉ. प्रमोद कुमार, डॉ. सुदर्शन पुनिया, चरण सिंह, कुसुम मलिक, मनोज कुमार लाखड़ा और रिहामुद्दीन ने यह कार्यक्रम तैयार किया है, जो सभी स्कूलों में लागू होगा। इस प्रोजेक्ट के तहत बच्चों को घर में रहकर अपने स्वयं के कपड़े भी धोने होंगे, उन्हें सुखाना होगा, तह करना होगा और प्रेस करवाकर उन्हें अलमारी में रखना होगा।

    पक्षियों के लिए उन्हें दाने-पानी का इंतजाम करना है। मौसम के बदलावों के बारे में जानकारी प्राप्त करनी है। हरियाणा के लोकगीत व लोक कलाकारों के बारे में जानकारी प्राप्त करने का टास्क भी इन बच्चों को दिया गया है।

    अपने व माता-पिता के आधार कार्ड की जानकारी भी रखेंगे बच्चे

    गर्मी की छुट्टियों में बच्चों को अपनी अलमारियों की सफाई करने के लिए प्रेरित किया गया है। साथ ही कहा गया है कि वे घर में स्वयं खाने की छोटी छोटी डिश बनाने की कोशिश करें।

    कमरे की सफाई करें, दालों और मोटे अनाज की पहचान करें, बैंक खाता कैसे खोला जाता है, इसकी जानकारी जुटाएं, शादियों में परोसी जाने वाली मिठाइयों व सब्जियों की खासतौर से पहचान करें, ताकि वे सामाजिक रूप से परिपक्वता की श्रेणी की तरफ बढ़ सकें।

    बच्चों को यह भी कहा गया है कि वे अवकाश के दिनों में अपना स्वयं का आधार कार्ड, माता-पिता का आधार कार्ड, उनके फोन नंबर, जन्म तिथि और शादी की तारीख के बारे में जानकारी रखें।

    अभिभावकों को करना होगा अपने बच्चों के कार्यों का मूल्यांकन

    हरियाणा के शिक्षा मंत्री महीपाल ढांडा का मानना है कि स्कूली बच्चों की यह प्रैक्टिस उन्हें समाज में आगे बढ़ने में मदद करेगी। इस योजना की एक विशेष बात इसका मूल्यांकन माडल है, जिसमें अभिभावकों को 72 घंटे की अवधि के दौरान अपने बच्चों के कार्यों का मूल्यांकन करना होगा।

    यह अवलोकन आधारित मूल्यांकन भागीदारीपूर्ण, आनंददायक और पारिवारिक संबंधों को मजबूत करने वाला होगा। शिक्षकों द्वारा आवंटित इस गृह कार्य को 30 जून तक निर्धारित ग्रीष्मावकाश के दौरान पूरा करना होगा। गृहकार्य का मूल्यांकन जुलाई में प्रस्तावित अभिभावक-शिक्षक बैठक में साझा किया जाएगा।

    शिक्षा मंत्री के अनुसार यह अभिनव गृहकार्य योजना न केवल निपुण भारत मिशन की भावना को साकार करती है, बल्कि हरियाणा की शिक्षा प्रणाली को एक देखभाल, संवेदना और अनुभव पर आधारित दिशा में आगे बढ़ाने का प्रमाण है, जहां अवकाश केवल विश्राम नहीं, बल्कि सीखने का आनंदमयी विस्तार है।