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    रोडवेज कर्मियों की हड़ताल से यात्री परेशान, 105 चालक-परिचालक निलंबित

    By Kamlesh BhattEdited By:
    Updated: Wed, 12 Apr 2017 12:43 PM (IST)

    हरियाणा रोजवेज की आज भी हड़ताल जारी है। इसके कारण यात्रियों की परेशानी बढ़ गई है। लोग अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए परेशान हैं। निजी बसों की चांदी हो गई है।

    रोडवेज कर्मियों की हड़ताल से यात्री परेशान, 105 चालक-परिचालक निलंबित

    जेएनएन, चंडीगढ़। हरियाणा सरकार और आंदोलनकारी रोडवेज कर्मचारियों के बीच मैराथन बैठकों के तीन दौर के बावजूद बात नहीं बनी। सरकार ने अब कर्मचारियों के निलंबन की कार्रवाई शुरू कर दी है। चंडीगढ़- परिवहन मंत्री कृष्ण पंवार ने कर्मचारियों के निलंबन पर कहा कि ये विभागीय कार्रवाई है। 19 डिपो के 105 कर्मचारियों को निलंबित कर दिया गया है।

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    बुधवार को भी रोडवेज बसें सड़कों पर नहीं चली। बसें न चलने से यात्री परेशान रहे। निजी बसें तो चल रही हैं, लेकिन लोगों की परेशानी कम नहीं हो रही। वहीं, सरकार ने हड़ताल से सख्ती से निपटने की तैयारी कर ली है। कई जिलों में हड़ताली कर्मचारियों पर कार्रवाई की जा रही है।

    कैथल डिपो के 5 कर्मचारियों को निलंबित कर दिया गया है। इनमें यूनियन के जिला प्रधान राजवीर भाना, सूबे सिंह, जसवीर सिंह, हाकम सिंह और रामपाल शामिल हैं। कर्मचारियों को चेतावनी दी गई है कि शाम तक हड़ताल समाप्त नहीं हुई तो डीसी रेट पर चालकों और परिचालकों की भर्ती की जाएगी। कई अन्य डिपो में भी इस तरह की कार्रवाई की जा रही है।

    गत दिवस कर्मचारी नेता से सरकार की बातचीत में निजी बसों के रूट परमिट देने का फैसला वापस कराने की जिद पर अड़े रहे और सरकार ने यह केस अदालत में होने की दुहाई देते हुए अपने हाथ खड़े कर दिए। न तो कर्मचारी अपनी मांग से हटे और न ही सरकार ने कोई नरमी दिखाई। लिहाजा टकराव कम होने की बजाय बढ़ गया है।

    प्रदेश में 4 हजार से अधिक बसों के पहिये अब आगे भी जाम रहेंगे। सरकार और कर्मचारियों के बीच के इस टकराव का नुकसान प्रदेश के लोगों को उठाना पड़ेगा। बता दें कि हरियाणा रोडवेज की बसें पंजाब, चंडीगढ़, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश, दिल्ली, राजस्थान और मध्यप्रदेश में भी जाती हैं। ऐसे में बसों के नहीं चलने से दूसरे राज्यों में जाने वाले यात्रियों को परेशानियों का सामना करना पड़ा।

    राज्य में निजी बसों के रूट परमिट देने के विरोध में सोमवार शाम से बसों के पहिये थमे हुए हैं। सोमवार को अतिरिक्त मुख्य सचिव एसएस ढिल्लो के साथ हुई बातचीत में कोई बात नहीं बनी तो मंगलवार को परिवहन मंत्री कृष्ण लाल पंवार ने मोर्चा संभाला। पहले उन्होंने मुख्यमंत्री कार्यालय के अधिकारियों के साथ बैठक की। फिर कर्मचारियों को बुलाया। 

    रोडवेज कर्मचारियों की आठ यूनियनों के नेताओं ने परिवहन मंत्री के साथ बैठक की। चार यूनियन हरियाणा रोडवेज ज्वाइंट एक्शन कमेटी में शामिल हैं, जबकि बाकी चार यूनियन अलग काम करती हैं। परिवहन मंत्री की साख कर्मचारी नेताओं के मसले सुलझाने की रही है।  सर्व कर्मचारी संघ के अभी तक जितने आंदोलन हुए, उनमें कृष्ण लाल पंवार ने मध्यस्थता की, लेकिन जब अपने विभाग का मसला सुलझाने की बारी आई तो उन्हें कामयाबी नहीं मिल पाई।

    परिवहन मंत्री और कर्मचारी नेताओं के बीच मंगलवार को चंडीगढ़ स्थित हरियाणा निवास में बातचीत के तीन अलग-अलग दौर चले। बात नहीं बनी तो मंत्री ने सरकार के प्रति नरम रुख अपनाने वाले कर्मचारी नेताओं को बुलाकर मसले के सुलझने का दावा किया, लेकिन हरियाणा रोडवेज ज्वाइंट एक्शन कमेटी के पावरफुल होने के कारण इन नेताओं की नहीं चल पाई। लिहाजा टकराव ज्यों का त्यों बना हुआ है।

    दो ग्रुप में की कर्मचारी नेताओं ने बातचीत

    हरियाणा सरकार और कर्मचारी नेताओं के बीच बातचीत में दोनों पक्षों का खुला टकराव नजर आया। सरकार की ओर से परिवहन मंत्री कृष्ण लाल पंवार के अलावा सीएम के प्रधान सचिव राजेश खुल्लर, उप प्रधान सचिव भूपेंद्र सिंह, परिवहन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव एसएस ढिल्लो, निदेशक अनीता यादव, परिवहन आयुक्त सुप्रभा दहिया, अतिरिक्त परिवहन आयुक्त वीरेंद्र लाठर और एसएमई सतीश रुहिल ने मोर्चा संभाला।

    कर्मचारियों की ओर सभी आठ रोडवेज कर्मचारी यूनियनों ने दो ग्र्रुप में भागीदारी की। पहले दौर में ज्वाइंट एक्शन कमेटी की ओर से हरियाणा रोडवेज कर्मचारी संघ के प्रधान दलबीर किरमारा, ऑल हरियाणा रोडवेज वर्कर्स यूनियन के प्रधान हरिनारायण शर्मा, हरियाणा रोडवेज स्टाफ संगठन के प्रधान बाबूलाल यादव और हरियाणा रोडवेज वर्कर यूनियन (इंटक) के प्रधान अनूप सहरावत के नेतृत्व में हर यूनियन से तीन-तीन प्रतिनिधि बातचीत में शामिल हुए।

    853 रूट परमिट रद कराने की मांग पर भी फंसा पेंच

    कर्मचारी नेता सरबत सिंह पूनिया और दलबीर किरमारा के अनुसार  कर्मचारी नेताओं ने साफ कहा कि वर्ष 2017 की रूट परमिट नीति को रद कर जारी सभी 853 निजी बस परमिटों को रद किया जाए। यह मांग पूरी हुए बगैर समझौता नहीं हो सकता।

    एक साथ वार्ता में नहीं गए तो सरकार को मिला फायदा

    दूसरे दौर में हरियाणा रोडवेज वर्कर्ज यूनियन के प्रधान इंद्र सिंह बधाना, रोडवेज कर्मचारी महासंघ के प्रधान वीरेंद्र धनखड़, भारतीय मजदूर संघ के प्रधान आजाद मलिक और मिनिस्ट्रीयल स्टाफ एसोसिएशन की ओर से बलराज देसवाल की अगुवाई में तीन-तीन कर्मचारी नेताओं ने अपना पक्ष रखा। इस दौर में भी सहमति नहीं बनी तो फिर सभी कर्मचारी यूनियनों को एक साथ वार्ता के लिए बुलाया गया।

    निजी बसों को नहीं करने देंगे मनमानी : पंवार

    हरियाणा के परिवहन मंत्री कृष्ण पंवार का कहना है कि रोडवेज कर्मचारियों का विरोध जायज नहीं। 273 रूटों पर चलने वाली 853 बसों में जीपीएस लगाने के आदेश दिए हैं। अगर कोई अपना रूट छोड़कर दूसरे मार्ग पर बस चलाता है तो उस पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। इसके इलावा हरियाणा रोडवेज की बसों में मुफ्त यात्रा करने वाली 39 श्रेणियों के यात्रियों को निजी बसों में भी मुफ्त यात्रा की सुविधा दी जाएगी। इससे इन्कार करने पर बसों का परमिट रद कर एक लाख रुपये जुर्माना किया जाएगा। पहले दिए जा चुके 853 निजी बसों के अलावा किसी को नया परमिट नहीं दिया जाएगा। नई ट्रांसपोर्ट पॉलिसी का मामला कोर्ट में विचाराधीन है, इस कारण सरकार इस पर अभी कोई फैसला नहीं ले सकती। सरकार के दरवाजे बातचीत के लिए हमेशा खुले हैं।

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